Sonia Gandhi Health: कर्नाटक के बेलगावी में आयोजित कांग्रेस वर्किंग कमिटी (CWC) की बैठक में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी नहीं पहुंचीं. वो स्वास्थ्य कारणों से सीडब्ल्यूसी बैठक में शामिल नहीं हो सकीं. वहीं प्रियंका गांधी भी नई दिल्ली में उनकी देखभाल कर रही हैं, इसलिए वह भी कार्यसमिति की बैठक में शामिल नहीं हो सकीं. 


हालांकि उन्होंने एक संदेश जारी किया. सोनिया गांधी ने अपने संदेश में बिना नाम लिए बीजेपी और आरएसएस पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, "दिल्ली की सत्ता में बैठे लोगों और उनकी विचारधारा को बढ़ाने वाले संगठनों से गांधी जी की विरासत खतरे में है. इन संगठनों ने आजादी की लड़ाई नहीं लड़ी. उन्होंने गांधी जी का विरोध किया और ऐसा जहरीला माहौल बनाया जिसके कारण उनकी हत्या हुई. उन्होंने गांधी जी के हत्यारों का महामंडन किया. ये हमारी जिम्मेदारी है कि हम पूरी शक्ति से इन ताकतों से मुकाबला करें."


इससे पहले, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के नेतृत्व में कांग्रेस नेताओं ने विस्तारित सीडब्ल्यूसी बैठक स्थल तक मार्च किया. बैठक में राहुल गांधी, अजय माकन, के. सी. वेणुगोपाल, रणदीप सुरजेवाला, सिद्धारमैया, रेवंत रेड्डी, सुखविंदर सुक्खू और डीके शिवकुमार के साथ कांग्रेस के अन्य नेता शामिल हुए. 


मल्लिकार्जुन खरगे ने भी साधा बीजेपी पर निशाना


उन्होंने कहा, "आप सभी को गर्व होना चाहिए कि कांग्रेस पार्टी के पास राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की विरासत है. हम लोग उनके उत्तराधिकारी है. बहुत अफसोस की बात है कि 100 साल बाद भी आज का सत्ताधारी दल और उनके नेता खुलेआम भड़काऊ नारे देते हैं और उनके बड़े नेता ही समाज में सद्भाव बिगाड़ रहे हैं, समुदायों के बीच नफरत फैला रहे हैं. लोगों को लड़ाने का काम कर रहे हैं."


'झूठ बोलना बंद करें बीजेपी-आरएसएस के लोग'


कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे कहा, "बीजेपी के लोग हमारे ऊपर झूठा आरोप लगाते हैं कि हमने बाबा साहब का सम्मान नहीं किया. सब को मालूम है कि संसद में जो बाबा साहब की मूर्ति 1967 में कांग्रेस ने लगवाई. मुझ जैसे हजारों कार्यकर्ताओं की मांग को मानते हुए इंदिरा जी के कार्यकाल में राष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन जी ने संसद में मुख्य स्थान पर पहली बड़ी मूर्ति बाबा साहब की ही स्थापित कराई. इसलिए मैं कहता हूं कि BJP-RSS वाले झूठ बोलना बंद कर दें." 


चुनाव आयोग पर भी उठाए सवाल


मल्लिकार्जुन खरगे ने हमला जारी रखते हुए कहा, "सत्ताधारी दल के लोगों के की ओर से संविधान के प्रस्तावना का अपमान होता रहता है. संवैधानिक प्रावधानों और मूल्यों का आदर नहीं होता है. संवैधानिक संस्थाओं को कंट्रोल किया जा रहा है. मिसाल के तौर पर चुनाव आयोग को ही देखें तो यही मालूम होता है कि इनके मन में संवैधानिक संस्थाओं के लिए कोई आदर नहीं है, ये सब पर कब्जा करना चाहते हैं. इसलिए हमें यह लड़ाई लगातार लड़नी पड़ेगी."


उन्होंने कहा, "चिंता की बात यह है कि चुनावी प्रक्रिया में लोगों की आस्था धीरे-धीरे कम होती जा रही है क्योंकि आयोग के निष्पक्षता पर सवाल उठने लगे हैं. कुछ रोज पहले इन्होंने अपने conduct of election rules में बदलाव कर लिया ताकि कोर्ट ने जो जानकारी साझा करने का आदेश दिया था उसे रोका जा सके."


कांग्रेस नेता ने सवाल करते हुए कहा, "आखिर ऐसा क्या है जिसे छिपाने का प्रयास किया जा रहा है? जिस जानकारी के सार्वजनिक होने से अब तक कोई परेशानी नहीं थी, उसे अब पब्लिश करने में क्या दिक्कत आ गई? कभी वोटरों का नाम सूची से काटा जाता है, कभी उनको वोट डालने से रोका जाता है, कभी वोटर सूची संख्या में अचानक वृद्धि हो जाती है तो कभी वोट डालने के अंतिम समय में वोट प्रतिशत अप्रत्याशित तरीके से बढ़ जाता है. ये कुछ सवाल उठते रहते हैं, जिनका संतोषजनक जवाब नहीं मिलता."


किसानों के मुद्दे पर सरकार को घेरा


मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, "इन सब के बीच केंद्र सरकार की वादाखिलाफी के कारण देश भर के किसान MSP गांरटी और दूसरी मांगो को लेकर आंदोलित हैं. आमरण अनशन तक चल रहा है पर इस सरकार में अन्नदाता का दुःख दर्द समझने वाला कोई नहीं है. कितनी बड़ी विडंबना है कि कांग्रेस राज में जब प्रधानमंत्री राजीव गांधीजी थे तो किसानों को बोट क्लब पर आकर अपनी बात रखने की छूट थी. अब वो दिल्ली भी नहीं आ सकते. डा. मनमोहन सिंह की सरकार में हमने किसानों की 72 हजार करोड़ रुपये की ऋणमाफी की. फसल का अधिकतम MSP दिया. उनके हक में भूमि अधिग्रहण कानून बनाया. कई काम हुए."


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