Snooping Case: 'कमजोर और कायर है केंद्र सरकार', जासूसी मामले में मुकदमा दर्ज होने पर बोले मनीष सिसोदिया
दिल्ली के एलजी की सिफारिश पर केंद्र सरकार ने कथित तौर पर खुफिया राजनीतिक जानकारी जुटाने के मामले में दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई को मुकदमा चलाने की मंजूरी दी है.
Manish Sisodia On Snooping Case: दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया पर कथित जासूसी करके जानकारी जुटाने के मामले में सीबीआई ने उन पर केस दर्ज किया है. इस पर मनीष सिसोदिया ने केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए उसको कायर और कमजोर बताया है.
मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर कहा कि अपने प्रतिद्वंदियों पर झूठे केस करना एक कमजोर और कायर इंसान की निशानी है. जैसे जैसे आम आदमी पार्टी बढ़ेगी हम पर और भी बहुत केस किए जाएंगे.
किस मामले में सिसोदिया पर दर्ज किया गया है केस?
केंद्र सरकार ने कथित तौर पर खुफिया राजनीतिक जानकारी जुटाने से संबंधित मामले में सीबीआई को दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी. जिससे उनके लिए एक नयी मुसीबत खड़ी हो गई. उन पर पहली ही कई मामले चल रहे हैं.
दिल्ली एलजी को भेजे गए पत्र में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि सिसोदिया के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम 1988 की धारा 17 के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी दी गई है. सिसोदिया पहले से ही 2021-22 की दिल्ली आबकारी नीति में शराब व्यापारियों को फायदा पहुंचाने के आरोप में मुकदमे का सामना कर रहे हैं. उन्हें 26 फरवरी को सीबीआई के सामने पेश होना है.
'सीबीआई ने पकड़ी थी अनियमितता'
इस महीने की शुरुआत में सीबीआई ने कहा था कि उसने अपनी प्रारंभिक जांच में पाया कि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा स्थापित फीडबैक यूनिट (एफबीयू) ने कथित तौर पर राजनीतिक खुफिया जानकारी एकत्र की. एजेंसी ने सिसोदिया के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किए जाने की सिफारिश की थी.
सीबीआई का कहना है कि आप ने दिल्ली के अधिकार क्षेत्र में आने वाले विभिन्न विभागों स्वायत्त निकायों, संस्थानों और संस्थाओं के कामकाज के बारे में प्रासंगिक और कार्रवाई योग्य जानकारी एकत्र करने के लिए 2015 में एफबीयू की स्थापना का प्रस्ताव पेश किया था. इकाई के लिए गुप्त सेवा व्यय के तौर पर एक करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया. इकाई ने 2016 में काम करना शुरू किया.
क्या हैं सीबीआई के आरोप?
सीबीआई का आरोप है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 2015 में एक कैबिनेट बैठक में प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन कोई एजेंडा नोट प्रसारित नहीं किया गया था. एजेंसी का दावा है कि एफबीयू में नियुक्तियों के लिए एलजी से कोई मंजूरी नहीं ली गई.
सीबीआई ने अपनी प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में कहा, एफबीयू ने आवश्यक जानकारी एकत्र करने के अलावा, राजनीतिक खुफिया/खुफिया जानकारियां भी एकत्र की. सीबीआई ने दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग में जांच शुरू की थी. सतर्कता विभाग ने एफबीयू में कथित अनियमितताओं का पता लगाया था.
'जानबूझकर किया गया है उल्लंघन'
सीबीआई ने कहा कि प्रथम दृष्टया आरोपी लोकसेवकों ने नियमों, दिशा-निर्देशों और परिपत्रों का जानबूझकर उल्लंघन किया. एजेंसी की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि संबंधित चीजें लोकसेवक उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और तत्कालीन सचिव (सतर्कता) सुकेश कुमार जैन द्वारा बेईमान इरादों से आधिकारिक पद का दुरुपयोग किए जाने का खुलासा करती हैं.
सीबीआई के मुताबिक एफबीयू द्वारा तैयार की गईं 60 प्रतिशत रिपोर्ट सतर्कता और भ्रष्टाचार के मामलों से संबंधित थीं जबकि 40 प्रतिशत खुफिया राजनीतिक जानकारी अन्य मामलों के बारे में थी.