Solar Eclipse 2020 Live Updates: देश में कई जगह दिखा रिंग ऑफ फायर का नजारा, लेकिन कई जगह छाए रहे बादल

ये सूर्य ग्रहण भारत में विभिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न आकार-प्रकार में दिखाई देगा. आइए जानते हैं कि यह सूर्य ग्रहण रिंग ऑफ फायर के अलावा और कितने प्रकार से दिखेगा.

एबीपी न्यूज़ Last Updated: 21 Jun 2020 08:28 PM
उत्तराखंड में रविवार को सूर्यग्रहण देखा गया और इस दौरान चारधाम सहित समस्त मंदिर के कपाट बंद रहे. चारों धामों, बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री, सहित प्रदेश के सभी प्रमुख मंदिरों के कपाट सूर्यग्रहण शुरू होने से पहले सूतक काल लगते ही कल शनिवार रात करीब साढे़ दस बजे बंद कर दिये गये जिन्हें रविवार को ढाई बजे दोबारा खोला गया. करीब 16 घंटे बाद खुले इन मंदिरों में पहले साफ सफाई की गयी और फिर नियमित पूजा अर्चना की गयी.
पूर्ण या वलयाकार सूर्य ग्रहण तब पड़ता है चंद्रमा पूरी तरह सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है और परिणामस्वरूप, चंद्रमा के चारों ओर सूर्य का बाहरी हिस्सा दिखता रहता है, जो एक अंगूठी का आकार ले लेता है. यह ‘अग्नि-वलय' की तरह दिखता है जिसे ‘रिंग ऑफ फायर’ भी कहते हैं. सूर्य ग्रहण को नग्न आंखों से थोड़े समय के लिए भी नहीं देखा जाना चाहिए और इससे आंखों की रोशनी तक जा सकती है.
देश में इस समय वलयाकार सूर्यग्रहण चल रहा है, लेकिन राष्ट्रीय राजधानी में इस खगोलीय घटना के दीदार की चाहत रखने वालों को आसमान में छाए बादलों ने थोड़ा मायूस भी किया. वलयाकार सूर्यग्रहण में सूर्य सोने की अंगूठी जैसा नजर आता है। देश के बाकी हिस्सों में सूर्यग्रहण आंशिक रूप से देखा गया.


सूर्य ग्रहण देखने के लिए लोगों ने तरह-तरह के इंतजाम किए थे, लेकिन देश के अनेक हिस्सों में कल रात से शुरू हुई बारिश और दिन भर बादल छाए रहने की वजह से ज्यादातर लोग यह दुर्लभ खगोलीय घटना नहीं देख सके.

देश में इस समय वलयाकार सूर्यग्रहण चल रहा है लेकिन राष्ट्रीय राजधानी में इस खगोलीय घटना के दीदार की चाहत रखने वालों को आसमान में छाए बादलों ने थोड़ा मायूस भी किया. वलयाकार सूर्यग्रहण में सूर्य सोने की अंगूठी जैसा नजर आता है. रविवार सुबह इसके वलयाकार चरण को देश के उत्तरी हिस्से के कुछ क्षेत्रों में देखा जा सका जिनमें राजस्थान, हरियाणा और उत्तराखंड के इलाके शामिल हैं. इसके संकरे वलयाकार मार्ग में आने वाले कुछ प्रमुख स्थानों में देहरादून, कुरूक्षेत्र, चमोली, जोशीमठ, सिरसा और सूरतगढ़ हैं. देश के बाकी हिस्सों में सूर्यग्रहण आंशिक रूप से देखा गया.

