Bharat Ki Baat में जानिए कश्मीर में कैसे पूरी हुई शांति की 'सेंचुरी', बुलंदियों की घाटी फिर हुई आबाद
कश्मीर के श्रीनगर में मुख्य बाजार खुलने लगे हैं. सड़कों पर भारी ट्रैफिक है. बनिहाल-बारामुला के बीच ट्रेन भी चलने लगी है. सभी अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्र खुले हैं. जल्द ही घाटी में इंटरनेट सेवाएं चालू होंगी और कहीं भी पूरी तरह धारा 144 लागू नहीं है. लिहाजा साफ कहा जा सकता है कि घाटी में हालात सामान्य हो रहे हैं.
नई दिल्लीः कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटे 100 दिन से ज्यादा हो गए हैं. आज शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन संसद में सवाल उठा कि क्या अब तक वहां सबकुछ सामान्य हो पाया है तो इसका जवाब बड़ा ही जोरदार आया. गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि कश्मीर में अब बंदिशें नहीं हैं. बाजार खुल रहे हैं, लोग एक दूसरे से घुल-मिल रहे हैं, दिल मिल रहे हैं और कुछ दिनों में इंटरनेट भी चलने लगेगा. फिलहाल पोस्टपेड फोन चल रहे हैं, स्कूल खुल रहे हैं, आतंक के दिन ढल रहे हैं.
बाजारों में भीड़ आने लग गई है, दुकानें चमचमाने लग गईं हैं और पिछले 100 दिनों में हिंसा की घटनाओं में भी कमी आई है. तो माना यही जाए कि 370 हटाने से कश्मीर का हित हुआ और ऐसी स्थिति में जब संसद ये पूछा गया कि हालात सामान्य कब होंगे तो गृहमंत्री ने दो टूक जवाब दिया है. उन्होंने बताया कि कर्फ्यू लिफ्ट किया जा चुका है. दिन के उजाले में धारा 144 के बंधन से भी घाटी आजाद है. साफ है कि 370 हटने के 100 बाद भी शांति की शपथ के साथ बरक्कत की कालीन पर चलते हुए कश्मीर ने कह दिया कि हम अपना हित और अहित समझते हैं. आज गृहमंत्री ने राज्यसभा में साफ कर दिया कि घाटी के किसी भी इलाके में धारा 144 लागू नहीं है. रही बात इंटरनेट की तो वो भी जल्द खोल दिया जाएगा, इस बात भी एलान लोकतंत्र के मंदिर से हो गया.
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इंटरनेट की तंरगों को घाटी में दौड़ने का पूरा मौका दिया जाएगा, बस एक बार वहां का प्रशासन रिपोर्ट दे दे तो घाटी को इंटरनेट से ज्यादा दिन दूर नहीं रखा जा सकता. प्रधानमंत्री मोदी ने खुद धीरे-धीरे सहूलियतों का एलान कर रखा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 4 महीने में सबकुछ ठीक होने की बात कही थी और हालात सामान्य हुए कितने इस पर नजर डालिए-
घाटी के सभी 20,411 स्कूल खोले जा चुके हैं.
10वीं और 12वीं की परीक्षा में 99.7 % छात्रों की मौजूदगी रही.
सभी 93,247 लैंडलाइन फोन चालू हो चुके है.
59 लाख मोबाइल चालू किए जा चुके है.
इसके अलावा श्रीनगर में मुख्य बाजार भी खुलने लगे हैं. सड़कों पर भारी ट्रैफिक देखने को मिल रहा है. बनिहाल-बारामुला के बीच ट्रेन भी चलने लगी है, घाटी के सभी अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्र खुले हैं. जल्द ही घाटी में इंटरनेट सेवाएं चालू होंगी और कहीं भी पूरी तरह धारा 144 लागू नहीं है.
गुलाम नबी आजाद-अमित शाह के बीच तीखी नोकझोंक हुई अब सिर्फ इंटरनेट की कसर रह गई है, जिसको लेकर ही कांग्रेस के कश्मीरी नेता गुलाम नबी आजाद और गृहमंत्री अमित शाह के बीच तीखी नोकझोंक भी हो गई. इस दौरान एक वक्त ऐसा भी आया जब कश्मीर पर पेश किए जा रहे आकंड़ों के दौरान गुलाम नबी आजाद ने अमित शाह को टोकने की कोशिश की, कश्मीर के आंकड़ों को नकारने की कोशिश की और फिर शीतकालीन सदन में भी गर्मी का एहसास होने लगा. आजाद ने इंटरनेट बंद होने पर सवाल उठाए तो अमित शाह ने जवाब दिया कि स्थानीय प्रशासन के कहने पर इंटरनेट पर फैसला किया जाएगा.
घाटी में चल रही है ट्रेन, खुल रहे हैं बैंक इसके साथ ही गृह मंत्री अमित शाह ने कड़े शब्दों में बताया कि अब गाड़ियां तो छोड़िए कश्मीर घाटी में ट्रेन तक पटरी पर लौट आई है. बनिहाल-बारामुला ट्रेन चलने गई है. गृहमंत्री ने भी बताया और सच यही है कि 5 अगस्त को 370 हटने के कुछ दिन बाद से ही बैंक खुल गए थे, पैसे मिल रहे थे.
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16 अगस्त से ही बैंक अपना काम करने लग गए, जबकि देश विरोधियों ने जानबूझ कर ये फैलाया कि कश्मीर में सभी सरकारी ऑफिस बंद हैं, ताकि अफरातफरी का माहौल बनाया जा सके और ऐसा ही माहौल स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भी बनाने की कोशिश हुई तो उसका भी जवाब आज दे दिया गया. जब गृहमंत्री से स्वास्थ्य सेवाओं के लिए पुख्ता भरोसा मिला तो पीडीपी सांसद भी खुद को मेज पर थपकी देने से रोक नहीं पाए. गृहमंत्री ये भी बताया कि
घाटी के सभी अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्र खुले हैं
दुकानों और अस्पतालों में पर्याप्त संख्या में दवा मौजूद है
दवाईयों के लिए मोबाइल वैन शुरू की गई है
श्रीनगर शहर में सितंबर में 60.67 लाख लोगों ओपीडी में डाक्टरों को दिखाया जो संख्या अक्टूबर में बढ़कर 60.91 लाख हो गई.
यानि धारा 370 हटाने के बाद अस्पतालों में ज्यादा मरीज पहुंचे और उन्हें इलाज में कोई दिक्कत नहीं आई, क्योंकि अस्पताल तो कभी बंद हुए ही नहीं थे. कश्मीर में अस्पताल खुले थे और खुले रहेंगे, सेवाएं जारी थी, हैं और हमेशा जारी रहेंगी. लेकिन हां जो भी भ्रम और अफवाह की कच्ची दीवार के सहारे वोटों की मीनार खड़ी करने की कोशिश कर रहे थे वो अब नहीं कर पाएंगे, क्योंकि 370 हटने के 100 दिन बाद ये साफ हो गया है कि कश्मीर में नफरतों के तूफान को रोक दिया है.