दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने केंद्र सरकार को एक पत्र लिखकर सुझाव दिया है कि सीबीएसई किस तरह 12वीं कक्षा के छात्रों का मूल्यांकन कर अंक निर्धारित कर सकती है. कोविड महामारी के चलते सीबीएसई 10वीं के साथ 12वीं की परीक्षाएं भी स्थगित कर चुकी है. अब सबसे बड़ा सवाल यही सामने आ रहा है कि किस आधार पर छात्र-छात्राओं को नंबर दिए जाएं.


मनीष सिसौदिया ने अपने सुझाव में ये लिखा है


मनीष सिसोदिया ने अपने पत्र में लिखा कि किस फार्मूले के तहत 12वीं के छात्रों को नंबर दिए जा सकते हैं. सिसौदिया ने लिखा की 12वीं के छात्रों को उनके पूर्व प्रदर्शन के आधार पर नंबर दिए जाएं जिसमें 11वीं कक्षा के फाइनल एग्जाम और 10वीं में हासिल किए नंबरों को भी आधार बनाया जाए. सिसोदिया ने लिखा कि 12वीं में दिए गए प्री-बोर्ड और प्रैक्टिकल के साथ साथ 11वीं कक्षा के फाइऩल एग्जाम में हासिल हुए नंबर और 10वी बोर्ड में हासिल किए गए नंबरों का एक आधार बनाकर 12वीं बोर्ड के अंक तैयार करने चाहिए. सिसोदिया दिल्ली शिक्षा मंत्री भी हैं और उन्होंने ये पत्र केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल को लिखा है. सिसोदिया ने ये भी कहा कि केंद्र को "प्लस या माइनस फाइव मार्क्स" की मॉडरेशन सीमा भी तय करनी चाहिए. गौरतलब है कि सीबीएसई की मार्कस मॉडरेशन को लेकर एक पहले से प्रक्रिया है.


केंद्र ने सीबीएसई 12वीं की परीक्षा रद्द कर दी थीं


कोविड महामारी के चलते बच्चों को संक्रमण से बचाने की गर्ज से काफी सोच विचार के बाद केंद्र सरकार ने 1 जून को 12वीं की परीक्षाएं रद्द कर दी थीं. इसके बाद ये कहा गया था कि एक तय समय सीमा के अंदर ऐसा प्रारूप तय किया जाएगा जिसके आधार पर छात्रों को सही नंबर दिए जा सकें. इस को लेकर केंद्र सरकार ने 4 जून को एक टीम भी गठित की थी. इसी टीम में 13 लोगों को शामिल किया गया जिनके ऊपर छात्रों को नंबर दिए जाने का आधार और प्रक्रिया बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.


सिसोदिया ने प्रतिशत गणना का भी सुझाव दिया है


मनीष सिसोदिया ने कहा कि सुझाव केंद्र सरकार को देने से पहले उंहोने कई शिक्षाविदों से इस पर राय ली और फिर एक फार्मूला पेश किया. सिसोदिया ने ये भी सुझाव दिया कि 11वीं की फाइनल परीक्षा और 12वीं के प्री-बोर्ड और प्रैक्टिक्ल के साथ 10वीं की  परीक्षा में हासिल किए नंबरों को प्रतिशत में किस तरह बांट सकते हैं. सिसोदिया ने 12वीं के प्री-बोर्ड को 30 प्रतिशत, 11वीं के फाइनल एग्जाम अंकों को 20 प्रतिशत और दसवीं की परीक्षा में हासिल नंबरों को 20 प्रतिशत महत्व दिए जाने की बात कही बाकी के बचे 30 प्रतिशत नंबर स्कूल द्वारा कराए गए प्रैक्टिकल मार्कस से निर्धारित किए जाने का सुझाव दिया.


अब देखना ये होगा कि केंद्र सरकार और सीबीएसई सिसोदिया के इस फार्मूले पर विचार करती है या नहीं. क्योंकि सीबीएसई ने अपनी टीम के आधार पर भी मूल्यांकन का आधार बनाना शुरू कर दिया है. ऐसे में सिसोदिया के सुझाव कितने कारगर हैं ये तो वक्त ही बताएगा.


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