श्रीनगर: प्रशासन ने कश्मीर घाटी में लॉ एंड ऑर्डर बनाए रखने और हिंसक घटनाओं पर रोक लगाने के लिए रविवार को कर्फ्यू लगा दिया. हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर सबजार अहमद भट को आधी रात में त्राल में उसके पैतृक गांव में दफना दिया गया, जिसमें बड़ी संख्या में लोग जुटे. प्रशासन का कहना है कि रविवार को श्रीनगर के सात पुलिस थाना क्षेत्रों नौहट्टा, रेनवाड़ी, खानयार, एम आर गंज, सफा कदल, क्रालखड और मैसूमा में कर्फ्यू लगाया गया. शहर में सुबह वाहनों की आवाजाही पर भी रोक लगा दी गई है.
पत्थरबाजों और सुरक्षाबलों के बीच हिंसक झड़प में एक की मौत
श्रीनगर में किसी भी तरह की हिंसक घटना को रोकने के लिए सुरक्षाबलों की भारी तैनाती की गई है. यहां शनिवार को पत्थरबाजों और सुरक्षाबलों के बीच हिंसक झड़प में एक की मौत हो गई थी जबकि 40 घायल हो गए थे. जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के अध्यक्ष यासीन मलिक को रविवार को गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें श्रीनगर की जेल ले जाया गया. मलिक ने शनिवार को त्राल के रुतसाना में सबजार भट के घर का दौरा किया था और उसकी मां से संवेदना जताई थी.
हिजबुल कमांडर सबजार भट को आधी रात के बाद उसके पैतृक गांव रुतसाना में कड़ी सुरक्षा के बीच दफना दिया गया. इस मौके पर विभिन्न इलाकों से बड़ी संख्या में लोग पहुंचे. त्राल के सैमोह गांव को शनिवार को सुरक्षाबलों द्वारा घेरे जाने के बाद प्रदर्शनकारियों ने इस घेरे को तोड़ने का प्रयास किया, जिसमें एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई. इसी स्थान पर हिजबुल कमांडर सबजार अहमद भट और उसके साथी छिपे हुए थे. अन्य जगहों पर हुई झड़पों में 40 लोग घायल हो गए जिसमें 28 प्रदर्शनकारी और 12 सुरक्षाकर्मी हैं.
गांदरबल, बडगाम, बांदीपोरा और कुपवाड़ा में धारा 144
घायल प्रदर्शनकारियों में से आठ को गोलियां लगी हैं जबकि सात को पेलेट गोलियां लगी हैं और इन्हें श्रीनगर के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है. उत्तरी कश्मीर के गांदरबल, बडगाम, बांदीपोरा और कुपवाड़ा में धारा 144 लगाई गई है जबकि दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग, कुलगाम, पुलवामा और शोपियां में भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. दक्षिण कश्मीर के विभिन्न स्थानों से बड़ी संख्या में लोग शनिवार को भट और उसके साथी फैजान की अंतिम यात्रा में शरीक हुए. प्रशासन ने शनिवार को मोबाइल फोन पर इंटरनेट सेवा बंद कर दी जबकि प्रीपेड मोबाइल फोन पर आउटगोइंग कॉल भी बंद कर दी गई.
रविवार सुबह सभी मोबाइल फोनों पर इनकमिंग और आउटगोइंग कॉल बंद कर दी गईं. फिलहाल, सिर्फ पोस्टपेड बीएसएनएल मोबाइल फोन ही काम कर रहे हैं. बारामूला से बनिहाल के बीच रेल सेवाएं बंद हैं. रविवार को होने वाली सिविल सर्विस परीक्षाएं भी रद्द कर दी गई हैं. कश्मीर घाटी में सोमवार को सभी शैक्षणिक संस्थानों को बंद रखने के आदेश हैं. अलगाववादियों ने रविवार और सोमवार को बंद का आह्वान किया है और मारे गए हिजबुल कमांडर भट की याद में 30 मई को 'मार्च टू त्राल' का आह्वान किया है.
