कोरोना इन लोगों पर ज्यादा करता है असर, 40 से 50 फीसदी बढ़ जाती है मौत की संभावना
स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि राज्य और केन्द्र सरकारों के लगातार प्रयासों के चलते तंबाकू के सेवन का प्रचलन 200-10 में 34.6 फीसदी से घटकर 2017-17 में 28.6 फीसदी हो गया.
स्मोकिंग करने वालों में करीब 40 से 50 फीसदी ज्यादा कोरोना संक्रमण से गंभीर बीमारियां होने और मौत का खतरा बना रहता है. केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने सोमवार के ये बातें कहीं. उन्होंने कहा कि भारत में हर साल करीब 13 लाख लोगों की मौत तंबाकू के चलते होती है, जिसका देश के विकास पर सामाजिक-आर्थिक रूप से असर पड़ता है.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि हर्षवर्धन ने यह टिप्पणी वर्ल्ड नो टोबैको डे के एक कार्यक्रम की अध्यक्षता के दौरान कही. इसके साथ ही वहां पर मौजूद लोगों ने तंबाकू से दूर रहने को लेकर प्रतिज्ञा लेने को कहा.
उन्होंने कहा कि राज्य और केन्द्र सरकारों के लगातार प्रयासों के चलते तंबाकू के सेवन का प्रचलन 200-10 में 34.6 फीसदी से घटकर 2017-17 में 28.6 फीसदी हो गया.
एक बयान में हर्षवर्धन का हवाला देते हुए यह कहा गया- "भारत में हर साल तंबाकू के सेवन से 13 लाख लोगों की मौत होती है. जबकि 3500 लोगों की रोजाना इससे मौत होती है जिसका असहनीय सामाजिक आर्थिक असर विकास पर पड़ता है. तंबाकू से मौत और लोगों के स्वास्थ्य के अलावा इसका प्रभाव देश के आर्थिक विकास पर भी पड़ता है."
बयान के मुताबिक उन्होंने इस बात को भी इंगित किया है कि स्मोकिंग करने वालों में 40 से 50 फीसदी में कोविड-19 से ज्यादा गंभीर बीमारियां और मौत होने की संभावना बनी रहती है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्टडी शीर्षक- इकॉनोमिक कॉस्ट्स ऑफ डिजिज एंड डेथ्स एट्रिब्यूटेड टू टोबैके यूज इन इंडिया में यह अनुमान लगाया गया है कि भारत में तंबाकू के चलते इससे होने वाली बीमारियों और मौत की वजह से अर्थव्यवस्था पर 1.77 लाख करोड़ रूपये का बोझ पड़ता है जो 1 फीसदी जीडीपी के बराबर है.