लखनऊ: तीन तलाक की पीड़िता को योगी सरकार ने अल्पसंख्यक आयोग का सदस्य बना दिया है. सोफिया अहमद ने आज अपनी जिम्मेदारी भी संभाल ली. इसी बहाने बीजेपी तीन तलाक के एजेंडे को आगे बढ़ाने की जुगत में है.  समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक की भाभी सोफिया डेढ़ साल पहले बीजेपी में शामिल हुई थी. चेन्नई की रहने वाली सोफिया अहमद की शादी 12 जनवरी 2005 को कानपुर के शारिक अराफात से हुई थी.




शारिक का कानपुर में ही चमड़े यानी लेदर का कारोबार है. सोफिया के घरवाले भी चेन्नई में यही काम करते हैं. शादी के समय सोफिया के पति की बहन गजाला लारी समाजवादी पार्टी की विधायक थीं. खूब धूमधाम और बैंड बाजे से उनका निकाह हुआ. इस शादी में उस समय के सीएम अखिलेश यादव समेत कई बड़े बड़े मंत्री भी पहुंचे थे.


शुरुआत में सोफिया और शारिक का घर परिवार अच्छा चल रहा था लेकिन सोफिया को अपने शौहर के चाल चलन पर शक था. एक दिन उन्होंने अपने पति को एक लड़की के साथ शॉपिंग मॉल में देख लिया. दोनों में बहस और झगड़ा भी हुआ. सोफिया का आरोप है कि 13 सितंबर 2016 को नशे में धुत शारिक ने उन्हें तलाक देकर घर से बाहर कर दिया.


उन दिनों ये मामला खूब चर्चा में रहा. अखिलेश यादव के राज में उन्हें पुलिस ने उनकी कोई मदद नहीं की. बाद में सोफिया बीजेपी में शामिल हो गईं. मामला जब राजनीतिक होने लगा तो पुलिस ने सोफिया के पति के खिलाफ घरेलू हिंसा का केस दर्ज कर लिया.


अल्पसंख्यक आयोग की सदस्य बनने पर सोफिया अहमद बहुत खुश हैं. वे बताती हैं कि इसके लिए ना कोई आवेदन किया था और ना ही किसी से कहा था. सोफिया का कहना है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने तीन तलाक पर पहल कर लाखों मुस्लिम महिलाओं का दिल जीत लिया है. वे अब आगे मुस्लिम औरतों के हक़ की लड़ाई लड़ना चाहती हैं. यूपी अल्पसंख्यक आयोग में एक अध्यक्ष और आठ सदस्य बनाये गए हैं.