हरियाणा के कुछ किसान संगठनों ने कृषि मंत्री को सौंपा ज्ञापन, कृषि कानूनों को वापस नहीं लेने की मांग की
कृषि मंत्री नरेंद सिंह तोमर से मुलाक़ात करने वाले संगठनों में हरियाणा के 70 हज़ार कृषि उत्पादक संघ (FPOs) 50 हज़ार प्रगतिशील किसानों के शामिल होने का दावा किया गया है. ज्ञापन में कहा गया है कि तीनों ही क़ानूनों पर उनकी भी राय ली जानी चाहिए.
नई दिल्ली: कृषि क़ानूनों को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों ने कल भारत बंद का आह्वान किया है, जिसे कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियों समेत कई विपक्षी राजनीतिक दलों का समर्थन मिला है. ये संगठन खेती से जुड़े इन तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं.
इस बीच आज मोदी सरकार के लिए एक राहत की ख़बर आई. आज हरियाणा के कुछ किसान संगठनों ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाक़ात कर उन्हें एक ज्ञापन सौंपा. इन संगठनों ने ज्ञापन में सरकार से इन कानूनों को वापस नहीं लिए जाने की मांग की है. आंदोलन कर रहे किसान संगठनों से उलट इन संगठनों का दावा है कि तीनों क़ानून किसानों के हित में हैं और इसलिए इसे बनाए रखा जाना चाहिए.
कृषि मंत्री नरेंद सिंह तोमर से मुलाक़ात करने वाले संगठनों में हरियाणा के 70 हज़ार कृषि उत्पादक संघ (FPOs) 50 हज़ार प्रगतिशील किसानों के शामिल होने का दावा किया गया है. ज्ञापन में कहा गया है कि तीनों ही क़ानूनों पर उनकी भी राय ली जानी चाहिए.
हालांकि अपने ज्ञापन में इन संगठनों ने साफ़ किया है कि वो मंडी व्यवस्था बनाए रखने और एमएसपी को जारी रखने के पक्ष में हैं. इनका ये भी कहना है कि आंदोलन कर रहे किसान संगठनों की मांग को कुछ बदलावों के साथ सरकार को मान लेना चाहिए. ऐसे में सरकार को कुछ संशोधनों के साथ क़ानून को जारी रखना चाहिए.
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