'अधिक बच्चे पैदा करें...', इस मुख्यमंत्री ने आखिर क्यों की ये अपील? खुद बताई वजह
एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रजनन दर में हाल के वर्षों में प्रति महिला एक बच्चे की सबसे कम वृद्धि दर दर्ज किए जाने के साथ जातीय समुदायों की आबादी घट गई है.
Sikkim News: सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने अधिक बच्चे पैदा करने को लेकर जातीय समुदायों के लोगों के लिए विभिन्न प्रोत्साहन की घोषणा की. दक्षिण सिक्किम के जोरथांग शहर में रविवार को माघ संक्रांति कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सिक्किम की प्रजनन दर में हाल के वर्षों में प्रति महिला एक बच्चे की सबसे कम वृद्धि दर दर्ज किए जाने के साथ जातीय समुदायों की आबादी घट गई है.
तमांग ने कहा, ‘‘हमें महिलाओं सहित स्थानीय लोगों को अधिक बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करके कम होती प्रजनन दर को रोकने की जरूरत है.’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार पहले ही सेवा में महिलाओं को 365 दिन का मातृत्व अवकाश और पुरुष कर्मचारियों को 30 दिन का पितृत्व अवकाश प्रदान कर चुकी है, ताकि उन्हें बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके.
बच्चे पैदा करें तो बढ़ेगी सैलरी, मिलेगा पैसा
इसके अलावा, राज्य सरकार ने महिला कर्मचारियों को दूसरा बच्चा होने पर एक वेतन वृद्धि और तीसरा बच्चा होने पर दो वेतन वृद्धि देने का प्रस्ताव किया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि आम लोग भी कई बच्चे पैदा करने के लिए वित्तीय सहायता के पात्र होंगे, जिसका विवरण स्वास्थ्य और महिला एवं बाल देखभाल विभागों द्वारा तैयार किया जाएगा.
तमांग ने कहा कि उनकी सरकार ने सिक्किम के अस्पतालों में ‘आईवीएफ’ (In Vitro Fertilization) सुविधा शुरू की है, ताकि स्वाभाविक रूप से गर्भधारण में समस्या होने पर महिलाओं को इसके लिए प्रोत्साहित किया जा सके. उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया के माध्यम से बच्चे पैदा करने वाली सभी माताओं को तीन लाख रुपये का अनुदान दिया जाएगा.
‘आईवीएफ’ सुविधा से अब तक 38 महिलाएं गर्भधारण कर चुकी हैं
मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘आईवीएफ’ सुविधा से अब तक 38 महिलाएं गर्भधारण कर चुकी हैं और उनमें से कुछ मां भी बन चुकी हैं. तमांग ने सिक्किम के लोगों पर केवल एक बच्चा पैदा कर छोटा परिवार रखने का ‘‘दबाव’’ बनाने के लिए पवन कुमार चामलिंग नीत पिछली सरकार पर निशाना साधा. वर्तमान में सिक्किम की अनुमानित जनसंख्या सात लाख से कम है, जिसमें लगभग 80 प्रतिशत जातीय समुदायों के लोग शामिल हैं.
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