सोहराबुद्दीन एनकाउंटर: IPS दिनेश एमएन ने बताया जेल में इंजीनियरिंग के सहारे कैसे काटे दिन
Sohrabuddin Encounter: सोहराबुद्दीन एक गैंगस्टर था, जिसपर आतंकवादियों से भी संबंध रखने के आरोप थे. उसके एनकाउंटर को लेकर आईपीएस दिनेश एमएन को सात साल जेल में बिताने पड़े थे.
Sohrabuddin Encounter 2005: दिनेश एमएन वह आईपीएस अधिकारी हैं जो अपनी जिंदगी के सात साल जेल में बिता चुके हैं. इन्हें सोहराबुद्दीन एनकाउंटर के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. जब उनके खिलाफ कोई सबूत हाथ नहीं लगे तो उन्हें साल 2014 में रिहा कर दिया गया. हालांकि, इन सात सालों में भी उन्होंने अपना हौसला नहीं टूटने दिया. राजस्थान में इनका जलवा रहता है, क्योंकि इनके काम का तरीका बाकी सभी से हटके है.
दरअसल, सीबीआई के मुताबिक सोहराबुद्दीन एक गैंगस्टर था, उसपर आतंकवादियों से भी संबंध रखने के आरोप हैं. सोहराबुद्दीन कारोबारियों को धमकी देकर पैसा वसूला करता था. सीबीआई चार्जशीट के अनुसार 22 नवंबर 2005 के दिन सोहराबुद्दीन शेख राजस्थान और गुजरात एटीएस की टीम ने गांधीनगर के डीशा में फार्महाउस पर रख दिया था. इसके बाद 26 नवंबर 2005 को उसके एनकाउंटर की पूरी साजिश रची गई. इस मामले में ही आईपीएस दिनेश एमएन ने भी सात साल जेल में बिताए हैं.
कैसे बीते जेल में दिन?
दिनेश एमएन ने एक इंटरव्यू में बताया कि उन्होंने राजस्थान में काम किया था. अहमदाबाद के अपराधियों से उनका डायरेक्ट को लेना-देना नहीं था, लेकिन जब वहां की जेल में गए तो वहां कई लोगों से मिलने का मौका मिला. जेल में जाने के बाद सभी लोग कैदी हैं. किसी के लिए कोई अलग से नियम नहीं होते हैं. उन्होंने बताया कि उनपर भी वही सब पाबंदियां थी जो और कैदियों पर थीं, क्योंकि उन्हें हाई प्रोफाइल केस में गिरफ्तार किया गया था.
'लोगों से बात करने में निकलता था समय'
उन्होंने बताया कि वह 13 से 14 लोग जेल में थे तो उन्हीं लोगों से बातें करने में समय बिताते थे. दिनेश एमएन ने बताया कि उन्होंने स्वीकार कर लिया था कि जेल में रहना है, क्योंकि इसे न मानकर उन्हें और परेशानियों का सामना करना पड़ता. उनका फोकस यही था कि वह कैसे खुद को संभालेंगे. उन्होंने कहा कि उनकी इंजीनियरिंग की पढ़ाई ने उनका काफी साथ दिया. इसमें पढ़ाया जाता है सभी कंपोनेंट्स को अलग-अलग हिस्सों में बांटना वैसे ही मैंने अपनी परेशानियों को भी अलग-अलग हिस्सों में डिवाइ़ड कर दिया.
जेल में क्या खाने को मिलता था?
दिनेश एमएन ने बताया कि सुबह के समय पोहा उपमा और दिन में दाल और रोटी मिलती है. सबसे बड़ी परेशानी यह होती है कि जेल का खाना 5.30 बजे ही बंद कर देते हैं तो शाम 4.30 से लेकर 5.30 बजे तक खाना खा लेना होता है. हालांकि, बैरक अलग होने के चलते उनका खाना वही आ जाता था.
एक्सरसाइज शुरू की
दिनेश ने बताया कि जेल में पूरा समय खाली होता था. दिन भर कैसे गुजरेगा इसी बात की चिंता रहती थी इसलिए उन्होंने जेल में ही योगा, दौड़ना और तमाम तरह की एक्सरसाइज शुरू कर दी. इसके बाद उन्होंने जेल अधिकारियों से बैडमिंटन की भी मांग की. उन्हें जेल में सोने को लेकर भी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. उन्होंने बताया कि जमीन के ऊपर एक चादर होती है उसी में सोना होता था. हालांकि, थक जाने के बाद उन्हें अपने आप नींद आ जाती थी. वह अच्छी नींद के लिए खुद को पूरा दिन थकाते थे.
मेंटल हेल्थ पर क्या बोले आईपीएस
उन्होंने कहा कि जेल में वह एक कैदी थे भले ही बाहर कितने भी बड़े अफसर रहे हों. बाहर उनके कहने से गाड़ी भी खुलती थी लोग भी आते थे, लेकिन जेल में सब कुछ अलग था. अंदर से आप क्या महसूस कर रहे हैं किसी को बता नहीं सकते. हालांकि, बाद में उन्होंने मान लिया कि उन्हें जेल में जेल की तरह की रहना होगा यहां वह किसी अफसर की तरह नहीं रह सकते हैं. उन्होंने बताया कि उन्हें लोगों से इज्जत मिली. किसी ने कभी गलत व्यवहार नहीं किया.
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