झोली फैला-फैला चंदा जुटाते थे सर सैयद अहमद खां, मदरसे से कॉलेज और फिर यूं AMU को मिली थी असल पहचान, यह है पूरी टाइमलाइन
Aligarh Muslim University: उत्तर प्रदेश की अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी इन दिनों फिर से एक बार चर्चा में है. इसको लेकर एक विवाद है जिसकी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हो रही है.
AMU Timeline: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी अल्पसंख्यक संस्थान है या नहीं, इसको लेकर विवाद है. सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की बेंच ने मंगलवार (09 जनवरी) को एएमयू के इस मामले को लेकर सुनवाई शुरू कर दी है. ये एक ऐसा विवाद है जो 57 साल पुराना है और इस पर अलग-अलग अदालतों की ओर से कई बार फैसला सुनाया जा चुका है.
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी अल्पसंख्यक संस्थान नहीं हो सकता. सुप्रीम कोर्ट में दायर लिखित दलील में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यूनिवर्सिटी हमेशा से ही राष्ट्रीय महत्व का संस्थान रहा है, यहां तक कि स्वतंत्रता से पहले भी ये राष्ट्रीय महत्व का ही था. इसकी स्थापना 1875 में हुई थी और स्थापना के समय बने कागजों में ही इसे राष्ट्रीय महत्व का संस्थान ही बताया गया है.
किसी शैक्षणिक संस्थान का अल्पसंख्यक चरित्र क्या होता है?
संविधान का अनुच्छेद 30 (1) सभी धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और प्रशासित करने का अधिकार देता है. इसके पहले क्लॉज में लिखा गया है कि जो भी अल्पसंख्यक हैं चाहे वो धर्म के आधार पर हों या भाषा के, वे अपनी मर्जी से शिक्षण संस्थानों की स्थापना कर सकते हैं. साथ ही इन संस्थानों के प्रशासन का अधिकार भी इन्हीं लोगों के हाथों में होगा.
क्या है अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का इतिहास
पीआरओ एएमयू अलीगढ़ के मुताबिक, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इतिहास पर अगर नजर डालें तो इसकी शुरूआत 24 मई 1875 में तब हुई जब सर सैयद अहमद खान ने मदरसातुल उलूम की स्थापना की. इसके बाद 7 जनवरी, 1877 को उन्होंने अलीगढ़ में मोहम्मडन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज की स्थापना की और इसे इस कॉलेज को उन्होंने ऑक्फोर्ड और कैंब्रिज यूनिवर्सिटी की तर्ज बनाया था.
फिर 27 अगस्त 1920 को मुस्लिम यूनिवर्सिटी का बिल पास हुआ. इसके बाद 9 सितंबर 1920 को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी बिल पास हुआ. 01 दिसंबर 1920 को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी स्थापित की गई और 17 दिसंबर 1920 को इसका उद्घाटन किया गया.
इस तरह किए पैसे इकट्ठे
डॉ. जुल्फिकार के मुताबिक, साल 1900 में कॉलेज को यूनिवर्सिटी में परिवर्तित करने के लिए मुस्लिम यूनिवर्सिटी एसोसिएशन का गठन किया गया. भारत सरकार ने इसे सूचना दी कि विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए 30 लाख रुपये इकट्ठे किए जाने चाहिए. इसके लिए एक मुस्लिम फाउंडेशन सोसायटी स्थापित की गई. जिसके तहत ये रुपये इकट्ठे किए गए.
इस समिति में मुसलमानों के साथ-साथ गैर मुस्लिम समाज ने भी योगदान दिया था. इसी भावना और प्रेम को देखते हुए सर सैयद अहमद खान ने कहा था कि हिंदू और मुसलमान भारत रूपी दुल्हन की दो सुंदर आंखें हैं.
ये भी पढ़ें: अनुच्छेद 370 पर फैसले के खिलाफ SC में पुर्नविचार याचिका दाखिल, किन दलों ने उठाया कदम?