नई दिल्लीः किसान आंदोलन का आज 82वां दिन है. सिंघु, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर में किसान संगठनों का आंदोलन जारी है. आंदोलन की सफलता और असफलता के तमाम दावे किए जा रहे है लेकिन क्या किसी ने इन बॉर्डर के करीब रहने वाले लोगों की समस्या को जाना? क्या किसी ने इन आम लोगों की परेशानी को समझा.
आंदोलन से दिल्ली के बॉर्डर सील हैं. देश की राजधानी में हरियाणा और यूपी से आने वालों के लिए सीधा और आम रास्ता बंद है लेकिन सवाल आखिर कब तक. आखिर कब तक दिल्ली के बॉर्डर के करीब रहने वाले लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा. ये जानने के लिए एबीपी न्यूज की टीम सिंघु गांव पहुंची.
ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था नहीं, पैदल ही जाना पड़ रहा
सिंघु गांव उस सिंघु बॉर्डर के करीब बसा है जो पिछले ढाई महीने से इस आंदोलन का मुख्यालय है. जहां किसान आंदोलन की दिशा-दशा तय होती है. भविष्य के प्लान और रूपरेखा तैयार होती है. एबीपी न्यूज़ संवाददाता अजातिका सिंह ने सिंघु गांव के युवाओं से बात की. इसमें उनको होने वाली साफतौर नजर आई. ढ़ाई महीने से चल रहे आंदोलन से उसके करीब रह रहे लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. यहां के रहने वाले मनोज सिंह ने जो परेशानी बताई वो इस हाईवे से सटे गांव के हर शख्स की समस्या है.
मनोज ने बतया कि पहले जिस सफर में सिर्फ 15 मिनट लगते थे अब डेढ़ घंटा लगता है. कपड़े ,जूते नरेला से लाए हैं क्योंकि घर पर कोई डिलीवरी करने वाला नहीं आ रहा है. पैदल ही जाना पड़ता है. वहीं, विकास यादव ने कहा कि एक घंटे से चल रहे हैं, करीब 7 किलोमीटर पैदल चलना है. गणतंत्र दिवस के बाद से बहुत मुश्किल हो गया है.
किसान और सरकार के बीच ठप है बातचीत
किसान और सरकार के बीच बातचीत ठप पड़ी है. दोनों तरफ से बार-बार कहा जा रहा है कि वो बातचीत को तैयार है लेकिन वार्ता के लिए कोई पहले हाथ आगे बढ़ाने को तैयार नहीं. लेकिन आंदोलन के बीच आई ये सवाल भी उठता है कि स्थानीय लोगों की परेशानी की कोई सुध लेने वाला नहीं है.
26 जनवरी के बाद से ज्यादा हो रही दिक्क्त
दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बॉर्डर पर जारी किसानों के प्रदर्शन को ढाई महीने होने को आ गए हैं और 20 दिन पहले यानि गणतंत्र दिवस को हुए घटनाक्रम के बाद सिंधु बॉर्डर के चप्पे- चप्पे पर पुलिस की तैनाती है, कटीले तार और बैरिकेड लगे हैं. यहां तक कि कई जगह पर जेसीबी द्वारा बड़े बड़े गड्ढे भी ट्रैक्टरों , गाड़ियों इत्यादि को रोकने के लिए बना दिए गए हैं.
पांच गुना ज्यादा लग रहा समय
इससे सिंधु गांव का संपर्क मानो बाहरी दुनिया से टूट गया है. जहां 10 किलोमीटर का सफर करने में केवल 15 मिनट का समय लगता था, वहां ये रास्ता लोगों को पैदल चल कल पांच गुना समय ( डेढ़ घंटे) लगाना पड़ रहा है. सिंघू गांव के अभिजीत ने कहा कि कोई ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था नहीं है. परेशानी दोनों की वजह से है, पुलिस की व्यवस्था और किसान आंदोलन की वजह से.
अभिजीत का कहना है कि जेसीबी से बड़े-बड़े गड्ढे बना दिए गए हैं, कंटीले तार लग गए हैं. 26 जनवरी के बाद पुलिस ने जबरदस्त बैरिकेडिंग कर दी है. एंबुलेंस को अंदर आने में भी बहुत परेशानी होती है.
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