Sonam Wangchuk Hunger Strike: लद्दाख के शीर्ष पर्यावरणविद् और जाने-माने इनोवेटर सोनम वांगचुक कई मागों को लेकर पांच दिन की भूख हड़ताल पर थे. उन्होंने कहा है कि लद्दाख स्थायी राज्यपाल शासन के अधीन नहीं रह सकता. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वह लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश के दर्जे में असुरक्षित महसूस करते हैं.


सोनम वांगचुक ने मंगलवार को अपनी पांच दिवसीय भूख हड़ताल तोड़ दी. उन्होंने संविधान की 6वीं अनुसूची के तहत लद्दाख को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की है. वांगचुक ने कहा, "अब सुरक्षा जैसी कोई धारा 370 नहीं है. इसलिए हम मांग करते हैं कि लद्दाख के लिए अनुच्छेद 244 की छठी अनुसूची के तहत सुरक्षा होनी चाहिए."


फैसले को समझने में समय लगा- वांगचुक 


एस समाचार चैनल से बात करते हुए सोनम वांगचुक ने कहा, 5 अगस्त, 2019 को केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत करने के बाद लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश में बदलने के फैसले को समझने में उन्हें समय लगा. लेकिन, वांगचुक ने बीजेपी सरकार के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू और कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने और लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद दिया था.


स्वीकार करने के लिए मजबूर किया गया... 


अनुच्छेद 370 के खत्म होने के साढ़े तीन साल के बाद सोनम वांगचुक का कहना है कि उन्हें यह स्वीकार करने के लिए मजबूर किया गया है कि जम्मू और कश्मीर के पूर्व राज्य के हिस्से के रूप में वे बेहतर स्थिति में थे. वांगचुक ने कहा, "लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद यह हमें कैसे प्रभावित कर रहा है, इसे समझने में समय लगा. जब क्षेत्र के लिए कोई सुरक्षा उपाय नहीं हैं तो मैं असुरक्षित महसूस करता हूं."


लद्दाख के ग्लेशियरों सहित हिमालय की सुरक्षा करना जरूरी


अपने पांच दिन की भूख हड़ताल के खत्म होने के बाद सोनम वांगचुक ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लद्दाख की समस्या की ओर ध्यान खींचने के लिए ये उनका छोटा सा प्रयास था, ताकि हमारे नेता उनकी मांगों और भावनाओं से उन्हें अवगत करा सकें. उन्होंने कहा कि कुछ पार्षदों को खुश करने की तुलना में लद्दाख के ग्लेशियरों सहित हिमालय की सुरक्षा करना ज्यादा जरूरी है. 


उन्होंने कहा कि इसका असर सिर्फ लद्दाख पर ही नहीं, बल्कि पूरे उपमहाद्वीप के लोगों पर पड़ रहा है. लिहाजा, सरकार को हिमालय के पर्यावरण की सुरक्षा के लिए भविष्य की योजनाएं बनानी चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने मांग की है कि संविधान की छठी अनुसूची में लद्दाख को शामिल करने के अपने वादे को भी पूरा करना चाहिए.


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