21 जून 2020 के बाद अगला सूर्यग्रहण इसी साल 14 या 15 दिसंबर को होगा. हालांकि, माना जा रहा है कि अगला सूर्यग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा. वैज्ञानिकों के अनुसार, एक साल में कुल पांच सूर्यग्रहण तक लग सकते हैं. हालांकि, पूर्ण सूर्यग्रहण में सूरज लगभग 90 प्रतिशत तक एक काली परत से ढ़क जाता है.पूर्ण सूर्यग्रहण को काफी दुर्लभ माना जाता है. यह 18 महीनों में सिर्फ एक बार ही होता है. पूर्ण सूर्यग्रहण को उत्तर और दक्षिण ध्रुवों से नहीं देखा जा सकता है.
क्या आप जानते हैं कि सूर्य हमारे सौरमंडल अथवा सौर परिवार का एक तारा है जो सौरमंडल के केन्द्र में स्थित है. इसी सूर्य नामक तारे के चारों ओर सौरमंडल के दूसरे अन्य ग्रह अथवा अवयव अपनी-अपनी कक्षा में घूमते रहते हैं. वर्तमान समय में सौरमंडल में कुल आठ ग्रह ही शामिल हैं क्योंकि यम ग्रह को इस परिवार की शर्तों को पूरी न करने के कारण उसे इस परिवार से बाहर कर दिया गया है. इन आठ ग्रहों में से ही एक ग्रह पृथ्वी है. सौर परिवार का मात्र एक ग्रह पृथ्वी ही है जिस पर जीवन है. पृथ्वी का एक मात्र उपग्रह चन्द्रमा है. चन्द्रमा अपनी कक्षा में पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है. सूर्य के चारों तरफ चक्कर लगाते समय एक स्थिति यह भी आती है जब सूर्य, पृथ्वी और चन्द्रमा एक लाइन में आ जाते हैं तथा सूर्य और पृथ्वी के बीच चन्द्रमा आ जाता है. तब इस स्थिति में चन्द्रमा की छाया सूर्य पर पड़ने लगती है. खगोलीय शास्त्र में ही इस घटना को सूर्यग्रहण कहा जाता है. छाया के अनुसार ही सूर्यग्रहण का प्रकार तय किया जाता है.

दिल्ली समेत देश के अलग-अलग हिस्सों में भी मंदिरों के कपाट सुबह के दर्शनों के लिए बंद कर दिए गए थे. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार सूर्य ग्रहण के दौरान ना तो मंदिरों में पूजा-पाठ या दर्शन होना चाहिए और ना ही किसी भी तरह का धार्मिक और कोई शुभ कार्य करना चाहिए. रविवार का सूर्य ग्रहण इस साल का पहला और सबसे लंबा ग्रहण है. ये दोपहर करीब 3 बजकर 5 मिनट तक चलेगा. भारत में ये 2 बजे के करीब खत्म हो जाएगा. उसके बाद ही किसी भी तरह का कार्य किया जा सकता है.
सूर्य ग्रहण के चलते प्रसिद्ध माता वैष्णो देवी जी के मंदिर परिसर में रोज़ाना होने वाली सुबह की आरती दोपहर 2:20 पर होगी. इसके साथ ही सूर्य ग्रहण के दौरान वैष्णो देवी समेत शहर के सभी मंदिरों के कपाट भी बंद रहेंगे. रविवार को भारत समेत दुनियाभर में इस साल का पहला सूर्य ग्रहण देखा जा रहा है. माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की तरफ से दी गयी जानकारी के मुताबिक जम्मू में सूर्य ग्रहण रविवार सुबह 10:48 बजे से दोपहर 2:05 मिनट तक रहेगा. इस दौरान माता वैष्णो देवी समेत जम्मू और कटरा में सभी धार्मिक स्थलों के कपाट बंद रहेंगे.
सूर्य ग्रहण मिथुन राशि में लग रहा है. लेकिन वृश्चिक राशि पर भी इसका व्यापक प्रभाव रहेगा. इसलिए वृ़श्चिक राशि वाले भी सावधान और सर्तक रहें. बेहतर यही होगा कि ग्रहण के पास स्नान करने के बाद पूजा और दान अवश्य करें. इससे ग्रहण की अशुभता को दूर करने में मदद मिलेगी. वहीं नित्य गायत्री मंत्र का जाप करें. मां की सेवा करें और दरिद्र नारायण की सेवा करें. बुराई और नशा आदि से बचें.

