Ram Temple Pran Pratishtha Ceremony: अयोध्या में अगले साल 22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए देशभर की कई जानी-मानी हस्तियों को निमंत्रण दिया गया है. सीपीआईएम के महासचिव सीताराम येचुरी को भी इस समारोह में शामिल होने के लिए निमंत्रण दिया गया. हालांकि, येचुरी ने मंगलवार (26 दिसंबर) को इस कार्यक्रम में शामिल होने से इनकार कर दिया.
सीपीआईएम नेता ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि धर्म एक व्यक्तिगत पसंद है, जिसे सियासी फायदे के औजार में नहीं बदला जाना चाहिए. सीपीआईएम की ओर से माइक्रोब्लॉगिंग साइट एक्स पर कहा गया कि कॉमरेड सीताराम येचुरी निमंत्रण मिलने के बावजूद समारोह में शामिल नहीं होंगे.
'BJP और RSS ने बनाया राज्य प्रायोजित कार्यक्रम'
येचुरी ने बयान जारी करते हुए कहा, 'सीपीआईएम की नीति धार्मिक मान्यताओं का सम्मान करना और प्रत्येक व्यक्ति के अपने विश्वास को आगे बढ़ाने के अधिकार की रक्षा करना है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बीजेपी और आरएसएस ने एक धार्मिक समारोह को सीधे राज्य प्रायोजित कार्यक्रम में बदल दिया है, जिसमें प्रधानमंत्री, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और अन्य संवैधानिक पदों के लोग शामिल होंगे.'
उन्होंने कहा, 'भारत में एक बुनियादी सिद्धांत है कि संविधान के तहत देश की सरकार का कोई धार्मिक संबंध नहीं होना चाहिए. इसे सुप्रीम कोर्ट ने भी दोहराया है. इस कार्यक्रम के आयोजन में सत्तारूढ़ पार्टी की ओर से इसका उल्लंघन किया जा रहा है.'
VHP ने साधा निशाना
वहीं, प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आने से इनकार करने को लेकर विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने सीताराम येचुरी पर निशाना साधा. वीएचपी ने कहा कि अगर वह राम, रामत्व और भारत की ओर लौट जाते हैं तो यह उनके हित में होगा. विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने 'एक्स' पर लिखा, ''खबर है कि सीताराम नाम वाले सज्जन अयोध्या नहीं जाएंगे.''
उन्होंने कहा, ''राजनीतिक विरोध समझ में आता है, लेकिन अगर किसी को उनके नाम से ही इतनी घृणा है तो वह केवल कम्युनिस्ट हो सकते हैं.'' बंसल ने वीडियो जारी कर एक बयान में कहा कि येचुरी की पार्टी की प्रतिबद्धता अलग हो सकती है, लेकिन यह साफ नहीं है कि सीपीआईएम महासचिव का विरोध भगवान राम से है या अपने ही नाम से है.
(इनपुट पीटीआई से भी)
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