नई दिल्ली: सिंघु बॉर्डर पर किसानों की तरफ से बनाए जा रहे पक्के मकान के मामले में पुलिस ने किसानों के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज किए हैं. अलग-अलग विभागों से पुलिस को दो शिकायतें मिलीं. पुलिस ने निर्माण कार्य रुकवा दिया है. एनएचएआई और कुंडली नगर पालिका अधिकारियों की शिकायत के बाद निर्माण कार्य रुकवाया गया.
न सिर्फ सिंघु बॉर्डर पर बल्कि टिकरी बॉर्डर पर भी आंदोलनकारी किसानों ने परमानेंट हाउस (पक्का मकान) बनाया. यहां भी गर्मी के मौसम को देखते हुए किसानों ने घर बनाने का फैसला किया.
क्या है पूरा मामला?
गौरतलब है कि 100 से अधिक दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन चल रहा है. किसान ये साफ कर चुके हैं कि जब तक सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती है तब तक वे वापस नहीं जाएंगे. इसी बीच ऐसी तस्वीरें सामने आईं जहां प्रदर्शन वाली जगहों पर किसानों ने पक्के मकान बनाने शुरू कर दिए.
कुछ दिनों पहलें सिंघु बॉर्डर पर मौजूद एक किसान ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में कहा था कि जो सर्दी का मौसम था वो तो हमने निकाल लिया. फटी रजाई और कंबलों में हमने अपना समय निकाल लिया. लेकिन जो गर्मी का समय आ रहा है वो गरीब लोगों और किसी के लिए भी बहुत मुश्किल है. यहां मच्छर भी बहुत हैं. ऐसी स्थिति में अगर हम रहेंगे तो बीमारी की चपेट में आ जाएंगे. इसलिए हमने सोचा कि अपना रैन बसेरा बना लें.
वहां मौजूद एक शख्स ने बताया कि इसमें 60-70 लोग रह पाएंगे. 11 से 12 फुट की ऊंचाई होगी. ये ठंडा रहेगा और इसमें गर्मी कम लगेगी. नौ इंच की दीवार बना रहे हैं ताकि गर्मी कम हो सके. जब तक ये आंदोलन चलेगा तब तक बहुत सारे लोगों को यहां रहना पड़ेगा. ये माताओं-बहनों के लिए है. इसमें कितना खर्च आएगा, इसके जवाब में वहां मौजूद एक शख्स ने कहा कि दो मंजिला बनाने में खर्च तकरीबन साढ़े पांच से छह लाख रुपये आएगा. इसमें हम कूलर नहीं बल्कि एसी लगाएंगे. बिजली के लिए बिजली बोर्ड जाएंगे और कनेक्शन देने के लिए कहेंगे.
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