क्या आप जानते हैं पृथ्वी से सूर्य की औसत दूरी लगभग 14 करोड़ 96 लाख किलोमीटर अथवा 9 करोड़ 29 लाख 60 हजार मील है. पृथ्वी की सूर्य से इतनी अधिक दूरी होने के कारण ही सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक आने में 8.3 मिनट का समय लग जाता है. सूर्य का निर्माण आज से लगभग 57 अरब वर्ष पूर्व एक विशाल आण्विक बादल के टूटने से हुआ था जिसका अधिकांश भाग हाइड्रोजन और हीलियम का बना हुआ है.

नेपाल के काठमांडू में भी सूर्यग्रहण दिखाई दिया. नेपाल के बीपी कोइराला स्मारक, तारामंडल वेधशाला और विज्ञान संग्रहालय विकास बोर्ड के अनुसार सूर्य ग्रहण आज सुबह 10:52 बजे से लेकर दोपहर 2:32 बजे तक दिखाई देगा. ग्रहण की जो तस्वीर सामने आई है उसमें सूर्य पर चंद्रमा की छाया को पड़ते देखा जा सकता है.
साल का पहला और सदी का दूसरा सूर्य ग्रहण

ज्योतिषाचार्यों का मत है कि इस तरह का दुर्लभ सूर्य ग्रहण इस सदी का दूसरा और इस साल का पहला सूर्य ग्रहण है. यह सूर्य ग्रहण भारत में करीब 3 घंटे तक रहेगा. इस दौरान लोग अपने घरों में रहें. अपने भगवान को साफ़ कपड़े से ढक दें. तथा कोई भी वर्जित काम न करें. ग्रहण की समाप्ति के बाद स्नान और दान करें.

देहरादून का आसमान में सूर्य ग्रहण का अनोखा नजारा देखने को मिला. गौर से देखने पर आप पाएंगे कि चांद की छाया से सूर्य पूरी तरह ढका नजर आ रहा है. सूर्य ग्रहण एशिया, अफ्रीका, प्रशांत क्षेत्र, हिंद महासागर, यूरोप के कई हिस्सों और ऑस्ट्रेलिया में दिखाई देगा. भारत में सबसे पहले यह सूर्यग्रहण गुजरात राज्य के द्वारका में दिखाई दिया.

संयुक्त अरब अमीरात (UAE): दुबई के आसमान में सूर्यग्रहण दिखाई दिया. सूर्यग्रहण को आप आर्यभट्ट प्रेक्षण एवं शोध संस्थान (एरीज) के फेसबुक पेज और ज़ूम ऐप पर घर बैठे लाइव देख सकते हैं. कोई भी व्यक्ति इस सूर्यग्रहण को नंगी आंखों से न देखे. नासा के अनुसार, इस दुर्लभ सूर्यग्रहण को देखने के लिए सोलर फिलटर ग्लास वाले चश्मे का ही प्रयोग करें. एक्स-रे शीट या फिर साधारण चश्मे से इस सूर्यग्रहण को न देखें. इससे आपकी आंखों को नुकसान पहुंच सकता है.
पंजाब: अमृतसर के आसमान में आज #SolarEclipse2020 दिखाई दिया. सूर्य ग्रहण सुबह 9 बजकर 15 मिनट पर शुरु हुआ और यह 3 बजकर 4 मिनट तक रहेगा. दिल्ली में कुछ ऐसे सूर्य ग्रहण की झलक देखने को मिली. घने बादल होने के कारण सूर्य ग्रहण को देखना पाना मुश्किल हो रहा है.महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई से सूर्य ग्रहण कुछ तरह का दिखाई दिया. सूर्य बिल्कुल पीला नजर आ रहा है.

