सैनिकों को अब मिलने शुरू हो जाएंगे असली मेडल, रक्षा मंत्रालय ने करीब 17 लाख मेडल बनाने का किया करार
पिछले कुछ सालों से जो सर्विस मेडल सेना की तरफ से सैनिकों को प्रदान किए जाते थे, वे समय पर नहीं मिलते थे. सेवा मेडल बहुत ज्यादा संख्या में सैनिकों को मिलने की वजह से बैकलॉग हो गया था. इसे दूर करने के लिए रक्षा मंत्रालय ने अलग से करार किया है.
नई दिल्ली: नकली मेडल पहने के लिए मजबूर सैनिकों को अब असली मेडल मिलना शुरू हो जाएंगे. रक्षा मंत्रालय ने करीब 17 लाख मेडल बनाने का करार किया है. माना जा रहा है कि अगले 3-4 महीने तक ये सभी मेडल सेना को मिल जाएंगे. थलेसना ने एक संक्षिप्त बयान जारी कर बताया कि रक्षा मंत्रालय ने कुल 17.27 लाख सर्विस मेडल की खरीद का करार किया है. ये सर्विस मेडल उन सैनिकों की मांग को पूरा करेंगे जिन्होनें सेना में सेवा की है और कर कर रहे हैं.
दरअसल, पिछले कुछ सालों से सैनिकों को जो सर्विस मेडल सेना की तरफ से प्रदान किए जाते थे, वे समय पर नहीं मिलते थे. ऐसे में सरकार और सेना की तरफ से तो सेवा-मेडल की घोषणा कर दी जाती थी, लेकिन रक्षा मंत्रालय की टकसाल में मेडल ना बनने के कारण, सैनिक ग्रे-मार्केट से इस तरह के ‘टेलर्ड-मेडल’ खरीद कर अपनी यूर्निफॉर्म पर लगाने के लिए मजबूर होते थे.
जानकारी के मुताबिक, परमवीर चक्र, महावीर चक्र, अशोक चक्र, कीर्ति चक्र इत्यादि जैसे जो बहादुरी और शौर्य के लिए वीरता मेडल मिलते हैं वे तो सरकार की तरफ से मिल जाते हैं. लेकिन सेवा मेडल बहुत अधिक संख्या में सैनिकों को मिलने के कारण बैकलॉग हो गया था. इस बैकलॉग को खत्म करने के लिए अब रक्षा मंत्रालय ने अलग से करार कर इन सेवा-मेडल को सैनिकों को मुहैया कराने का करार किया है. कुल 17 तरह के सर्विस मेडल बनाने का करार किया गया है.
इन सर्विस मेडल में बेहतरीन कार्य के लिए सेवा-मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल, अति-विशिष्ट सेवा मेडल, परम-विशिष्ट सेवा मेडल, सियाचिन या फिर किसी दूसरे ऊंचाई वाले इलाकों में विशिष्ट सेवा के लिए सियाचिन मेडल और हाई-ऑल्टिट्यूड सर्विस मेडल शामिल हैं.
भारत-पाक सिंधु जल आयोग के पहले दिन की बैठक रही सौहार्दपूर्ण, पाकिस्तान ने दिखाया लचीला रुख