Farm Laws News: नरेंद्र मोदी सरकार ने शुक्रवार को तीनों कृषि कानून को वापस लेने का एलान कर लिया. केंद्र के इस फैसले से सिंघु बॉर्डर के आसपास रहने वाले लोगों और व्यापारियों ने राहत की सांस ली है. एक साल से अधिक समय से आंदोलन कर रहे किसानों ने सड़कें जाम कर दी थीं, जिसके कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा.
पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के हजारों किसान पिछले साल 26 नवंबर से दिल्ली सीमाओं पर तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे थे. पीएम मोदी ने शुक्रवार सुबह ऐलान किया कि केंद्र तीन कृषि कानूनों को निरस्त करेगा. 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद सत्र में कानून वापसी की प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाएगा. साथ ही एमएसपी से जुड़े मुद्दों को लेकर एक समिति का गठन किया जाएगा.
कारोबारी थे परेशान, अब कुछ उम्मीद
सिंघु बॉर्डर पर कंस्ट्रक्शन की दुकान चलाने वाले संदीप लोचन ने बताया कि कारोबार 10 प्रतिशत तक गिर गया है. उन्होंने कहा, 'पहले कोरोना वायरस ने कारोबार को प्रभावित किया. पिछले एक साल से, किसानों के विरोध के कारण मेरे व्यवसाय को और नुकसान हुआ है. पहले के मुकाबले व्यापार 10 प्रतिशत तक गिर गया है. कारोबार को पटरी पर आने में लगभग छह महीने से एक साल तक का समय लगेगा.'
सिंघु बॉर्डर के पास खटकड़ गांव के जयपाल शर्मा ने कहा कि अंदरूनी इलाकों में यातायात बढ़ने से सड़कें क्षतिग्रस्त हो गई हैं. दिल्ली परिवहन निगम के रिटायर्ड कर्मचारी शर्मा ने कहा कि कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा के बाद हमें उम्मीद है कि हमारा जीवन जल्द ही पटरी पर आ जाएगा.
दुकानों पर जमी धूल की मोटी परत
दिल्ली बॉर्डर के पास कई दुकानें बंद हैं. उनके शटर पर धूल की मोटी परत जम गई है. कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा के तुरंत बाद सिंघु बॉर्डर के विरोध स्थल पर जश्न शुरू हो गया, लेकिन कुछ किसानों ने कहा कि संसद द्वारा विधेयकों को रद्द करने और सरकार के उनकी अन्य मांगों को मानने तक आंदोलन जारी रहेगा. सिंघु बॉर्डर के पास बाइक स्पेयर पार्ट की दुकान चलाने वाले अमित गुप्ता ने कहा कि उन्होंने अपनी दुकान की जगह बदलने के बारे में भी सोचा था. उन्होंने बताया कि उनकी दुकान दो महीने तक पूरी तरह बंद रही.
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