ठंड के मौसम की शुरुआत हो चुकी है. देश के कई हिस्सों में पारा माइनस में भी पहुंच चुका है. इसके साथ ही अब लद्दाख में भी कड़ाके की ठंड दस्तक दे चुकी है. वहीं ठंड के इस मौसम का स्थानीय लोग काफी लुत्फ भी उठा रहे हैं तो कई लोगों को परेशानियों का सामना भी करना पड़ रहा है.
लद्दाख में कड़ाके की ठंड के दस्तक देने के साथ ही पारा शून्य से कई डिग्री नीचे लुढ़क चुका है. रविवार को लद्दाख के द्रास में पारा माइनस 15 डिग्री पर पहुंच गया. इसके साथ ही पिछली रात इस मौसम की अब तक की सबसे ठंडी रात रही, जिसके कारण नदी-नालों में पानी जमना भी शुरू हो गया है.
हालांकि स्थानीय लोग समय से पहले पड़ रही इस ठंड से परेशान भी नजर आ रहे हैं लेकिन कुछ युवा इस ठंड में आनंद की तलाश करने से भी नहीं चूक रहे हैं. दरअसल, द्रास में बने देश के पहले ओपन एयर नेचुरल आइस रिंक पर इस कड़ाके की ठंड में लोग मस्ती करते हुए दिखाई दिए हैं.
पानी जमना शुरू
अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर बने इस रिंक में कड़ाके की ठंड के चलते पानी जम चुका है. जिस पर इस मौसम में करगिल और द्रास के आइस हॉकी और आइस स्केटिंग के खिलाड़ी खेल के साथ काफी मजा उठा रहे हैं. द्रास में युवा निसार हुसैन ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से द्रास में बारिश और बर्फबारी के बाद ठंड में काफी इजाफा हुआ है, जिसके चलते आइस रिंक में पानी जमना शुरू हो गया है.
वहीं दूसरे शख्स सजाद अहमद ने बताया कि समय से पहले पड़ने वाली कड़ाके की ठंड से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. लेकिन अगर सरकार इसी ठंड और बर्फबारी के चलते द्रास और करगिल में विंटर टूरिज्म को बढावा दे तो यहां के लोगो को भी मदद मिल सकेगी.
टेम्पररी छत की मांग
इसके अलावा एक खिलाडी मोहम्मद इब्राहिम ने बताया कि द्रास में काफी ज्यादा ठंड पड़ती है. इसलिए रिंक को इंडोर बनाने की जरूरत है ताकि खिलाड़ी आराम से प्रैक्टिस कर सकें. वहीं दूसरी तरफ यहां के लोग द्रास की ओपन रिंक पर टेम्पररी छत की भी मांग कर रहे हैं ताकि बर्फबारी और बारिश के दौरान भी युवा आइस रिंक पर मस्ती कर सकें.
बता दें कि द्रास दुनिया की दूसरी सबसे ठंडी जगह है. यहां साइबेरिया के बाद सबसे ज्यादा ठंड पड़ती है. द्रास में 1995 में पारा माइनस 60 डिग्री तक गिर गया था, जोकि एक रिकॉर्ड है. वहीं आमतौर पर द्रास में पारा माइनस 30 से 45 डिग्री तक गिर जाता है.
यह भी पढ़ें:
चीन से तनातनी के बीच लद्दाख में कड़ाके की ठंड के चलते सैनिकों के लिए बनाए गए स्पेशल टेंट