नई दिल्ली: आरजेडी की पटना में 27 अगस्त को होने वाली रैली में कांग्रेस के शीर्ष नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी के अलावा बीसएपी प्रमुख मायावती के भाग नहीं लेने से विपक्षी एकता को मजबूत करने की कोशिश को झटका लगा है. इस पर जेडीयू ने तंज भी किया है. हालांकि विपक्ष ने दावा किया है कि इस रैली से विपक्ष, बीजेपी के खिलाफ नए सिरे से बिगुल फूंकेगा.
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी शुक्रवार को नार्वे की राजधानी ओस्लो के लिए रवाना हो गए. बताया जाता है कि सोनिया गांधी सेहत को लेकर बाहर के कार्यक्रमों में नहीं जा रही हैं. वहीं मायावती ने पहले ही इस रैली से अलग रहने की घोषणा कर दी है.
यह शरद यादव और लालू यादव के बीच भाईचारे की रैली है: जेडीयू
जेडीयू के प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा, ‘‘ यह हमारी पार्टी के नेता शरद यादव और लालू प्रसाद के बीच भाईचारा रैली है. कुछ और नहीं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब इस रैली की घोषणा की गई तो हमारा गठबंधन काम कर रहा था. इस रैली के बारे में ना तो जेडीयू से और ना कांग्रेस से पूछा गया था.’’ उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा भगाओ , देश बचाओ’ रैली एक नकारात्मक राजनीति है. आप कौन सा वैकल्पिक राजनीतिक और आर्थिक नजरिया देने जा रहे हैं. उन्हें बताना चाहिए कि किन बिन्दुओं पर हम बीजेपी से सहमत नहीं हैं. ’’ त्यागी ने कहा कि यह कोई विपक्षी एकता नहीं होती. सीपीएम नेता प्रकाश करात ने लिखा है कि यह नकारात्मक राजनीति है. इसका सबसे बड़ा आकर्षण मायावती थीं. अगर इनके साथ मायावती आ जातीं तो मुकाबले की स्थिति बनती. पर वह भी नहीं बनी.
जेडीयू नेता ने कहा कि मायावती ने इससे अपने को अलग कर उत्तर भारत में एकजुट विपक्ष की संभावना को ही समाप्त कर दिया. उन्होंने कहा, ‘‘दूसरी बात है कि व्यक्तियों को केन्द्रित मान आयोजित की गयी इस रैली से कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने भी किनारा कर लिया है. सोनिया गांधी का ना जाना, राहुल गांधी का ना जाना..कांग्रेस जो सबसे बड़ी पार्टी है, उसने भी आईना दिखा दिया है.’’
ममता की वजह से सीपीएम ने बनाई लालू की रैली से दूरी
सूत्रों के अनुसार इस रैली में सीपीएम की ओर से भी किसी के भाग लेने के आसार नहीं है. बताया जाता है कि सीपीएम के इस रैली से दूरी का कारण इसमें तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी की शिरकत है. कांग्रेस की ओर से इस रैली में वरिष्ठ नेता और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद और बिहार प्रभारी सीपी जोशी भाग लेंगे.