राजस्थान: जयपुर के आसमान में #SolarEclipse2020 दिखाई दिया. यहां पर सूर्य ग्रहण दोपहर 1:44बजे तक दिखाई देगा. ग्रहण को पूरी तरह से 11:55 पर देखा जा सकेगा. यह एशिया, अफ्रीका, प्रशांत, हिंद महासागर, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया के कुछ हिस्सों से दिखाई देगा. आज के बाद अगला सूर्यग्रहण इसी साल 14 या 15 दिसंबर को होगा. हालांकि, माना जा रहा है कि अगला सूर्यग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा. वैज्ञानिकों के अनुसार, एक साल में कुल पांच सूर्यग्रहण तक लग सकते हैं.
पौराणिक मान्यता यह है कि हरियाणा के कुरुक्षेत्र में ही सन्निहित नाम का एक सरोवर है. इस सरोवर की लम्बाई लगभग 1800 फीट और चौड़ाई लगभग 1400 फीट है. कहा जाता है कि इस कुंड में स्नान करने से उतना ही पुण्य प्राप्त होता है कि जितना पुण्य अश्वमेध यज्ञ करने से प्राप्त होता है. ऐसी मान्यता है कि सूर्यग्रहण के अवसर पर ब्रह्म सरोवर और सन्निहित सरोवर में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. ऐसी भी मान्यता है कि इसी कारण सूर्यग्रहण के समय सभी देवता कुरुक्षेत्र में ही मौजूद रहते हैं. इसीलिए इस मान्यता के अनुसार सूर्यग्रहण के अवसर पर यहाँ लाखों श्रद्धालु स्नान करने के लिए आते हैं. लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते इस बार इस स्नान पर रोक लगा दी गई है.

राजधानी दिल्ली से भी ग्रहण की तस्वीर सामने आई है. दिल्ली में बादलों की वजह से ग्रहण पूरी तरह दिखाई नहीं दे रहा है पर चंद्रमा की हल्की छाया सूर्य पर देखी जा सकती है.सूर्य बाएं तरफ से थोड़ा कटा हुआ नजर आ रहा है.

राजधानी दिल्ली से भी ग्रहण की तस्वीर सामने आई है. दिल्ली में बादलों की वजह से ग्रहण पूरी तरह दिखाई नहीं दे रहा है पर चंद्रमा की हल्की छाया सूर्य पर देखी जा सकती है.सूर्य बाएं तरफ से थोड़ा कटा हुआ नजर आ रहा है.


अहमदाबाद के बाद नोएडा से भी ग्रहण की तस्वीर सामने आई है. इसमें सूर्य वलयाकार नजर आ रहा है. 21 जून के बाद अगला सूर्यग्रहण इसी साल 14 या 15 दिसंबर को होगा. हालांकि, माना जा रहा है कि अगला सूर्यग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा. वैज्ञानिकों के अनुसार, एक साल में कुल पांच सूर्यग्रहण तक लग सकते हैं.


अहमदाबाद के बाद नोएडा से भी ग्रहण की तस्वीर सामने आई है. इसमें सूर्य वलयाकार नजर आ रहा है. 21 जून के बाद अगला सूर्यग्रहण इसी साल 14 या 15 दिसंबर को होगा. हालांकि, माना जा रहा है कि अगला सूर्यग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा. वैज्ञानिकों के अनुसार, एक साल में कुल पांच सूर्यग्रहण तक लग सकते हैं.
सूर्यग्रहण को कभी भी खुली आँखों से नहीं देखना चाहिए. इसका कारण यह है कि सूर्यग्रहण के समय सूर्य से पराबैंगनी किरणें निकलती हैं जो आँखों पर बहुत बुरा प्रभाव डालती हैं. इन पराबैंगनी किरणों से आँखों को नुकशान होने की अधिक संभावना रहती है. इसलिए कभी भी सूर्यग्रहण को खुली आँखों से नहीं देखना चाहिए. इसीलिए सूर्यग्रहण को देखने के लिए एल्युमिनेटेड मायलर अथवा ब्लैक पॉलिमर अथवा शेड नम्बर 14 के वेल्डिंग ग्लास अथवा टेलिस्कोप के द्वारा सफ़ेद बोर्ड पर सूर्य के इमेज को प्रोजेक्ट करके उचित फ़िल्टर का उपयोग करते हुए इसे देखना चाहिए.

