नई दिल्ली: जेट एयरवेज की उड़ान पर रोक लगने के बाद इसके लिए काम करने वाले करीब 20 हजार कर्मचारियों के भविष्य को लेकर सवाल खड़ा हो गया है. इस बीच सोसाइटी फॉर वेलफेयर ऑफ इंडियन पायलट्स ने केंद्र सरकार के नाम चिट्ठी लिखकर प्रधानमंत्री मोदी से मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की है. सोसाइटी फॉर वेलफेयर ऑफ इंडियन पायलट्स ने चिट्ठी में लिखा है कि यह जेट का बंद होना प्रधानमंत्री के हवाई चप्पल से हवाई जहाज तक के सपने को साकार नहीं होने देगा.


चिट्ठी में लिखा है, ''फंड की कमी से 25 साल से उड़ान भर रही जेट एयरवेट खत्म हो रही है. इससे करीब 23,000 कर्मचारियों की रोजीरोटी को छिन रही है. यह माननीय प्रधान मंत्री के सपने को साकार नहीं होने देगा. यह सिर्फ एक एयरलाइन नहीं है, यह किसी के लिए रोजगार है, किसी के लिए ड्रीम जॉब है, किसी के बच्चे का भविष्य है, यह किसी के लिए दोस्तों और परिवारों को जोड़ने का जरिए या है....यह कभी ना कत्म होने वाली लिस्ट है.''


चिट्ठी में सरकार से अपील की गई है, "हम आपसे प्रार्थना करते हैं कि मामले की गंभीरता को समझते हुए जेट एयरवेज से सभी कर्मचारियों का बकाया लौटाने का निर्देश दें. इसके साथ ही हम इमरजेंसी फंड की प्रक्रिया को भी तेज करने की प्रार्थना करते हैं. चुनौती के इस समय में हर पल बहुत महत्वपूर्ण है.''


बता दें कि बुधवार रात 12 बजे से जेट एयरवेज ने अपनी सारी सेवाएं अनिश्चित समय के लिए बंद कर दी हैं. जेट एयरवेज पर करीब 8 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है, जेट एयरवेज को कुल 15 हजार करोड़ रुपए चुकाने है..कंपनी के कर्मचारियों को पिछले 2-3 महीने से वेतन नहीं मिल रहा था. मुंबई में जेट एयरवेज के स्टाफ एसोसिएशन और अधिकारियों की मीटिंग में भी कोई बड़ा हल सामने नहीं निकला तो केंद्र सरकार से मदद मांगी गई.


जेट एयरवेज हर दिन करीब 600 फ्लाइट्स ऑपरेट कर रही थी, जेट एयरवेज की सेवा बंद होने से से यात्रियों की परेशानी भी बढ़ गई है. वहीं जेट एयरवेज में कुल 22, 269 कर्मचारी काम करते हैं, 16 हजार कर्मचारी नियमित और 6329 कॉन्ट्रैक्ट पर हैं. यानी नौकरी पर आए संकट का असर कुल 1 लाख परिजनों पर पड़ रहा है.


विदेश में नाम कमाने के लिए जेट एयरवेज ने 2006 में एयर सहारा को 2250 करोड़ में खरीदा था. एयर सहारा का महंगा सौदा करना जेट एयरवेज की सबसे बड़ी गलती मानी गई. दावा है कि एयर फ्यूल की महंगाई और सस्ती एयरलाइंस कंपनियों ने जेट की मुश्किल और बढाई. इंडिगो, स्पाइसजेट और गो एयर जैसी सस्ती एयरलाइंस के आगे जेट बाजार नहीं संभाल सकी.