Solar Eclipse 2020 Live Updates: देश में कई जगह दिखा रिंग ऑफ फायर का नजारा, लेकिन कई जगह छाए रहे बादल
ये सूर्य ग्रहण भारत में विभिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न आकार-प्रकार में दिखाई देगा. आइए जानते हैं कि यह सूर्य ग्रहण रिंग ऑफ फायर के अलावा और कितने प्रकार से दिखेगा.
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नई दिल्ली: आज लगने वाला चूड़ामणि योग युक्त सूर्य ग्रहण इस साल का सबसे लंबा सूर्य ग्रहण है. जो देश के करीब – करीब सभी हिस्सों में दिखाई देगा लेकिन उसका आकार- प्रकार अलग-अलग स्थानों पर अलग होगा. कहीं पर यह आंशिक रूप में दिखेगा तो कहीं यह वलयाकार तो कहीं कंकणाकृति. आइये सूर्य ग्रहण के आकार के बारे में विस्तार से जानने के पहले यह जान लें कि सूर्य ग्रहण कैसे लगता है.
सूर्य ग्रहण कैसे लगता है?
चंद्रमा जब पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है तो सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर नहीं पहुँच पाता है जिससे पृथ्वी पर अँधेरा हो जाता है. इस स्थिति को सूर्य ग्रहण कहते हैं.
खगोलीय घटनाएं
वैसे तो यह खगोलीय घटनाएँ (ग्रहण) दो प्रकार की होती हैं-सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण. इन दोनों आकाशीय घटनाओं में सूर्यग्रहण की घटना का प्रभाव पृथ्वी पर सबसे अधिक पड़ता है. इस प्रभाव की जानकारी का उल्लेख हमें वैदिक काल में भी मिलता है. वैदिक काल की मान्यता के अनुसार सूर्यग्रहण पृथ्वी पर रहने वाले जीव-जन्तुओं के लिए एक चेतावनी का संकेत होता है
वलयाकार सूर्यग्रहण
जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच में पृथ्वी से काफी दूर हो जाता है तो उसका आकार इतना नहीं दिखता कि वह सूर्य को पूरी तरह ढक ले. ऐसी स्थिति में चन्द्रमा की छाया सूर्य के केवल मध्य भाग पर ही पड़ती है जबकि सूर्य के किनारे प्रकाशमान रहते हैं. सूर्य के किनारे का यह प्रकाशमान भाग पृथ्वी से देखेने पर एक रिंग की तरह दिखाई पड़ता है. जो कि अत्यंत चमकीला होता है जिसे रिंग ऑफ फायर या कंकणाकृति सूर्यग्रहण कहते है. चूँकि सूर्य के चारों तरफ के किनारे का चमकीला भाग एक वलय की आकृति की तरह बनता है. इस लिए इसे वलयाकार सूर्यग्रहण भी कहते हैं.
पूर्ण सूर्यग्रहण
जब चंद्रमा पृथ्वी के निकट होता है और सूर्य तथा पृथ्वी के बीच में आता है तो चंद्रमा सूर्य को पूर्ण रूप से ढक लेता हैं. ऐसी स्थिति में सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर नहीं पहुँच पता है. इसे पूर्ण सूर्यग्रहण कहते है.
आंशिक सूर्यग्रहण
चंद्रमा जब सूर्य और पृथ्वी के बीच में इस तरह से आता है कि वह सूर्य का कुछ अंश ही ढक पाता है. अर्थात सूर्य को पूरी तरह से नहीं ढक पाता है. ऐसी स्थिति को आंशिक सूर्य ग्रहण कहते हैं.
सूर्य ग्रहण का समय
यह सूर्य ग्रहण विक्रम संवत् 2077 शाके 1942, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि, दिन रविवार, तारीख 21 जून 2020 को लगेगा. सार्वभौमिक परिदृश्य में यह सूर्य ग्रहण भारतीय समयानुसार सुबह 9 बजकर 15 मिनट पर शुरू होगा और 3 बजकर 5 मिनट पर खत्म होगा. लेकिन भारत में यह सूर्य ग्रहण सुबह 10 बजकर 13 मिनट और 52 सेकण्ड से शुरू होकर दोपहर 01 बजकर 29 मिनट और 52 सेकण्ड तक रहेगा. देश के अलग–अलग भागों में यह अलग–अलग समय पर दिखाई पड़ेगा.
Solar Eclipse 2020: सूर्य ग्रहण की अशुभता को घर से ऐसे निकालें बाहर, करें ये उपाय
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Surya Grahan Ka Upay: सूर्य ग्रहण समाप्त हो चुका है. साल का पहला सूर्य ग्रहण बहुत शक्तिशाली था. इसलिए ग्रहण की अशुभता को दूर करना बहुत जरूरी हो जाता है. इन उपायों को अपना कर ग्रहण की अशुभता को दूर किया जा सकता है.
Solar Eclipse 2020: उत्तराखंड में भी दिखा सूर्यग्रहण, चारधाम सहित प्रमुख मंदिरों के कपाट रहे बंद
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उत्तराखंड में सूर्यग्रहण के चलते 20 जून की रात करीब साढे़ दस बजे सूतक काल शुरू हो गया. सूतक काल में चारधाम सहित सभी मंदिरों के कपाट बंद कर दिए गए. देहरादून और टिहरी में लोगों ने वलयाकार ग्रहण देखने का भी दावा किया.
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