सूर्यग्रहण की शुरुआत हो चुकी है. गुजरात के अहमदाबाद से ग्रहण की तस्वीर सामने आई है. सूर्य पर चंद्रमा की छाया को पड़ते देखा जा सकता है. आप ध्यान से देखें तो पाएंगे सूर्य ऊपर की तरफ से थोड़ा कटा हुआ नजर आ रहा है. दरअसल, वो कटा हुआ नहीं बल्कि चांद की छाया है.

सूर्यग्रहण की शुरुआत हो चुकी है. गुजरात के अहमदाबाद से ग्रहण की तस्वीर सामने आई है. सूर्य पर चंद्रमा की छाया को पड़ते देखा जा सकता है. आप ध्यान से देखें तो पाएंगे सूर्य ऊपर की तरफ से थोड़ा कटा हुआ नजर आ रहा है. दरअसल, वो कटा हुआ नहीं बल्कि चांद की छाया है.

सूर्यग्रहण की शुरुआत हो चुकी है. गुजरात के अहमदाबाद से ग्रहण की तस्वीर सामने आई है. सूर्य पर चंद्रमा की छाया को पड़ते देखा जा सकता है. आप ध्यान से देखें तो पाएंगे सूर्य ऊपर की तरफ से थोड़ा कटा हुआ नजर आ रहा है. दरअसल, वो कटा हुआ नहीं बल्कि चांद की छाया है.

सूर्य ग्रहण का सूतक काल लग चुका है और दिल्ली के सभी मंदिरों के कपाट भी बंद कर दिए गए हैं. अब यह कपाट सूर्य ग्रहण के खत्म होने के बाद ही खुलेंगे. दिल्ली के झंडेवालान मंदिर में सूतक काल लगने से पहले मंदिर के अंदर पूजा पाठ और आरती की गई और उसके बाद सूतक काल लगते ही मंदिर के कपाट पूरी तरह से बंद कर दिए गए. अब किसी को भी मंदिर के अंदर जाने की अनुमति नहीं है, ना ही कोई अंदर जाकर दर्शन कर सकता है. जब तक सूर्य ग्रहण रहेगा मंदिरों के कपाट भी बंद रहेंगे. सूर्य ग्रहण खत्म होने के बाद ही कपाट दोबारा से खोले जाएंगे और उसके बाद ही श्रद्धालु मंदिरों में दर्शन और पूजा करने जा सकते हैं.
कोई भी व्यक्ति इस सूर्यग्रहण को नंगी आंखों से न देखे. नासा के अनुसार, इस दुर्लभ सूर्यग्रहण को देखने के लिए सोलर फिलटर ग्लास वाले चश्मे का ही प्रयोग करें. एक्स-रे शीट या फिर साधारण चश्मे से इस सूर्यग्रहण को न देखें. इससे आपकी आंखों को नुकसान पहुंच सकता है. कई रिपोर्ट में बताया गया है कि ग्रहण के दौरान ड्राइविंग या राइडिंग नहीं करनी चाहिए. छोटे बच्चों को सूर्यग्रहण नहीं दिखाना चाहिए.


आज होने वाले अनूठे सूर्यग्रहण को आप आर्यभट्ट प्रेक्षण एवं शोध संस्थान (एरीज) के फेसबुक पेज और ज़ूम ऐप पर घर बैठे लाइव देख सकते हैं. एरीज के निदेशक डॉक्टर दीपांकर बनर्जी ने बताया है कि वलयाकार सूर्यग्रहण को फेसबुक पेज पर लाइव दिखाने के लिए एरीज ने सभी तैयारियां कर ली हैं.

