Presidential Election 2022: इसे राजनीति में आदिवासी समाज के लगातार बढ़ते दखल का ही नतीजा माना जाएगा कि एनडीए (NDA) ने राष्ट्रपति पद (Presidential Election) के लिए खांटी आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) को अपना प्रत्याशी बनाया है. अब बीजेपी (BJP) अपने इस आदिवासी कार्ड का इस्तेमाल राज्यों में भी करने की योजना बना रही है इसलिए राजस्थान के आदिवासी विधायक और सांसद मुर्मू के नामांकन के प्रस्तावक बनाए गए हैं.


दरअसल राजस्थान में साल 2023 के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं और यहां बीजेपी आदिवासी सीटों पर ज्यादा मजबूत नहीं है. इसलिए बीजेपी राजस्थान की सत्ता में वापसी के लिए आदिवासी वोट बैंक पर नजरें जमाये हुए है. दो सौ सदस्यों वाली राजस्थान विधानसभा में अभी कुल तैंतीस विधायक आदिवासी हैं. वैसे तो आदिवासी समाज यानी एसटी की राजस्थान में कुल 25 सीट रिजर्व हैं लेकिन सामान्य की आठ सीटों पर भी पिछले चुनाव में आदिवासी समाज के प्रत्याशी जीते थे.


राजस्थान के किन जिलों में आदिवासी विधायकों के लिए रिजर्व हैं सीटें
इन 33 में से कांग्रेस के 17 और बीजेपी के 09 विधायक हैं. अन्य जीते हुए आदिवासी विधायकों की संख्या सात है. राजस्थान के उदयपुर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर और प्रतापगढ़ जिले में आदिवासी विधायकों की सर्वाधिक सीटें रिजर्व हैं. बीजेपी और कांग्रेस दोनों का फोकस राज्य की आदिवासी सीटों पर है. इस फोकस को इन बातों के जरिए भी समझा जा सकता है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस साल मई के अंतिम हफ्ते में राजस्थान के दौरे पर आने वाले थे लेकिन उनका ये दौरा टल गया है.


राजस्थान दौरे पर आए थे बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा
इससे पहले बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी राजस्थान के दौरे पर आए थे. उन्होंने भी राज्य के आदिवासी बाहुल्य जिला सवाई माधोपुर के आदिवासी सम्मेलन में हिस्सा लिया था. कांग्रेस की नजर किस तरह आदिवासी वोट बैंक पर है इसको ऐसे समझा जा सकता है कि कांग्रेस ने अपने राष्ट्रीय नेताओं को उदयपुर बुलाकर तीन दिन की चिंतन बैठक मई के महीने में ही की थी.


इस दौरान  राहुल गांधी की आदिवासी बाहुल्य जिला बांसवाड़ा में आम सभा हुई और वो आदिवासी समाज के तीर्थ कहे जाने वाले डूंगरपुर के शिव मंदिर में दर्शन के लिए भी गए. कांग्रेस ने ये कवायद इसलिए की ताकि वो आदिवासी समाज को उसके साथ होने का संदेश दे सकें. इसके अलावा कांग्रेस ने आदिवासी समाज की धुरी कहे जाने वाली भारतीय ट्राइबल पार्टी के दो विधायकों को भी पूरी तरह अपने साथ ले रखा है.


कांग्रेस और राज्य के सीएम अशोक गहलोत का ही प्रभाव कहा जाएगा कि ट्राइबल पार्टी के इन दो विधायकों ने अपनी पार्टी के व्हिप की परवाह किए बिना राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को वोट दिए. ये दोनों विधायक किसी पद पर नहीं होने के बाद भी गहलोत सरकार को अपना समर्थन दे रहे हैं.


राजस्थान बीजेपी ने आदिवासी विधायकों को बनाया मुर्मू का प्रस्तावक
बीजेपी ने कांग्रेस के आदिवासी समाज पर बनी इस पकड़ को तोड़ने के लिए तय किया कि राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार मुर्मू के प्रस्तावक राजस्थान के पांच आदिवासी विधायक और एक आदिवासी सांसद होंगे. इन पांच विधायकों फूल सिंह मीणा, अमृत लाल मीणा, बाबूलाल खराड़ी, समाराम गरासिया और कैलाश मीणा को नामांकन के दो दिन पहले ही दिल्ली पहुंचने के निर्देश दे दिए गए हैं. इनके अलावा उदयपुर सांसद अर्जुन लाल मीणा भी मुर्मू के प्रस्तावक बने हैं.


अलग अलग आदिवासी संगठन राजस्थान (Rajasthan) में उनके समाज की लगभग पैंसठ सीटों पर असर होने का दावा करते रहे हैं. अब दावे अपनी जगह हैं लेकिन ये तो साफ है कि राज्य में आदिवासी समाज की राजनीतिक पकड़ और असर तो बढ़ ही रही है. ऐसे में बीजेपी (BJP) और कांग्रेस (Congress) दोनों ही पार्टी इस समाज को अपना बनाने की होड़ में जुटीं हैं.


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