नई दिल्ली: एलएसी पर चीन से चल रहे टकराव के बीच भारत और फ्रांस के राफेल (रफाल) लड़ाकू विमान अगले महीने यानी जनवरी 2021 में जोधपुर में युद्धाभ्‍यास 'स्‍काईरोज़' में हिस्सा लेने जा रहे हैं. 'स्काईरोज़' भारत और फ्रांस के 'गरुड़' युद्धभ्यास से अलग है, जो दोनों देश एक दशक से अधिक समय से कर रहे हैं. इस दौरान दोनों देशों के लड़ाकू विमान द्वारा किए जा रहे कुछ जबरदस्त मैनयुवर देखने को मिलेंगे.


जानकारी के मुताबिक, फ्रांसीसी वायु सेना के जो राफेल लड़ाकू विमान जोधपुर आ रहे हैं, उन्हें भारतीय वायुसेना की अंबाला स्थित 17 स्कॉवड्रन के राफेल फाइटर जेट्स और सुखोई (एसयू-30 एमकेआई) लड़ाकू विमानों के साथ के साथ उड़ते हुए देखा जा सकेगा.


हालांकि, मंगलवार को ही वायुसेना प्रमुख, आर के एस भदौरिया ने साफ तौर से कहा कि हम भले ही कितने देशों की सेनाओं के साथ युद्धभ्यास कर लें, लेकिन हमें अपनी लड़ाई खुद लड़नी होगी. वे विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक सेमिनार को संबोधित कर रहे थे.


उनका ये बयान भारत का अमेरिका, रूस और फ्रांस जैसे बड़े देशों के साथ युद्धभ्यास और चीन से चल रही तनातनी को लेकर आया था. भारत ने जुलाई 2019 में फ्रांसीसी वायु सेना के साथ फ्रांस के मोंट द मारसन एयरबेस पर गरूण युद्धभ्यास किया था, जहां भारतीय सुखाई फाइटर जेट्स के साथ फ्रांसीसी राफेल ने उड़ान भरी थी.

एलएसी पर यथास्थिति बरकरार, सकारात्मक नतीजे की उम्मीद- रक्षा मंत्री
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि चीन के साथ चल रहे सीमा विवाद पर राजनयिक और सैन्य स्तर की बातचीत का अभी तक कोई 'उद्देश्य पूर्ण' हल नहीं निकला है. एक समाचार एजेंसी को दिए इंटरव्यू में रक्षा मंत्री ने कहा कि अगर एलएसी पर यथास्थिति बरकरार रहती है तो फिर सैनिकों की संख्या में कमी नहीं की जा सकती.


रक्षा मंत्री ने कहा, ''यह सही है कि भारत और चीन के बीच गतिरोध खत्म करने के लिए राजनयिक और सैन्य की बातचीत हो रही थी. लेकिन इसमें अभी तक कोई सफलता मिली नहीं है. अगले दौर में एक बार फिर सैन्य स्तर की बातचीत होगी. अभी कोई उद्देश्य पूर्ण हल नहीं निकला है और यथास्थिति बरकरार है.''