Member Of Parliament Disqualified: हाल में लोकसभा की सदस्यता से राहुल गांधी को अयोग्य करार दिए जाने के बाद एक अधिनियम के प्रावधान सुर्खियों में आ गए हैं, इसके तहत 1988 से अब तक 42 सांसद अपनी सदस्यता गंवा चुके हैं. इनमें सबसे ज्यादा सदस्य 14वीं लोकसभा में अयोग्य करार दिए गए. प्रश्न पूछने के बदले धन लेने के मामले और 'क्रॉस वोटिंग' के संबंध में 19 सांसदों को अयोग्य करार दिया गया.
सांसदों को राजनीतिक पाला बदलने, सांसद के तौर पर अशोभनीय आचरण करने और दो साल या उससे ज्यादा की जेल की सजा वाले अपराधों के लिए कोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराए जाने समेत विभिन्न आधारों पर अयोग्य करार दिया गया है.
एनसीपी-बीएसपी के सासंद अयोग्य
हालिया समय में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता मोहम्मद फैजल पी पी, और बहुजन समाज पार्टी (BSP) के नेता अफजाल अंसारी को कोर्ट ने दोषी माना जिसके बाद दो साल या उससे अधिक की जेल की सजा के कारण अयोग्य करार दिया गया. इन्हें जन प्रतिनिधित्व कानून के प्रावधानों के तहत अयोग्य ठहराया गया.
केरल हाई कोर्ट ने फैजल की सजा रद्द की
जन प्रतिनिधित्व कानून किसी आपराधिक मामले में दोषी ठहराए जाने और दो साल या उससे अधिक की सजा सुनाए जाने पर सांसदों और विधायकों की स्वत: अयोग्यता से संबंधित है.
लोकसभा में लक्षद्वीप का प्रतिनिधित्व करने वाले फैजल को हत्या के प्रयास के मामले में उनकी दोषसिद्धि और सजा के बाद सदस्यता से अयोग्य करार दिया गया था. हालांकि, केरल हाई कोर्ट से फैजल की दोषसिद्धि और सजा रद्द किए जाने के बाद उनकी सदस्यता बहाल कर दी गई.
मोदी उपनाम पर टिप्पणी
काग्रेस नेता राहुल गांधी ने 'मोदी उपनाम' टिप्पणी को लेकर आपराधिक मानहानि के मामले में राहत पाने के लिए गुजरात हाई कोर्ट का रुख किया है. सूरत की एक कोर्ट ने राहुल गांधी को दो साल की जेल की सजा सुनाई थी.
लालदुहोमा की सबसे पहले गई सदस्यता
साल 1985 में दल-बदल विरोधी कानून लागू होने के बाद लोकसभा की सदस्यता से सबसे पहले कांग्रेस के लालदुहोमा को अयोग्य करार दिया गया था, जिन्होंने मिजोरम विधानसभा चुनाव के लिए मिजो नेशनल यूनियन के उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था. इस पार्टी का गठन लालदुहोमा ने ही किया था.
जनता दल सरकार में 9 की सदस्यता गई
नौवीं लोकसभा के समय जब जनता दल के तत्कालीन नेता वी पी सिंह ने गठबंधन सरकार बनाई थी, लोकसभा के नौ सदस्यों को दल-बदल विरोधी कानून के उल्लंघन का दोषी माना गया, जिसके कारण उन्हें अयोग्य करार दिया गया.
14वीं लोकसभा में 10 ने सदस्यता गंवाई
हालांकि, 14वीं लोक सभा में सदन से सबसे ज्यादा सदस्यों ने अपनी सदस्यता गंवाई. इस दौरान 10 सदस्यों को संसद में प्रश्न पूछने के लिए रिश्वत स्वीकार कर अशोभनीय आचरण के लिए और नौ को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग)-1 सरकार के विश्वास मत के दौरान ‘क्रॉस-वोटिंग’ के लिए अयोग्य घोषित किया गया था. जुलाई 2008 में वाम मोर्चे ने अमेरिका के साथ असैन्य परमाणु समझौते पर समर्थन वापस ले लिया था, जिसके कारण सरकार को विश्वासमत का सामना करना पड़ा था.
2005 में बीजेपी के छह सदस्य अयोग्य
साल 2005 में बीजेपी के छह सदस्यों, बसपा के दो और कांग्रेस तथा राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के एक-एक सदस्य को ‘प्रश्न पूछने के लिए धन लेने के’ मामले में लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया था. बसपा के एक राज्यसभा सदस्य को भी सदन से निष्कासित कर दिया गया था.
फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा
लोकसभा के पूर्व अतिरिक्त सचिव देवेंद्र सिंह असवाल ने बताया, "निष्कासन के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा था. इनमें से किसी भी मामले को निष्कासन की मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास नहीं भेजा गया, क्योंकि विधायिका स्वयं ऐसा करने के लिए सक्षम है."
शरद यादव भी हुए थे अयोग्य
दसवीं लोकसभा में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिंह राव ने गठबंधन सरकार का नेतृत्व किया था, चार सदस्यों को दल-बदल विरोधी कानून के तहत सदन की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था. दल-बदल विरोधी कानून के तहत राज्यसभा में भी सदस्यों ने अपनी सदस्यता गंवाई. इनमें मुफ्ती मोहम्मद सईद (1989), सत्यपाल मलिक (1989), शरद यादव (2017) और अली अनवर (2017) शामिल हैं.
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता शिबू सोरेन और समाजवादी पार्टी (सपा) की सदस्य जया बच्चन को क्रमशः 2001 और 2006 में लाभ का पद संभालने के लिए राज्यसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था. सोरेन जहां झारखंड क्षेत्र स्वायत्त परिषद के अध्यक्ष थे, वहीं जया बच्चन उत्तर प्रदेश फिल्म विकास परिषद की अध्यक्ष थीं.
सोनिया गांधी ने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिय
राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) की अध्यक्ष के लाभ का पद धारण करने के लिए तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ अयोग्यता संबंधी याचिका निष्फल हो गई थी, क्योंकि उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था.
बार काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य असवाल ने कहा कि संभावित राजनीतिक उथल-पुथल से बचने के लिए, संसद (निरर्हता निवारण) अधिनियम, 1959 को 2006 में 4 अप्रैल, 1959 से पूर्व प्रभाव के साथ संशोधित किया गया था और इसी तरह की याचिकाएं निष्फल हो गईं.
लिली थॉमस मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय ने कानूनी स्थिति को स्पष्ट किया कि कोई भी दोषसिद्धि जिसमें दो साल या उससे अधिक की सजा हो, निर्वाचित प्रतिनिधि स्वत: ही सदस्यता से अयोग्य हो जाएगा. असवाल ने कहा, "लोकसभा सचिवालय को केवल एक अधिसूचना जारी करके रिक्ति को अधिसूचित करना होता है ताकि निर्वाचन आयोग उपचुनाव की प्रक्रिया शुरू कर सके."
लालू प्रसाद की सदस्यता गई
फैसले के परिणामस्वरूप, कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य, रशीद मसूद को भ्रष्टाचार के एक मामले में दोषी ठहराए जाने के कारण उच्च सदन की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था. चारा घोटाले में दोषी ठहराए जाने के बाद राजद प्रमुख लालू प्रसाद और जनता दल (यूनाइटेड) सदस्य जगदीश शर्मा को लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था.