Morbi Bridge Collapse: एक दिन में कभी इतनी लाशें नहीं देखीं... मोरबी के श्मशान और कब्रगाह कर्मियों ने बयां किया दर्दनाक मंजर
Morbi Bridge Collapse: श्मशान घाटों और कब्रगाहों के कर्मचारियों ने बताया कि कई दशक में इतने कम समय से इतनी बड़ी संख्या में शव कभी नहीं देखे जितने उन्होंने केबल पुल हादसे के बाद देखे है
![Morbi Bridge Collapse: एक दिन में कभी इतनी लाशें नहीं देखीं... मोरबी के श्मशान और कब्रगाह कर्मियों ने बयां किया दर्दनाक मंजर so many dead bodies in a day The workers of Morbi's cremation ground and cemeteries narrated a horrifying scene Morbi Bridge Collapse: एक दिन में कभी इतनी लाशें नहीं देखीं... मोरबी के श्मशान और कब्रगाह कर्मियों ने बयां किया दर्दनाक मंजर](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/11/02/9fd609f975ecceee1554363ce08278b71667402378328398_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Morbi Collapse: गुजरात के मोरबी में रविवार की शाम को केबल पुल गिर जाने के कारण सैकड़ों लोग की मृत्यु हो गई थी. शहर के श्मशान घाटों और कब्रगाहों में लाशों का ढेर लगा हुआ है. मीडिया ने जब श्मशान घाटों और कब्रगाहों कर्मियों से बात की तो उन लोगों ने बताया कि कई दशकों में इतने कम समय में इतनी बड़ी संख्या में शव कभी नहीं देखे. मच्छू नदी पर ब्रिटिश काल में बना केबल पुल रविवार शाम को गिर गया था, जिससे 136 लोगों की मौत हो गई, जबकि 170 अन्य को इस हादसे के बाद बचाया गया.
सुन्नी मुसलमानों के लिए मोरबी के सबसे बड़े कब्रिस्तान के साजिद पिलूदिया ने बताया कि इस घटना में मुस्लिम समुदाय के करीब 40 सदस्यों की मौत हुई. उन्होंने कहा, ‘‘सोमवार को उनमें से 25 को यहां और पास के ही कब्रगाह में दफनाया गया है. यह 1979 के मच्छू बांध टूटने की घटना के बाद सबसे बड़ी त्रासदी थी.’’
पिलूदिया ने कहा कि यह प्रशासन की लापरवाही के कारण हुआ. कब्र खोदने का काम करने वाले श्रमिकों यूसुफ समादा और यूनुस शेख ने बताया कि अचानक इतनी बड़ी संख्या में शवों को दफनाने के लिए रविवार रात से सोमवार शाम तक उन्होंने 25 से 30 कब्र खोदीं. उनमें से एक ने कहा, ‘‘यह हमारे लिए बड़ा असामान्य था क्योंकि हम आमतौर पर महीने में करीब 20 कब्र खोदते हैं.’’
मोरबी शहर में गैस आधारित शवदाह गृह के केयरटेकर भीमा ठाकोर ने कहा कि सोमवार और मंगलवार को उसने 11 व्यक्तियों का अंतिम संस्कार किया. उसने कहा, ‘‘सोमवार को 11 शव और मंगलवार को दो शव लाए गए थे. आमतौर पर हर सप्ताह इस शवदाह गृह में दो या तीन अंतिम संस्कार किए जाते हैं. मैंने पिछले कई दशकों में इतने कम समयांतराल में इतनी बड़ी संख्या में मौतें नहीं देखीं.’’
क्या बोले मोरबी सिविल अस्पताल के अधीक्षक
मोरबी सिविल अस्पताल के अधीक्षक डॉ. प्रदीप दुधरेजिया ने कहा कि चूंकि मोरबी त्रासदी के मृतकों की मौत की वजह ज्ञात (डूबने से मौत) थी, इसलिए मृतकों का पोस्टमॉर्टम नहीं किया गया. उन्होंने कहा, ‘‘विशेषज्ञों के एक दल ने तय किया कि सभी 135 लोगों की मौत की वजह डूबना थी और कुछ डूबने एवं संबंधित जख्मों के कारण मर गए. चूंकि मौत की वजह ज्ञात थी तथा पता करने के लिए कुछ और था नहीं, इसलिए निर्धारित चिकित्सा विशेषज्ञों की राय के आधार पर मृतकों का पोस्टमार्टम नहीं किया गया.’’
याद आ गया 1979 का मंजर
शवदाहगृहों एवं कब्रगाहों के संचालकों एवं मृतकों के रिश्तेदारों ने कहा कि यह त्रासदी उन्हें 1979 के मच्छू बांध हादसे की याद दिलाती है, जब मोरबी के हजारों लोग बाढ़ के पानी में बह गए थे. इस बीच, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल एवं अन्य एजेंसियां घटनास्थल पर शवों की तलाश लगातार जारी रखी है.
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)