24 अक्टूबर को पूरे देश में धूमधाम से दिवाली का त्योहार मनाया गया. इस त्योहार के अगले ही दिन यानी आज 25 अक्टूबर को साल का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है. यह ग्रहण आज पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों को छोड़कर भारत के अधिकांश राज्यों में देखने को मिलेगा. भारत के अलावा यह यूरोप के कई क्षेत्रों, मिडिल ईस्ट, अफ्रीका के उत्तर-पूर्वी हिस्सों, पश्चिमी एशिया, उत्तरी अटलांटिक महासागर और उत्तरी हिंद महासागर में भी दिखाई देगा. 


भारत में सूर्य ग्रहण को लेकर काफी धार्मिक मान्यताएं हैं. धार्मिक की मान्यताओं के अनुसार सूर्य या चंद्रमा किसी भी ग्रहण के वक्त भोजन नहीं करना चाहिए. पुराणों के माना जाता है कि जो व्यक्ति ग्रहण के दौरान अन्न खाता है उसे नरक की यातनाएं भोगनी पड़ती है. जिसका मतलब है कि जो व्यक्ति ग्रहण के दौरान जितना अन्न खाएगा उसे उतना ही नर्क की यातनाएं भोगनी पड़ेगी. इसके अलावा एक मान्यता यह भी है कि ग्रहण के दौरान सूर्य या चांद को नहीं देखना चाहिये इससे आखें खराब हो जाती है. 


लेकिन आपने कभी सोचा है कि इस धार्मिक मान्यताओं में कितनी सच्चाई है. क्या विज्ञान इस तरह की मान्यताओं की पुष्टि करता है. इस सवाल के जवाब में पटना यूनिवर्सिटी के फिजिक्स के प्रोफेसर कहते हैं कि ग्रहण के दौरान क्या करें क्या ना करें इसकी कई धार्मिक मान्यताएं है लेकिन वैज्ञानिक दृष्टिकोण बिल्कुल अलग है. उन्होंने कहा कि ये सच है कि ग्रहण के दौरान खाना नहीं खाना चाहिये. लेकिन इसके पीछे का कारण बिल्कुल अलग है. 


दरअसल वैज्ञानिक परीक्षणों में यह बात सामने आई है कि सूर्य ग्रहण के समय वातावरण में आने वाली पराबैंगनी किरणों (ultraviolet rays) के कारण भोजन विषैला हो जाता है. जो आपके स्वास्थ्य के लिए सेहतमंद नहीं है.


सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण के समय भोजन करने से व्यक्ति का पेट के रोग हो सकता है. इसलिए वैज्ञानिकों की सलाह है कि इन किरणों से खाने को बचाए रखने के लिए या तो उसे ढ़क कर रखें या जब तक ग्रहण है तब तक का उपवास रख लें. 


आइये जानते हैं क्या है सूर्य ग्रहण से जुड़े अंधविश्वास और वैज्ञानिक सच


कहा जाता है कि सूर्य ग्रहण के दौरान नंगी आंखों से सूरज की और नहीं देखना चाहिए. इससे आंखें खराब हो जाती है. हालांकि वैज्ञानिक तर्क माने तो ऐसा कुछ नहीं होता. NASA के मुताबिक पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य के ऊपरी परत से विद्युत चुम्बकीय विकिरण निकलती है. लेकिन धरती से लाखों किलोमीटर दूर होने के कारण इसका असर धरती से देख रहे किसी व्यक्ति पर नहीं होता.


हालांकि, जब ग्रहण के बाद सूरज की रोशनी अचानक वापस आती है तो ऐसे में निकलने वाली चमकदार किरणें रेटिना को नुकसान पहुंचा सकती हैं. इसलिए कहा जाता है कि सूर्य ग्रहण के दौरान नंगी आंखों से सूरज की तरफ नहीं देखना चाहिये. 


एक धार्मिक मान्यता यह भी है कि ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को नुकीली चीज से दूर रहना चाहिये और घर से नहीं निकलना चाहिये. इस मान्यता को अंधविश्वास बताते हुए प्रोफेसर ने कहा कि यह वैज्ञानिकों के मुताबिक सूर्य के ऊपरी सतह कॉरोना से निकलने वाला इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन हम तक नहीं पहुंच पाता है. ऐसे में गर्भ में पल रहे बच्चों पर कोई असर नहीं होता. कहा जाता है कि सूर्य ग्रहण लगना अशुभ है. इसपर प्रोफेसर ने कहा कि ये सिर्फ और सिर्फ मिथक है. 


ग्रहण के दौरान खाने के सामानों में तुलसी क्यों रखना चाहिए? इसपर ABP से बातचीत करते हुए ज्योतिषाचार्य डॉ. वीरेंद्र मिश्र कहते हैं कि ऐसी धार्मिक मान्यता है कि तुलसी का पत्ता पड़ने से खाने के सामानों पर किसी भी तरह का नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता. 


सूर्य ग्रहण होता क्या है?


