पाकिस्तानी हाई कमीशन जासूसी नेटवर्क में बड़ा खुलासा, कंज्यूमर-फोरम के शिकायती-पोर्टल से चुराते थे सैनिकों की जानकारी
आईएसआई के जासूस आबिद हुसैन और मोहम्मद तारिक कम्पेंलट बोर्ड ऑफ इंडिया की वेबसाइट पर जाकर उन फौजियों को ढूंढते थे जिन्होनें अपनी अहम जानकारी के साथ उपभोक्ताओं से जुड़ी कोई शिकायत दर्ज कराई हो.
नई दिल्लीः पाकिस्तानी हाई कमीशन जासूसी नेटवर्क में एबीपी न्यूज एक और खुलासा कर रहा है. ये खुलासा जुड़ा है सैनिकों से जुड़ी जानकारी में सेंध लगाने का. एबीपी न्यूज को पता चला है कि हाई कमीशन में तैनात आईएसआई के जासूस कंज्यूमर फोरम के शिकायती पोर्टल, 'कंप्लेंट-बोर्ड ऑफ इंडिया से सैनिकों की जानकारियां इकठ्ठा कर उनसे संपर्क साधते थे.
मिलिट्री-इंटेलीजेंस यानि एमआई के विश्वसनीय सूत्रों ने एबीपी न्यूज को बताया है कि आईएसआई के जासूस, आबिद हुसैन और मोहम्मद तारिक कम्पेंलट बोर्ड ऑफ इंडिया की वेबसाइट पर जाकर उन फौजियों को ढूंढते थे जिन्होनें अपने नाम, मोबाइल नंबर और यूनिट-रेजीमेंट के साथ उपभोक्ताओं से जुड़ी कोई शिकायत दर्ज कराई हो.
जानकारी के मुताबिक, हालांकि आबिद और ताहिर दोनों ही दिल्ली स्थित पाकिस्तानी हाई कमीशन में वीजा-अधिकारी के तौर पर तैनात हों लेकिन उनका असली काम भारत में आईएसआई का जाल फैलाना था. इसके लिए वे सैनिकों और रक्षा-क्षेत्र से जुड़े लोगों से संपर्क साधते थे. सूत्रों के मुताबिक, शुरूआत में आबिद अपने-आप को सीबीपीओ यानि सेंट्रल बेस पोस्ट ऑफिस के कर्मचारी के तौर पर अपनी पहचान बताता था. सीबीपीओ, दरअसल, भारतीय सेना की डाक-सेवा कोर है जो देश-विदेश से आने वाली चिठ्ठी-पत्र या फिर कार्गो को हैंडल करती है. कई बार सैनिक द्वारा अपनी फील्ड लोकेशन से अपनी चिठ्ठी, दस्तावेज या फिर कोई जरूरी सामान एक जगह से दूसरी जगह भेजना होता है. लेकिन कई बार किन्ही कारणोँ से ये सामान समय पर अपने गंतव्य पर नहीं पहुंच पाता है. इसके लिए सैनिक अपनी शिकायत कंप्लेंट बोर्ड ऑफ इंडिया पोर्टल पर करते हैं.
सूत्रों के मुताबिक, इसी का फायदा आबिद और तारिक उठाते थे. ये दोनों अपने-आप को सीबीपीओ का कर्मचारी बताकर पहले तो पीड़ित सैनिकों से संपर्क साधते थे और फिर उनकी समस्या सुनने के नाम पर उनसे दोस्ती गांठ लेते थे. इनका दूसरा चरण होता था सैनिकों से उनकी यूनिट-रेजीमेंट की लोकेशन पता करना. दोस्ती आगे बढ़ती थी तो मिलने के लिए अपने किसी दोस्त से मिलने के लिए कहते थे. लेकिन वो दोस्त कोई और नहीं ये दोनों खुद होते थे.
मुलाकात होने पर आबिद अपने-आप को अमृतसर का बिजनेसमैन बताता था और तारिक पहचान एक ‘न्यूज-रिपोर्टर’ के भाई या दोस्त के तौर पर कराते थे. सैनिक से मुलाकात के दौरान ये उनसे सेना से जुड़ी अहम और संवेदनशील जानकारी किसी अखबार या मैगजीन में छपवाने के नाम पर ले लेते थे. इसके बदले में ये 25 हजार रूपये कैश या फिर आई-फोन जैसा कोई कीमती गिफ्ट भी देते थे. गिरफ्तारी के वक्त भी उनके पास से 15 हजार कैश और दो नए आई-फोन बरामद हुए थे.
आपको बता दें कि रविवार को मिलिट्री इंटेलीजेंस यानि एमआई के इनपुट पर पाकिस्तानी हाई कमीशन से ओपरेट हो रहे एक बड़े जासूसी नेटवर्क का दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने भांडाफोड किया था. इस मामले में भारत सरकार के आदेश के बाद हाई कमीशन के दोनों अधिकारी, आबिद और तारिक को देश छोड़कर वापस पाकिस्तान लौटना पड़ा है. हाई कमीशन के एक ड्राइवर को भी इस मामले में पकड़ा गया था लेकिन बाद में उसे भी हाई कमीशन के हवाले कर दिया गया था.
आरोपी आबिद हुसैन (उम्र 42 साल) पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का जासूस था और दिसम्बर 2018 में दिल्ली स्थित हाई कमीशन में तैनात हुआ था. वो पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का रहने वाला है और अच्छी पंजाबी जानता है. वो दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग में ट्रेड डिपार्टमेंट में अस्सिटेंट के तौर पर काम कर रहा था. उसका साथी ताहिर (44 साल) पाकिस्तान की राजधानी, इस्लामाबाद का रहने वाला है और फिलहाल उच्चायोग में क्लर्क था. ताहिर वर्ष 2015 से दिल्ली में तैनात था. दोनों ही वीजा देने वाले डिपार्टमेंट से जुड़े थे. लेकिन, सूत्रों की मानें तो दोनों का असली काम भारत में रहकर आईएसआई के लिए जासूसी करना था.
एमआई के सूत्रों के मुताबिकं आबिद और ताहिर भारत के सैनिकों और रक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों को अपने जाल में फंसाने का काम करते थे. आबिद अपने आप को अमृतसर का बिजनेसमैन बनकर सैन्य और रक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों से मिलता था और ताहिर 'न्यूज-रिपोर्टर्स' के लिए जानकारी इकठ्ठा करने के नाम से गोपनीय और संवेदनशील जानकारियां जुटाता था. एक सूचना देनए के बदले में ताहिर और आबिद इन लोगों को 25 हजार रूपये कैश या फिर आई-फोन जैसए कीमती गिफ्ट दिया करते थे.
गौरतलब है कि एबीपी न्यूज ने जब कम्पलेंट-बॉर्ड की साइट पर जाकर फैक्ट-चेक किया तो पता चला कि वहां वाकई बड़ी तादाद में सैनिक और पूर्व-फौजियों ने अपने स्पीड-पोस्ट और बैंक से जुड़ी समस्याओं की शिकायत कर रखी थी. इन शिकायतों में सैनिकों ने अपने मोबाइल नंबर और यूनिट-लोकेशन दे रखी थी.
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