नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) हिंसा मामले में चल रहे विवाद के बीच केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने बड़ा बयान दिया है. न्यू इंडियन एक्सप्रेस के एक कार्यक्रम 'thinkedu conclave' में एडिटोरियल डायरेक्टर प्रभु चावला के सवाल पर स्मृति ईरानी ने कहा कि फिल्म अभिनेत्री दीपिका पादुकोण देश को तोड़ने वालों के साथ खड़ी हुई हैं. उन्होंने कहा, "मैं पूछना चाहती हूं कि दीपिका पादुकोण के राजनीतिक सरोकार क्या हैं? जो भी खबर पढ़ता है या देखता है वह जानता है कि वह जेएनयू में प्रदर्शनकारियों के साथ क्यों खड़ी हुईं.''
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ''दीपिका पादुकोण उन लोगों के साथ खड़ी हुई जो देश को तोड़ना चाहते हैं. यह हमारे लिए बिल्कुल भी आश्चर्यजनक नहीं था. साल 2011 में दीपिका पादुकोण ने अपनी राजनीतिक झुकाव को स्पष्ट करते हुए कांग्रेस समर्थक जताया था. अगर लोगों के उनके जेएनयू में प्रदर्शनकारियों के साथ खड़े होने पर असर हुआ है तो शायद वे दीपिका के इस रूप को नहीं जानते हैं. दीपिका पादुकोण के बहुत सारे प्रशंसकों को उनकी इस स्थिति के बारे में शायद अब पता चला होगा"
केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने दो टूक कहा, ''इस मामले में अभी जांच चल रही है. मैं जेएनयू की घटना पर कुछ ज्यादा नहीं कहना चाहती. इस बारे में पुलिस तथ्यों के साथ कोर्ट में सच्चाई सामने रखेगी.'' गौरतलब है कि 5 जनवरी को 50 से ज्यादा नकाबपोश लोगों ने डंडे-पत्थर के दम पर जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में उत्पात मचाया था और इसमें एबीवीपी और वामदलों से जुड़े छात्र संगठनों के कई छात्र घायल हो गए थे. दोनों ही तरफ के छात्रों ने एक दूसरे पर जेएनयू में उत्पात मचाने का आरोप लगाया है.
यह मामला तब बढ़ गया था जब जेएनयू में फीस वृद्धि के खिलाफ धरने पर बैठे वाम दलों के छात्र विंग के नेताओं ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े छात्रों और जेएनयू के उन छात्रों के साथ मारपीट की जब वे शीतकालीन सेमेस्टर के लिए अपना रजिस्ट्रेशन कराने जाना चाहते थे. वाम दलों के छात्र संगठनों से जुड़े छात्र जेएनयू के सर्वर रूम पर कब्जा करके बैठे थे और छात्रों को सेमेस्टर में रजिस्ट्रेशन कराने से रोक रहे थे. मामले के बढ़ने पर तमाम राजनीतिक दल भी इस विवाद में कूद पड़े और दीपिका पादुकोण ने भी जेएनयू पहुंचकर वाम दलों से जुड़े छात्र संगठन को समर्थन जताया था. इसके बाद से उनकी फिल्म छपाक के बहिष्कार को लेकर भी मांग उठने लगी थी.