Bharat vs India Row: जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले विदेशी नेताओं के आधिकारिक निमंत्रण में 'प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया' की जगह पहली बार 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' शब्द का इस्तेमाल किया गया है. मेगा कार्यक्रम की मेजबानी से पहले यह अंतरराष्ट्रीय मंच पर उपयोग होने वाली शब्दावली में एक महत्वपूर्ण बदलाव है.
भले ही सरकार ने जी20 शिखर सम्मेलन के आमंत्रण में भारत शब्द का इस्तेमाल किया है, लेकिन सरकार की कई योजनाओं के नाम में इंडिया और भारत दोनों शब्दों का उपयोग होता है.
इंडिया नाम से मोदी सरकार की योजनाएं
मोदी सरकार की जिन योजनाओं में इंडिया का इस्तेमाल किया है, उनमें खेलो इंडिया, स्टैंडअप इंडिया, डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, स्किल इंडिया, इंवेस्ट इंडिया, फेम इंडिया और फिट इंडिया शामिल हैं.
सरकार की वे योजनाएं और अभियान जिनके नाम में भारत
ऐसा नहीं है कि सरकार की योजनाएं केवल इंडिया के नाम पर है, बल्कि कई योजनाओं में भारत शब्द का भी इस्तेमाल किया गया है. इनमें वंदे भारत, भारत मंडपम, स्वच्छ भारत अभियान, पीएम भारतीय जन औषधि परियोजना, पीएम भारतीय जन उर्वरक परियोजना, आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना, उन्नत भारत अभियान, भारत नेट प्रोजेक्ट और भारत गौरव स्पेशल ट्रेन शामिल हैं.
जी20 शिखर सम्मेलन शामिल होंगे दुनिया के बड़े नेता
गौरतलब है कि जी20 शिखर सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक सहित दुनियाभर के कई बड़े नेता शामिल होंगे. इसके लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने G20 के विदेशी नेताओं को 9 सितंबर को डिनर के लिए आमंत्रित किया है.
विदेशी प्रतिनिधियों को सौंपी गई जी20 बुकलेट में भी 'भारत'
इस निमंत्रण में प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की जगह प्रेसिडेंट ऑफ भारत शब्द का इस्तेमाल किया गया है. इतना ही नहीं विदेशी प्रतिनिधियों को सौंपी गई जी20 बुकलेट में भी भारत शब्द का ही इस्तेमाल किया गया है.
नामावली में पहला बदलाव
मामले में अधिकारियों का कहना है कि किसी भी देश में होने वाले आधिकारिक कार्यक्रम के लिए भारत की नामावली में यह पहला बदलाव है. उनका कहना है कि संविधान में भी भारत शब्द लिखा है. संविधान के अनुच्छेद 1 में कहा गया है, इंडिया, जो कि भारत है, राज्यों का एक संघ होगा.
इंडिया से छुटकारा नहीं पा सकती सरकार- शशि थरूर
वहीं, मामले में कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा है कि इंडिया को 'भारत' कहने में कोई संवैधानिक आपत्ति नहीं है. यह देश के दो आधिकारिक नामों में से एक है. मुझे उम्मीद है कि सरकार इतनी मूर्ख नहीं होगी कि 'इंडिया' से पूरी तरह से छुटकारा पा ले, जिसकी सदियों से ब्रांड वैल्यू है. हमें दोनों शब्दों का उपयोग जारी रखना चाहिए. इंडिया एक ऐसा नाम है, जिसे दुनिया भर में मान्यता प्राप्त है.
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