सूर्य सभी ग्रहों को केंद्र है. ऐसे समझिये की पृथ्वी और सभी दूसरे ग्रह सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं. वहीं दूसरी तरफ चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है. एक तरफ जहां पृथ्वी को सूर्य के चारों चक्कर लगाने में 365 दिन लगता है. वहीं दूसरी तरफ चांद्रमा को एक चक्कर लगाने में 27 दिन लगते हैं. चंद्रमा के चक्कर लगाने के दौरान कई बार यह सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है और सूरज की रौशनी को रोक देता है. 


ग्रहण मुख्य रूप से 3 प्रकार के होते हैं


फिजिक्स के प्रोफेसर राजेश तिवारी ने कहा कि सूर्य ग्रहण मुख्य रूप से 3 प्रकार के होते हैं. आंशिक सूर्य ग्रहण, वलयाकार सूर्य ग्रहण, पूर्ण सूर्य ग्रहण.  आंशिक सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा की परछाई सूर्य के पूरे भाग को ढंकने की बजाय किसी एक हिस्से को ही ढंके. वलयाकार सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी से दूर होता है और इसका आकार छोटा दिखाई देता है. ग्रहण के इस प्रकार के दौरान चंद्रमा, सूर्य को पूरी तरह से ढंक नहीं पाता है, और उसका केवल कुछ हिस्सा दिखाई देता है. 


वहीं पूर्ण सूर्य ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी, सूर्य तथा चंद्रमा एक सीधी रेखा में हो और इसके कारण पृथ्वी के एक भाग पर पूरी तरह से अंधेरा छा जाता है. 


कहां दिखेगा सूर्य ग्रहण?


भारत में आज आने वाला सूर्य ग्रहण को अहमदाबाद, सूरत, नई दिल्ली, मुंबई, पुणे, जयपुर, इंदौर, ठाणे, भोपाल, लुधियाना, आगरा, चंडीगढ़, उज्जैन जैसे शहरों में एक घंटे से अधिक समय तक दिखाई देगा. जबकि मथुरा, पोरबंदर, गांधीनगर, सिलवासा, सूरत और पणजी, हैदराबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, लखनऊ, कानपुर, नागपुर, विशाखापट्टनम, पटना, मंगलुरु, कोयंबटूर, ऊटी, वाराणसी और तिरुवनंतपुरम जैसे शहरों में एक घंटे से भी कम समय तक ग्रहण दिखाई देगा. वहीं कुछ क्षेत्रों में ये ग्रहण बिल्कुल दिखाई नहीं देगा. वो क्षेत्र हैं आइजोल, डिब्रूगढ़, इंफाल, ईटानगर, कोहिमा, सिलचर और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह. 


साल का ये आखिरी सूर्य ग्रहण भारतीय समय के अनुसार दोपहर 2 बजकर 29 मिनट पर आइसलैंड में शुरू होगा, जो शाम 6 बजकर 20 मिनट पर अरब सागर में ख़त्म होगा. भारत में यह सूर्य ग्रहण दोपहर लगभग 4 बजकर 29 मिनट से शुरू होकर सायंकाल 6 बजकर 9 मिनट पर खत्म होगा. 


आपके शहर में कितने बजे दिखेगा सूर्य ग्रहण


दिल्ली में यह ग्रहण 04 बजकर 51 मिनट से 05 बजकर 42 मिनट तक दिखेगा. 


कोलकाता में यह ग्रहण  04 बजकर 51 मिनट से 05 बजकर 04 मिनट तक दिखेगा. 


मुंबई में यह ग्रहण 04 बजकर 49 मिनट से लेकर 06 बजकर 09 मिनट तक दिखेगा. 


चेन्नई में यह ग्रहण 05 बजकर 13 मिनट से 05 बजकर 45 मिनट तक दिखेगा.


पटना में 04 बजकर 42 मिनट से 05 मिनट बजकर 14 मिनट तक दिखेगा ग्रहण


जयपुर में 04 बजकर 31 मिनट से 05 बजकर 50 मिनट तक दिखेगा ग्रहण


लखनऊ में 04 बजकर 36 मिनट से 05 बजकर 29 मिनट तक दिखेगा ग्रहण


हैदराबाद में 04 बजकर 58 मिनट से 05 बजकर 48 मिनट होगा ग्रहण 


बैंगलोर में 05 बजकर 12 मिनट से 05 बजकर 56 मिनट तक दिखेगा ग्रहण


अहमदाबाद में 04 बजकर 38 मिनट से 06 बजकर 06 मिनट तक दिखेगा ग्रहण


पुणे में 04 बजकर 51 मिनट से 06 बजकर 06 मिनट तक  दिखेगा ग्रहण


नागपुर में 04 बजकर 49 मिनट से 05 बजकर 42 मिनट तक दिखेगा ग्रहण


भोपाल में 04 बजकर 42 मिनट से 05 बजकर 47 मिनट तक  दिखेगा ग्रहण


चंडीगढ़ में 04 बजकर 23 मिनट से 05 बजकर 41 मिनट तक दिखेगा ग्रहण


मथुरा में 04 बजकर 31 मिनट से 05 बजकर 41 मिनट तक दिखेगा ग्रहण