गंभीर बीमारी से जूझ रहा दो साल का मासूम, इलाज के लिए क्राउड फंडिंग के जरिए 16 करोड़ जुटा रहे माता-पिता
हैदराबाद में एक 2 साल के लड़के को एसएमए के इलाज के लिये लगभग 16 करोड़ रुपये की आवश्यकता है. उसके माता पिता ने इलाज के लिये क्राउडफंड अभियान से जुड़ने के लिये मदद मांगी है.
हैदराबाद में रहने वाले एक दंपति ने अपने दो साल के बेटे के इलाज के लिए क्राउडफंड अभियान शुरू किया है. क्राउडफंड के जरिये इनको 16 करोड़ रुपये की आवश्यकता है. दंपति के बेटे को रीढ़ की मांसपेशियों का इलाज करने के लिए नोवार्टिस में बने जोल्गेन्स्मा जीन थेरेपी की जरूरत है. ये दुनिया की सबसे महंगी दवा में से एक है. इसकी कीमत 2.1 मिलियन अमेरिकी डॉलर है, जो भारतीय रुपये में लगभग 15.24 करोड़ है.
वहीं आनुवांशिक दोष को ठीक करने के लिए एक इंजेक्शन पर्याप्त होता है. दरअसल, पिछले हफ्ते मुंबई की प्रियंका और मिहिर ने भी अपनी छह महीने की बेटी के लिए क्राउडफंडिंग के जरिये 14.92 करोड़ रुपये इकट्ठा किये हैं. इस दंपति ने भी पिछले साल एक अभियान शुरू किया था और इस महीने 14.92 करोड़ रुपये जुटाने में कामयाब रहे.
एसएमए बीमारी क्या होती है?
एसएमए एक आनुवंशिक विकार है जिसमें एक जीन मांसपेशियों की कमजोरी का कारण बनता है और अपने सामान्य कार्यों को कमजोर करता है. ये बहुत गंभीर बीमारी होती है जो हर 10,000 बच्चों में से किसी एक को होती है. इस बीमारी के चलते कुछ सालों में बच्चे की मौत हो जाती है. हिंदुजा अस्पताल की डॉ नीलू देसाई जो कि बाल रोग न्यूरोसर्जन सलाहकार हैं का कहना है कि हर साल करीब 3 से 4 इस बीमारी से जूझ रहे बच्चे यहां आते हैं. उन्होंने बताया कि इस बीमारी का इलाज 3 तरह से हो सकता है जिसमें पहला एक जीन थेरेपी है जिसे क्रांतिकारी माना जाता है, अन्य दो दवाएं हैं जिन्हें रिस्डिप्लम और इंजेक्शन स्पिनराजा कहा जाता है. लेकिन ये सब ट्रीटमेंट बहुत महंगे होते हैं.
बेटे आयुष के इलाज को लेकर योगेश गुप्ता का कहना है कि उन्होंने अपने बेटे के सिर के मूवमेंट पर ध्यान दिया और जब वो छह महीने का था तो उसकी ग्रोथ असामान्य थी, जिसके बाद इस बीमारी का पता लगा.वहीं हैदराबाद के रेनबो चिल्ड्रन अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. रमेश सोलंकी ने कहा कि वो चार से पांच बच्चों को एक साल में एसएमए के साथ देखते हैं और उन्हें व्यावसायिक इलाज और फिजियोथेरेपी की सलाह देते हैं. वहीं गुप्ता परिवार को अबतक 2 करोड़ रुपये की मदद मिल चुकी है.
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