नई दिल्ली: टेक्नोलॉजी के मामले में भारतीय रेलवे आज से एक नए दौर में प्रवेश कर रही है. रेलवे ने अपने नए कोच में एक ऐसे सेंसर को लगाने की शुरुआत कर दी है जिससे कोच से जुड़ी लगभग सभी समस्याओं की जानकारी वक्त से पहले मिल जाएगी जिससे यात्रियों की सुविधाएं और सुरक्षा दोनो विश्व स्तरीय हो सकेंगी.
रायबरेली की मॉडर्न कोच फैक्ट्री में बनी देश की पहली स्मार्ट कोच को 'कोच विद द ब्रेन' भी कहा जा सकता है. आज रेलवे ने इसे दिल्ली के सफदरजंग रेलवे स्टेशन पर पत्रकारों के सामने पेश किया.
क्या करेगा पहिए में लगा सेंसर ?
इसके पहिए में लगे सेंसर से छः महीने पहले ही ये पता चल जाता है कि -
1. पटरी में कोई हीटिंग प्वाइंट है.
2. बेयरिन्ग कमजोर हो गई है.
3. स्प्रिंग कमज़ोर हो गई है.
मॉडर्न कोच फैक्ट्री के जीएम राजेश अग्रवाल ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि ट्रायल में सफलता हासिल करने के बाद ये स्मार्ट कोच तकनीकी रेलवे के लिए गेम चेन्जर साबित हो सकती है.
क्या करेंगे कोच में लगे सेंसर ?
अलग से कोच के अंदर लगे सेंसर से पता चल जाता है कि -
1. कोच के भीतर तापमान, आद्रता और प्रदूषण स्तर या हवा की स्वच्छता कितनी है.
2. कोच के टैंक में पानी कितना बचा है.
3. इस स्मार्ट कोच में कोच का अपना हॉट स्पॉट भी लगा है जिससे इसे इंटरनेट की जरूरत नहीं होगी. बल्कि रेलवे के एप इस हॉट स्पॉट से ही चल सकेंगे जिसमें रेलवे के इन्फ़ोटेन्मेंट एप भी शामिल हैं.
4. कोच में एक एंटीना भी लगा होगा जिसके कारण यात्रियों को बेहतर मोबाइल नेटवर्क भी मिल सकेगा.
रेलवे के चीफ मैकेनिकल इंजिनीयर अरुण अरोड़ा ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि कोच में लगे सेंसर से हम कोच को यात्रियों के लिए इन्फेक्शन फ्री भी बना पाएंगे क्योंकि इसके जरिए हमें कोच के वातवरण संबंधी सभी जानकारी मिलती रहेगी.
रेलवे को सॉफ्टवेयर में सहायता कर रही कम्पनी पॉल इंस्ट्रूमेंट के सीईओ पवनदीप मानते हैं कि सेंसर से डेटा लेने और उसे एनालाइजर के मार्फत सेफ्टी पैरामीटर पर नजर रखने का ये सिस्टम अचूक साबित होगा.
कितना खर्च होगा स्मार्ट कोच पर?
एक स्मार्ट कोच में सेंसर लगाने का कुल खर्च अभी करीब 15 लाख रुपए आ रहा है जो कि बड़े स्तर पर शुरुआत होने पर कम हो कर 12 लाख रुपए तक आ सकता है.
कोच में लगे सेंसर कंट्रोल रूम को लगातर एसएमएस भेजते रहेंगे. ज़रूरी सुविधाओं से संबंधित एसएमएस अगले स्टेशन भी चला जाएगा जिससे
सेंसर से लिया जाने वाला सारा डेटा क्लाउड में एकत्रित होता सके. और इस तरह समय के साथ इसका उपयोग और बेहतर होता जाएगा.
कब से शुरू होगा इस्तेमाल?
फिलहाल इस स्मार्ट कोच को पहली सितम्बर से कैफियत एक्सप्रेस ट्रेन में लगाया जाएगा. इसके बाद सौ कोच में सेंसर लगा कर ट्रायल लिया जाएगा. फिर ज़रूरी संशोधन के बाद इसे आगे बनने वाले सभी नए कोच में लागू किया जा सकता है.