घृणित युद्ध को नए तरीके से लड़ने की है जरूरत: जनरल बिपिन रावत
सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने युवा अधिकारी द्वारा कश्मीरी व्यक्ति का इस्तेमाल मानव ढाल के रूप में किए जाने का पुरजोर बचाव करते हुए कहा है कि जम्मू-कश्मीर में भारतीय सेना ‘घृणित युद्ध’ का सामना कर रही है, जिसे ‘नये’ तरीके से लड़ने की जरूरत है. रावत ने कहा कि मेजर लीतुल गोगोई को सम्मानित करने का मुख्य उद्देश्य बल के युवा अधिकारियों का मनोबल बढ़ाना था जो आतंकवाद प्रभावित राज्य में बहुत मुश्किल परिस्थितियों में काम करते हैं. गोगोई के खिलाफ इस मामले में कोर्ट ऑफ इंक्वारी जारी है.
रावत ने कहा, ‘‘यह क्षद्म युद्ध है और क्षद्म युद्ध घृणित लड़ाई होती है. इसे घृणित तरीके से अंजाम दिया जाता है. संघर्ष के नियम तब लागू होते हैं जब विरोधी पक्ष आपसे आमने सामने लड़ता है. यह घृणित युद्ध है.ऐसे समय में नये तरीकों का जन्म होता है. आप नये तरीकों से घृणित युद्ध लड़ते हैं.’’
पिछले महीने एक व्यक्ति को सेना की जीप से बांधने और पथराव करने वालों के खिलाफ उसका इस्तेमाल मानव कवच के रूप में करने वाले गोगोई को सेना प्रमुख ने सम्मानित किया था, जिसकी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, कश्मीरी समूहों और सेना के कुछ सेवानिवृत्त जनरलों ने आलोचना की थी. कश्मीरी व्यक्ति के मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल का वीडियो वायरल होने के बाद विवाद शुरू हो गया था और बड़ी संख्या में लोग इस घटना की निंदा कर रहे थे.
बस इंतजार करिए और जान दे दीजिए?
जनरल रावत ने कहा, ‘‘लोग हम पर पथराव कर रहे हैं, पेट्रोल बम फेंक रहे हैं. ऐसे में जब मेरे कर्मी मुझसे पूछते है कि हम क्या करें तो क्या मुझे यह कहना चाहिए कि बस इंतजार करिए और जान दे दीजिए? मैं राष्ट्रीय ध्वज के साथ एक अच्छा ताबूत लेकर आउंगा और सम्मान के साथ शव को आपके घर भेजूंगा. प्रमुख के तौर पर क्या मुझे यह कहना चाहिए? मुझे वहां तैनात सैनिकों को मनोबल बनाए रखना है.’’
जनरल रावत ने कहा, ‘‘वास्तव में मैं चाहता हूं कि ये लोग हम पर पथराव करने की बजाय हथियार चलाएं. तब मैं खुश होता. तब मैं वह करता जो मैं (करना चाहता हूं).’’ जम्मू कश्मीर में लंबे समय तक काम कर चुके जनरल रावत ने कहा कि किसी भी देश में लोगों में सेना का भय खत्म होने पर देश का विनाश हो जाता है. उन्होंने कहा, ‘‘विरोधियों को आपसे डरना चाहिए और आपके लोगों में भी आपका भय होना चाहिए. हमारी मित्रतापूर्ण व्यवहार रखने वाली सेना हैं लेकिन कानून-व्यवस्था बहाल करने से जुड़ा सवाल आने पर लोगों में हमारा भय होना चाहिए.’’ उन्होंने कहा कि घाटी में किसी भी स्थिति से निपटते समय अधिकतम संयम का परिचय दिया जाता है.
