नई दिल्ली: देश की प्रतिष्ठित संस्था सीएसआईआर यानी काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च इन दिनों कोरोना वायरस के खिलाफ दवा ढूंढने में जुटी हुई है. सीएसआईआर के अधीन अलग-अलग लैबोरेट्रीज इसके लिए काम कर रही हैं. सीएसआईआर ना सिर्फ नई दवा की खोज में जुटी है बल्कि पहले से मौजूद अलग-अलग बीमारियों की दवाओं का ट्रायल भी कर रही है. इस समय सीएसआईआर ने कुछ दवाओं का क्लीनिक ट्रायल शुरू कर दिया है और कुछ का होने जा रहा है.


एमडब्ल्यू (माइकोबैक्टेरियम)


सबसे पहले बात एमडब्ल्य ड्रग की. स्पेसिस की बीमारी के इलाज में इस्तेमाल होने वाली इस दावा को सीएसआईआर ने कैडिला फार्मास्यूटिकल कंपनी के साथ मिलकर ट्रायल करने की ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से अनुमति मांगी थी जो मिल गई. इसके बाद देश के तीन बड़े अस्पताल एम्स दिल्ली, एम्स भोपाल और पीजीआई चंडीगढ़ में इसका ट्रायल शुरू हो चुका है.


यहां पर अब तक करीब 50 मरीजों पर इस दवा का क्लीनिकल ट्रायल शुरू कर दिया गया है. सीएसआईआर का मानना है की इस दावा से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी और संक्रमित मरीज इस बीमारी से ठीक हो जाएगा. इस ट्रायल क्रिटिकल इल यानी गंभीर रूप से बीमार कोरोना संक्रमित मरीज, अस्पताल में एडमिट कोरोना संक्रमित मरीज जिसकी हालात ठीक है और हाई रिस्क लोग यानी हैल्थ केयर वर्कर और कॉन्टैक्ट को दिया जाएगा. फिलहाल ट्रायल में अभी कुछ वक्त लगेगा.


ACQH


इसके बाद बाद ACQH की. ये एक तरह की वनस्पति है और इसके एक्सट्रेक्ट को कोरोना मरीज के इलाज के लिए सीएसआईआर को डीसीजीआई से अनुमति मिल चुकी है. ACQH नाम की इस वनस्पति का एक्सट्रेक्ट से बनी दवा का इस्तेमाल डेंगू जैसी बीमारी में होता है. सीएसआईआर के मुताबिक इसके डेंगू में काफी अच्छे नतीजे मिले हैं इसलिए उम्मीद है की कोरोना के इलाज में भी मददगार साबित होगी.


भारत में डीसीजीआई इसको फाइटोफार्मास्यूटिकल कहता है यानी वनस्पति का एक्सट्रैक्ट. यूएसएफडीए में इसे बॉटनिकल कहते हैं. ये एक ट्राय पार्टी कोलैबोरेशन है जिसमें सीएसआईआर, इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक एंड बायो टेक्नोलॉजी और एक फार्मास्यूटिकल कंपनी है यह तीनों मिलकर ट्रायल करने जा रहे हैं.


फेविपिराविर


इसके अलावा एक और दवा जिसका इस्तेमाल चीन और जापान में इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी के इलाज में होता है उसका भी ट्रायल शुरू होने जा रहा है. सीएसआईआर को इसके लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से अनुमति भी मिल चुकी है. इस दवा का इसलिए ट्रायल किया जा रहा है क्योंकि इस बीमारी के ज्यादातर लक्षण कोविड19 से मिलते हैं. जल्द इसका ट्रायल शुरू होने जा रहा है.


आयुर्वेदिक दवाएं


इसके अलावा सीएसआईआर आईसीएमआर और आयुष मंत्रालय के साथ मिलकर कुछ आयुर्वेदिक दवाओं की भी क्लीनिकल ट्रायल करेगी. अश्वगंधा, यष्टिमधु, गुडुची व पिप्पली और आयुष-64 जैसी कुछ दवाओं का भी क्लीनिकल ट्रायल करेगी. ये दवाएं क्लोज कॉन्टैक्ट यानी डॉक्टर, नर्स और हैल्थ केयर वर्कर और मरीज के संपर्क में आए लोगों को दी जाएंगी. दवा देकर उसके प्रभावों का भी पता लगाया जाएगा की क्या इस शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यूनिट बढ़ती है.


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