नई दिल्लीः 21 जनवरी 2021 को 36 वर्षीय इंद्रपाल प्रह्लादपुर इंडस्ट्रियल एरिया की एक फैक्ट्री में काम करते हुए गम्भीर रूप से घायल हो गए. लगभग दोपहर के 2 बज रहे थे जब मशीन का एक हिस्सा उनके बाइने हाथ पर आ गिरा. हाथ की सभी हड्डियां टूट गईं और हाथ बाजू से अलग हो गया. जिस फैक्ट्री में इंद्रपाल काम कर रहे थे उसके मालिक, शरद कुमार का कहना है कि इंद्रपाल उन की फैक्ट्री में हादसे से दो दिन पहले ही काम पर लगा था. हादसा होने के बाद दो घण्टे के अंदर अंदर फैक्ट्री के मालिक ने इंद्रपाल को सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती करवा दिया.


ईन्द्रपाल के इलाज में कारगर परिणाम देने वाले डॉक्टर अनुभव गुप्ता का कहना है कि "मालिक द्वारा बरती गई सतर्कता से भी इंद्रपाल की जान बच पाई. दरअस्ल हाथ कटने के बाद उसे बर्फ में सही तरह से प्रिजर्व (बर्फ पर पहले साफ पॉलीथीन रख उस पर अंग को रखना) करने का कार्य फैक्ट्री के मालिक द्वारा किया गया था, और डॉक्टरों का कहना है की समय पर इंद्रपाल को भर्ती कराने की वजह से ही उसका हाथ बच पाया.


लगभग 6 घंटे की इस माईक्रवैस्कुलर सर्जरी में अन्य चीज़ों को जोड़ने का कार्य शरीर के सबसे अंदरूनी हिस्से से शुरू कर ऊपरी हिस्से तक किया जाता है. डॉक्टर अनुभव गुप्ता का कहना है कि उनके अस्पताल में हर महीने लगभग 8-10 मरीज आते ही हैं जिनका फैक्टरियों में काम करते हुए शरीर के किसी न किसी हिस्से का अंगछेदन हो जाता है. तो सवाल यही उठता है कि यह केस बाकियों से कैसे अलग है?


इंद्रपाल की अगर बात करें तो वह 7-10 दिन तक अस्पताल में आपरेशन के बाद भर्ती रहे और डॉक्टर गुप्ता का कहना है की 6 महीने से 1 साल के वक़्त में फिजियोथेरेपी करते रहने पर उनका हाथ एक बार फिरसे नॉर्मल हो जाएगा.


इस पूरे हादसे में फैक्ट्री के मालिक शरद कुमार का व्यवहार काबिलेतारीफ़ रहा, वह इंद्रपाल के साथ डटकर खड़े रहे. उन्होंने बताया कि पूरे इलाज का पैसा उनकी ही कम्पनी ने उठाया. इंद्रपाल के रेगुलर चेकप्स और महीने का घर चलाने का वेतन भी वह पहुंचा रहे है.


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