दुनिया की बात करें तो यह ग्रहण भारत, नेपाल, पाकिस्तान, यूएई, इथोपिया और कांगो में दिखाई देगा. भारत में हरियाणा, उत्तराखंड और राजस्थान के कुछ शहरों में वलयाकार सूर्यग्रहण देखने को मिलेगा. वहीं जयपुर, दिल्ली, चंडीगढ़, मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद, चेन्नई, शिमला और लखनऊ जैसे शहरों में आंशिक सूर्यग्रहण ही दिखाई देगा.

सूर्य ग्रहण एक ऐसी खगोलीय घटना है जो हर किसी को प्रभावित करती है. ये सूर्य ग्रहण बेहद शक्तिशाली है. इस दिन सूर्य ग्रहण के अतिरिक्त कई घटनाएं घटित हो रही है. इस दिन साल का सबसे बड़ा दिन भी है. यानि इस दिन, रात छोटी और दिन बड़ा होगा. पंचांग के अनुसार इस दिन सूर्योदय प्रात: 5 बजकर 24 मिनट पर होगा वहीं शाम 7 बजकर 22 मिनट पर सूर्य अस्त होगा. इस तरह आज यानि 21 जून, 2020 रविवार साल का सबसे बड़ा दिन होगा.
भारत में सूर्यग्रहण लगने का समय- भारत में इसका आरम्भ सुबह 9 बजकर 15 मिनट पर होगा और अंत 3 बजकर 4 मिनट पर होगा. भारत में सबसे पहले यह सूर्यग्रहण गुजरात राज्य के द्वारका में दिखाई देगा. जबकि वहीँ ग्रहण का मोक्ष नागालैंड राज्य की राजधानी कोहिमा में होगा.

भौतिक विज्ञान के अनुसार जब सूर्य व पृथ्वी के बीच में चन्द्रमा आ जाता है तो चन्द्रमा के पीछे सूर्य का बिम्ब कुछ समय के लिए ढक जाता है, उसी घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है. इसी प्रक्रिया के दौरान कभी-कभी चांद, सूरज और धरती के बीच आ जाता है. फिर वह सूरज की कुछ या सारी रोशनी रोक लेता है इसी घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है.


सूर्यग्रहण के चलते केदारनाथ धाम के कपाट बंद हो गए हैं. ग्रहण के चलते केदारनाथ धाम में 16 घंटे तक पूजा पाठ बंद रहेगा. मंदिर के कपाट दोपहर बाद फिर खुलेंगे . करीब 6 घंटे तक लगाने वाले अद्भुत सूर्य ग्रहण की इसकी लंबी अवधि की वजह से भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में इसकी चर्चा हो रही है. ग्रहण लगने से पहले सूतक काल शुरू हो चुका है.
मिथुन राशि में पड़ने वाले इस सूर्य ग्रहण का सूतक काल कुछ ही घंटों में शुरू होने जा रहा है. इस बार का ग्रहण शक्तिशाली और कई मायनों में विशेष है. ग्रहण के समय 6 ग्रह वक्री रहेंगे जिनका परिणाम शुभ नहीं माना जा रहा है. सूर्य ग्रहण का सभी पर प्रभाव डालता है.
इस साल का पहला सूर्यग्रहण भारत के साथ दक्षिण पूर्व यूरोप और पूरे एशिया में दिखाई देगा. सूर्यग्रहण का केन्द्र हरियाणा राज्य के कुरुक्षेत्र में होगा. यह सूर्यग्रहण मिथुन राशि मंगल के मृगशिरा नक्षत्र में लगने जा रहा है जो कि 03 घंटे 25 मिनट और 17 सेकण्ड तक चलेगा.

