नई दिल्ली: कोरोना पीड़ितों को घर से अस्पताल और आइसोलेशन सेंटर और कोरोना के चलते मौत का शिकार हुए लोगों को अस्पताल से श्मशान घाट ले जाने के काम में जुटे शहीद भगत सिंह सेवा दल के संस्थापक जितेंद्र सिंह शंटी और उनके पुत्र ज्योत जीत अब कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं. केवल वे ही नहीं, बल्कि जीतेन्द्र सिंह शंटी की पत्नी और बड़ा बेटा भी कोरोना पॉजिटिव हो गए हैं. लेकिन पॉजिटिव होने के बावजूद दोनों पिता-पुत्र फोन, ऑनलाइन मॉनिटरिंग के माध्यम से शवों को श्मशान घाट ले जाने की सेवा में जुटे हुए हैं.
200 से ज्यादा कोरोना पीड़ितों के शवों को श्मशान पहुंचा चुके हैं
शहीद भगत सिंह सेवा दल इस कोरोना काल में राजधानी दिल्ली व एनसीआर के इलाकों में कोरोना पीड़ितों को अस्पताल पहुंचाने और कोरोना की वजह से जान गंवा चुके लोगों के शव को श्मशान घाट ले जाने की सेवा में जुटे हैं.
शहीद भगत सिंह सेवा दल के संस्थापक जितेंद्र सिंह शंटी का कहना है कि वह लगभग 200 से ज्यादा कोरोना मरीजों के शवों को श्मशान घाट ले जा चुके हैं. इतना ही नहीं, इनमें से कुछ शवों का अंतिम संस्कार भी इनकी संस्था ने ही किया है, क्योंकि कोरोना के चलते पीड़ितों के परिजन या तो क्वारंटीन हैं, या फिर डर की वजह से अंतिम संस्कार करने से हिचक रहे हैं.
आइसोलेशन में रह कर भी कर रहे हैं सेवा
शहीद भगत सिंह सेवा दल के संस्थापक जितेंद्र सिंह शंटी का कहना है कि वह दो दशकों से भी ज्यादा समय से शवों को श्मशान घाट ले जाने के लिए फ्री एम्बुलेंस सेवा चला रहे हैं. इस कोरोना काल में भी वह कोविड-19 पेशेंट को अस्पताल ले जाने और अस्पताल से कोविड-19 शवों को श्मशान ले जाने के काम में जुटे थे.
इस काल में कई मामले ऐसे भी देखे जहां कोविड19 से हुई मौत के चलते शव को श्मशान ले जाने के लिए चार कंधे भी नसीब नहीं हुए. कहीं परिवार क्वारंटीन था, तो कहीं परिजन अपनो के ही शव छोड़ कर चले गए. वहीं उनके बेटे ज्योत सिंह शंटी का कहना है कि कोरोना पॉजिटिव होने के बाद भी उनका काम जारी है और वह ऑनलाइन सारी व्यवस्था पर निगरानी रख रहे हैं.
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