लखनऊ: कानपुर के मंडलायुक्त (कमिश्नर) रहे वरिष्ठ आईएएस अधिकारी इफ्तिखारुद्दीन मामले में एसआईटी ने सोमवार को अपनी जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी है. एसआईटी में शामिल एक अफसर के मुताबिक रिपोर्ट में इफ्तिखारुद्दीन पर सरकारी आवास में वर्ष 2014 से 17 के बीच धर्मांतरण को लेकर सभाएं करने का आरोप सही साबित हुआ है. यह बात सामने आई है कि इफ्तिखारुद्दीन ने आपत्तिजनक कंटेंट से जुड़ी दो नहीं बल्कि सात किताबें लिखी थीं. रिपोर्ट में कई अहम खुलासे किए गए हैं, जिनके आधार पर इफ्तिखारुद्दीन पर शिकंजा कसना तय है.


बीते माह यूपी के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी और उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन (UPSRTC) के चेयरमैन इफ्तिखारुद्दीन से जुड़े कुछ वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुए थे. इनमें हिन्दू धर्म के खिलाफ अपमानजनक बातें कहीं जा रही थीं. साथ ही धर्म विशेष से जुड़ने के फायदे बताए जा रहे थे. वीडियो वायरल की शिकायत कानपुर के समाजसेवी भूपेश अवस्थी ने मुख्यमंत्री कार्यालय में करते हुए जांच की मांग की थी. 


मामले की गंभीरता को देखते हुए शासन ने डीजी सीबीसीआईडी जीएल मीना की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन किया था. लगभह बीस दिन की जांच के बाद एसआईटी ने रिपोर्ट शासन को सौंप दी है. शासन के सूत्रों की मानें तो एसआईटी को जांच में कई ऐसे सुबूत मिले हैं, जो इफ्तिखारुद्दीन पर लगे आरोपों को सही साबित कर रहे हैं. एसआईटी ने इफ्तिखारुद्दीन द्वारा लिखे आपत्तिजनक कंटेंट से जुड़े साहित्य को भी जांच रिपोर्ट का हिस्सा बनाया है. इस साहित्य में न सिर्फ हिंदू धर्म की गलत तरीके से व्याख्या की गई है, बल्कि कुरान की आयतों के भी गलत अर्थ निकाले गए हैं. 


यह भी पता चला है कि इन आपत्तिजनक पुस्तकों को सीवान के एक प्रिंटिंग प्रेस में छापा गया है. एसआईटी को इफ्तिखारुद्दीन के कानपुर मंडलायुक्त रहने के दौरान के धार्मिक आयोजनों के 67 वीडियो मिले हैं. इनकी ट्रांसक्रिप्ट तैयार करके रिपोर्ट में दर्ज किया गया है. सरकारी बंगले में धर्मांतरण और कट्‌टरता की पाठशाला चलाने वाले सीनियर आईएएस अफ़सर मो. इफ्तिखारुद्दीन के मामले में एसआईटी ने 207 पन्नों की रिपोर्ट शासन को सौंपी है. 207 पन्नों की रिपोर्ट में लगभग 20 पन्नों में इफ़्तिख़ारुद्दीन का बयान दर्ज किया गया है.


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