बैकग्राउंड

नई दिल्ली: आज लगने वाला चूड़ामणि योग युक्त सूर्य ग्रहण इस साल का सबसे लंबा सूर्य ग्रहण है. जो देश के करीब – करीब सभी हिस्सों में दिखाई देगा लेकिन उसका आकार- प्रकार अलग-अलग स्थानों पर अलग होगा. कहीं पर यह आंशिक रूप में दिखेगा तो कहीं यह वलयाकार तो कहीं कंकणाकृति. आइये सूर्य ग्रहण के आकार के बारे में विस्तार से जानने के पहले यह जान लें कि सूर्य ग्रहण कैसे लगता है.


 


सूर्य ग्रहण कैसे लगता है?


 


चंद्रमा जब पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है तो सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर नहीं पहुँच पाता है जिससे पृथ्वी पर अँधेरा हो जाता है. इस स्थिति को सूर्य ग्रहण कहते हैं.


 


खगोलीय घटनाएं


 


वैसे तो यह खगोलीय घटनाएँ (ग्रहण) दो प्रकार की होती हैं-सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण. इन दोनों आकाशीय घटनाओं में सूर्यग्रहण की घटना का प्रभाव पृथ्वी पर सबसे अधिक पड़ता है. इस प्रभाव की जानकारी का उल्लेख हमें वैदिक काल में भी मिलता है. वैदिक काल की मान्यता के अनुसार सूर्यग्रहण पृथ्वी पर रहने वाले जीव-जन्तुओं के लिए एक चेतावनी का संकेत होता है


 


वलयाकार सूर्यग्रहण


 


जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच में पृथ्वी से काफी दूर हो जाता है तो उसका आकार इतना नहीं दिखता कि वह सूर्य को पूरी तरह ढक ले. ऐसी स्थिति में चन्द्रमा की छाया सूर्य के केवल मध्य भाग पर ही पड़ती है जबकि सूर्य के किनारे प्रकाशमान रहते हैं. सूर्य के किनारे का यह प्रकाशमान भाग पृथ्वी से देखेने पर एक रिंग की तरह दिखाई पड़ता है. जो कि अत्यंत चमकीला होता है जिसे रिंग ऑफ फायर या कंकणाकृति सूर्यग्रहण कहते है. चूँकि सूर्य के चारों तरफ के किनारे का चमकीला भाग एक वलय की आकृति की तरह बनता है. इस लिए इसे वलयाकार सूर्यग्रहण भी कहते हैं.


 


पूर्ण सूर्यग्रहण


 


जब चंद्रमा पृथ्वी के निकट होता है और सूर्य तथा पृथ्वी के बीच में आता है तो चंद्रमा सूर्य को पूर्ण रूप से ढक लेता हैं. ऐसी स्थिति में सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर नहीं पहुँच पता है. इसे पूर्ण सूर्यग्रहण कहते है.


 


आंशिक सूर्यग्रहण


 


चंद्रमा जब सूर्य और पृथ्वी के बीच में इस तरह से आता है कि वह सूर्य का कुछ अंश ही ढक पाता है. अर्थात सूर्य को पूरी तरह से नहीं ढक पाता है. ऐसी स्थिति को आंशिक सूर्य ग्रहण कहते हैं.


 


सूर्य ग्रहण का समय


 


यह सूर्य ग्रहण विक्रम संवत् 2077 शाके 1942, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि, दिन रविवार, तारीख 21 जून 2020 को लगेगा. सार्वभौमिक परिदृश्य में यह सूर्य ग्रहण भारतीय समयानुसार सुबह 9 बजकर 15 मिनट पर शुरू होगा और 3 बजकर 5 मिनट पर खत्म होगा.  लेकिन भारत में यह सूर्य ग्रहण सुबह 10 बजकर 13 मिनट और 52 सेकण्ड से शुरू होकर दोपहर 01 बजकर 29 मिनट और 52 सेकण्ड तक रहेगा. देश के अलग–अलग भागों में यह अलग–अलग समय पर दिखाई पड़ेगा.


 


 

- - - - - - - - - Advertisement - - - - - - - - -

TRENDING NOW

© Copyright@2024.ABP Network Private Limited. All rights reserved.