अमिताभ बच्चन के नानावटी अस्पताल में भर्ती होने को लेकर सोशल मीडिया पर अजीबो-गरीब अटकलें, सामने आई सफाई
अमिताभ बच्चन के नानावटी अस्पताल में भर्ती होने पर उठ रहे सवालों के बाद जवाब आया है.सफाई में अस्पताल के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में अमिताभ के शामिल होने से इंकार किया गया है.
मुम्बई: कोरोना वायरस संक्रमित अमिताभ बच्चन और अभिषेक बच्चन के नानावटी अस्पताल में भर्ती होने पर अजीबो-गरीब पोस्ट वायरल हो रहा है. पिता-पुत्र दोनों के असिम्टमैटिक होने का हवाला देकर नानावटी अस्पताल पर कई गंभीर आरोप लगाये जा रहे हैं. कहा जा रहा है कि कोरोना मरीजों के इलाज में अधिक बिल वसूली से खराब हो रही छवि को सुधारने के लिए नानावटी अस्पताल ने अमिताभ बच्चन की मदद ली है.
अमिताभ के नानावटी अस्पताल में भर्ती होने पर सवाल
वायरल पोस्ट के मुताबिक जुहू में अमिताभ के तीन बंगले हैं और ऐसे में खुद अमिताभ और अभिषेक को घर में ही क्वारंटीन होने में किसी तरह की कोई समस्या नहीं होनी चाहिए थी. इसके अलावा अमिताभ के एक बंगले में मिनी आईसीयू और वेतन पर रखे गए दो डॉक्टरों की सेवाएं भी उपलब्ध हैं. ऐसी स्थिति में पिता-पुत्र को होम क्वारंटीन हो जाना चाहिए था और कोरोना के खास लक्षण नहीं होने पर बंगले में ही इलाज कराने में दिक्कत नहीं होनी चाहिए थी.
Forward as received......#factchecking #AmitabhBachchan New twist to story on #Covid_19
It's share and forward from social media #nanavatihospital#radiantgroup Is it true? pic.twitter.com/4FT0CFHb4N — Dhimant Bhatt (@dhimantbhatt) July 13, 2020
Is Mr. Amitabh Bachchan uplifting the Nanavati hospital reputation which had besmirched due to hefty overcharging bills & showing more COVID19 positive patients for benefits? Bachchan is the Investor& Board Member of Radiant Group which owns Nanavati Hospital.@sr_bachan @amitabh
— ashvinbarshinge (@ashvinbarshinge) July 13, 2020
सोशल मीडिया पर आरोपों के बाद अस्पताल की सफाई
अस्पताल पर उठाए जा रहे आरोपों के बाद उसकी तरफ से सफाई सामने आई है. अस्पताल के एक सूत्र ने सभी आरोपों का खंडन किया है. सफाई में कहा गया है, " रेडियंट लाइफ केयर अथवा नानावटी अस्पताल के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में अमिताभ बच्चन शामिल नहीं हैं." सूत्र के मुताबिक, "65 साल से अधिक आयु वर्ग का माइल्ड लक्षण वाला और कई तरह की बीमारियों से घिरा शख्स मेडिकल सलाह लेने के बाद अस्पताल में भर्ती होने का फैसला कर सकता है. हमें इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि एक शख्स बीमार है और इस वक्त अस्पताल में भर्ती है. ऐसे में अनावश्यक टिप्पणी करने से बचना चाहिए. कोविड से कोई भी प्रभावित हो सकता है. बेहतर है कि हम सुरक्षित रहें." गौरतलब है कि नानावटी अस्पताल में कुछ मरीज़ों का कोरोना इलाज कराया गया था. इलाज के बाद 10 में से 7 मरीजों के इलाज का बिल बढ़ा हुआ आया. मामला उजागर होने के बाद नानावटी अस्पताल की छवि खराब होने लगी. अस्पताल और डॉक्टरों के प्रति मीडिया और लोगों में गुस्सा पैदा हो गया.
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