पुष्कर सिहं धामी फिर से होंगे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री. वे राज्य की खटीमा सीट से चुनाव लड़ें थे, लेकिन कड़े मुकाबले में वे चुनाव हार गए. राज्य में पार्टी की जीत के बाद ये सवाल पैदा हो गया कि कौन होगा अब मुख्यमंत्री ? लेकिन पार्टी ने एक बड़ा नीतिगत बदलाव किया और हारे हुए उम्मीदवार पुष्कर धामी को फिर से मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लिया. आम तौर पर हारे हुए उम्मीदवार को मंत्री या मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाता था. 


हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में प्रेम कुमार धूमल खुद चुनाव हार गए थे, जबकि वहां भी पार्टी चुनाव जीत गई थी, लेकिन तब धूमल को मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया था, लेकिन अब बड़ा नीतिगत बदलाव कर बीजेपी ने पुष्कर धामी को हार के बावजूद मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लिया है.


धामी के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके लिए सीट भी इफरात में उपलब्ध है. छह विधायक पहले ही अपनी सीट धामी के लिए छोड़ने का प्रस्ताव दे चुके हैं. चंपावत के विधायक कैलाश गहटोदी और कपकोट के विधायक सुरेश गाड़िया के अलावा चार अन्य विधायकों ने मुख्यमंत्री को अपना समर्थन दिया और उनके लिए अपनी सीट छोड़ने की पेशकश की. खानपुर के निर्दलीय विधायक उमेश शर्मा भी अपनी सीट छोड़ने का लिखित प्रस्ताव धामी को दे चुके हैं, जबकि डीडीहाट सीट से विधायक और पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बिशन सिंह चूफाल को अगर राज्यसभा भेजा जाता है, तो ये बीजेपी और पुष्कर सिंह धामी के लिए सबसे सुरक्षित सीट हो सकती है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक धामी इस सीट से चुनाव लड़ सकते हैं.


फिलहाल पुष्कर धामी ने राज्यपाल गुरमीत सिंह से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया है. धामी का शपथ ग्रहण समारोह 23 मार्च को देहरादून के परेड ग्राउंड में होगा.


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