जनरल रावत ने कहा, ‘‘सेना प्रमुख के रूप में सेना का मनोबल मेरे लिये सबसे जरूरी है. वह मेरा काम है. मैं लड़ाई के मैदान से बहुत दूर हूं. मैं वहां परिस्थितियों को प्रभावित नहीं कर सकता. मैं केवल जवानों से यह कह सकता हूं कि मैं आपके साथ हूं. मैं हमेशा अपने लोगों से कहता हूं कि चीजें गलत हो सकती हैं लेकिन अगर ऐसा हुआ और आपका इरादा दुर्भावनापूर्ण नहीं है तो मैं वहां (हालात संभालने के लिये) हूं.’’
सुरक्षा बलों के बीच विश्वास तोड़ने की साजिश
सेना प्रमुख ने कहा कि विभिन्न सुरक्षा बलों के बीच विश्वास तोड़ने की साजिश की जा रही है और मतदान एजेंट के सुरक्षा मांगने पर मेजर गोगोई सुरक्षा उपलब्ध कराने से इनकार नहीं कर सकते थे. उन्होंने कहा कि कल अनंतनाग में चुनाव होना है और ऐसी चीजें हो सकती हैं. अगर सहायता मांगने पर सेना मदद नहीं करती है तो लोगों, पुलिस और सेना के बीच का विश्वास टूटेगा. जनरल रावत ने कहा, ‘‘मैं ऐसा नहीं होने दूंगा. आतंकवादी यही चाहते हैं. यह चीज सेना और अन्य सुरक्षा बलों को बांट सकती है.’’
सेना प्रमुख जनरल रावत ने कहा कि उनको इस बात का अच्छी तरह अंदाजा है कि गोगोई के मामले से जुड़ी कोर्ट ऑफ इन्क्वॉयरी में क्या चल रहा है और इसीलिए उन्होंने मेजर को पुरस्कृत किया. उन्होंने कहा, ‘‘मैं जानता हूं कि कोर्ट ऑफ इन्क्वॉयरी में क्या चल रहा है. यह पूरी होने की स्थिति में है. हम क्या चीज के लिए उन्हें दंडित करेंगे.’’ उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों के पास भी आत्मरक्षा का अधिकार है और मेजर गोगोई भीड़ पर गोलीबारी का विकल्प भी अपना सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.
पूरे कश्मीर में नियंत्रण से बाहर चली गयी है स्थिति
सेना प्रमुख ने कहा कि दक्षिण कश्मीर के चार जिले ही अशांत हैं और यह कहना गलत है कि पूरे कश्मीर में स्थिति नियंत्रण से बाहर चली गयी है. कश्मीर मुद्दे के समाधान के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘इसके ठोस समाधान की जरूरत है. हर किसी को शामिल होने की जरूरत है. सेना की भूमिका यह सुनिश्चित करना है कि हिंसा ना हो और इसमें (हिंसा में) हिस्सा नहीं लेने वाले आम लोगों की रक्षा की जाए.’’
उन्होंने घुसपैठ रोकने और आतंकवाद से निपटने के लिए कड़े कदम उठाने पर जोर दिया. सेना प्रमुख ने इस बात पर भी आश्चर्य प्रकट किया कि सेना के युवा अधिकारी लेफ्टिनेंट उमर फयाज की हत्या पर इतनी बातें क्यों नहीं की गयी, जबकि उस दौरान फयाज छुट्टी पर थे. कश्मीरी लोगों से संपर्क के लिए राजनीतिक पहल के बारे में पूछे जाने पर जनरल रावत ने कहा कि यह सरकार को तय करना है. उन्होंने कहा कि पूर्व में भी ऐसी पहल की जा चुकी है. एक अन्य सवाल के जवाब में सेना प्रमुख ने कहा कि वह पाकिस्तान के साथ ‘सीमित युद्ध’ का पूर्वानुमान नहीं प्रकट रहे हैं.