मुंबई: मशहूर समाजसेवी अन्ना हजारे इन दिनों मौन व्रत पर हैं. महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के जिस रालेगण सिद्धि गांव में वे रहते हैं और इन दिनों न तो वहां के लोगों से वे कोई बात करते हैं और ना ही अरविंद केजरीवाल के तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद उनकी प्रतिक्रिया जानने आ रहे पत्रकारों से वे मुखातिब हो रहे हैं. दरअसल, निर्भया केस के आरोपियों को फांसी में हो रही देरी की वजह से अन्ना हजारे ने मौन व्रत धारण कर रखा है.


जन लोकपाल बिल को लेकर किए गए अनशन की वजह से देश भर की सुर्ख़ियों में छाने वाले अन्ना हजारे पिछले 20 दिसंबर से मौन व्रत पर हैं. उनके सहयोगियों ने बताया कि हजारे निर्भया केस के चारों आरोपियों को फांसी में हो रही देरी से नाराज हैं और उसी का विरोध करने की खातिर उन्होंने ये कदम उठाया है. मौन व्रत शुरू करने से पहले उन्होंने अपने सहयोगियों को बताया था कि वे तब ही अपना मौन व्रत खत्म करेंगे जब चारों आरोपियों को तिहाड़ जेल में फांसी के फंदे पर लटका दिया जाएगा. अन्ना हजारे ने ये भी चेतावनी दी थी कि अगर फांसी में और ज्यादा देर होती है तो वे आमरण अनशन की शुरुआत भी कर सकते हैं.


दिसंबर 2012 के निर्भया बलात्कार और हत्या के मामले में निचली अदालत ने पांच आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी जिनमें से एक आरोपी ने जेल में खुदकुशी कर ली. बाकी चार आरोपियों की सजा की पुष्टि हाईकोर्ट ने कानूनन कर दी थी सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी अपील खारिज कर दी लेकिन कोई ना कोई कानूनी प्रावधान अपनाते हुए चारों आरोपी अब तक अपनी फांसी टालते आए हैं. निचली अदालत से डेथ वारंट निकलने के बाद दो बार फांसी की तारीख मुकर्रर की जा चुकी है लेकिन कानूनी पेचीदगियों की वजह से अब तक सजा पर अमल नहीं किया जा सका है.


वैसे अन्ना हजारे अपने साथ जन लोकपाल बिल में शामिल हुए तमाम चेहरों के राजनीति में उतर आने से खफा हैं. अरविंद केजरीवाल के अलावा जनरल वीके सिंह, किरण बेदी, मनीष सिसोदिया, शाजिया इलमी जैसे लोग आंदोलन के बाद राजनीति में आ गए थे. इससे नाराज़ होकर अन्ना ने कुछ वक्त पहले कहा था कि अबसे जो भी उनके आंदोलनों के साथ जुड़ना चाहता है वो इस बात का शपथपत्र देगा कि वो कभी राजनीति में नहीं जाएगा.


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