Sonia Gandhi Meeting: अगले लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार को हराने के लक्ष्य का एलान करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज विपक्षी एकजुटता की अपील की. उन्होंने एकजुटता को राष्ट्रहित की मांग बताते हुए सहयोगी दलों से कहा कि सभी अपनी मजबूरियों से ऊपर उठें और 2024 में देश को संविधान में विश्वास करने वाली सरकार दें. कांग्रेस के अलावा 18 विपक्षी दलों के प्रमुख नेताओं के साथ वर्चुअल बैठक में सोनिया ने संसद के मानसून सत्र में दिखी विपक्षी एकजुटता का जिक्र करते हुए उम्मीद जताई कि संसद के आने वाले सत्रों में भी विपक्षी एकजुटता बनी रहेगी वहीं यह भी कहा कि बड़ी लड़ाई संसद के बाहर लड़ी जानी है. 


ये बड़े नेता बैठक में हुए शामिल
बैठक में एनसीपी प्रमुख शरद पवार, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके प्रमुख स्टालिन, झारखंड के मुख्यमंत्री और जेएमएम के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन जैसे बड़े नेता मौजूद रहे. लेकिन विपक्ष की एकजुटता को झटका तब लगा कि समाजवादी पार्टी ने इसमें हिस्सा नहीं लिया. हालांकि कांगेस पार्टी के मुताबिक अखिलेश यादव ने राज्य के अंदरूनी इलाके में होने की वजह से पत्र लिखकर बैठक में शामिल होने में अपनी असमर्थता जताई थी. बीएसपी ने पहले ही कांग्रेस की अगुवाई में होने वाली बैठकों से दूरी बना रखी है. 


कांग्रेस नेता राहुल गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, वरिष्ठ कांग्रेस नेता एके एंटनी भी बैठक में शामिल हुए. बैठक में शामिल होने वाले अन्य बड़े चेहरों में सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, सीपीआई महासचिव डी राजा, पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती, नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुखिया फारूक अब्दुल्ला, एआईयूडीएफ के अध्यक्ष बदरुद्दीन अजमल, आरजेडी से तेजस्वी यादव, आरएलडी अध्यक्ष जयंत चौधरी, लोकतांत्रिक जनता दल अध्यक्ष शरद यादव ने शिरकत की. इसके अलावा इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, जनता दल सेक्युलर, केरल कांग्रेस, वीसीके, आरएसपी नेता भी बैठक में उपस्थित रहे. 
 
विपक्षी नेताओं की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा, ''अंतिम लक्ष्य 2024 लोकसभा चुनाव है जिसके लिए व्यवस्थित तरीके से योजना बनानी होगी ताकि हम देश को एक ऐसी सरकार दे सकें जो स्वतंत्रता आंदोलन के मूल्यों और संविधान के सिद्धांतों और प्रावधानों में विश्वास करती हो. ये एक चुनौती है लेकिन हम मिल कर यह कर सकते हैं क्योंकि साथ काम करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. हम सबकी अपनी मजबूरियां भी हैं लेकिन समय आ गया है और राष्ट्रहित की मांग है कि हम सब अपने मजबूरियों से ऊपर उठें. कांग्रेस अपनी भूमिका में कोई कमी नहीं छोड़ेगी."  


मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए सोनिया गांधी ने कहा पैगासस जासूसी कांड, कृषि कानून, मंहगाई जैसे जनता से जुड़े मुद्दों पर सरकार द्वारा चर्चा ना कराने की वजह से मानसून सत्र पूरी तरह धुल गया. उन्होंने यह भी कहा कि विपक्षी दलों द्वारा दिखाई गई एकजुटता मानसून सत्र की सबसे अहम बात रही. सोनिया गांधी ने उम्मीद जताते हुए कहा, "मुझे उम्मीद है कि संसद के आने वाले सत्रों के दौरान भी विपक्ष की एकता कायम रहेगी. लेकिन बड़ी राजनीति लड़ाई संसद के बाहर लड़ी जानी है."


ममता बनर्जी क्या बोलीं?
सूत्रों के मुताबिक ममता बनर्जी ने कोर ग्रुप बनाने और ऐसी बैठक में उन दलों को भी आमंत्रित करने की मांग की जो कांग्रेस की सहयोगी नहीं हैं. ममता ने कहा, नेता कौन है भूल जाइए, जनता नेतृत्व करेगी. सभी विपक्षी दलों को साथ लाना होगा. वहीं, एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि जो लोग देश के लोकतांत्रिक सिद्धांतों को बचाने के लिए मिलकर काम करना चाहते हैं, उन्हें एक साथ आना चाहिए. एक समयबद्ध कार्यक्रम को सामूहिक रूप से शुरू करने की आवश्यकता है. 


बैठक के बाद जारी साझा बयान में साझा बयान में विपक्षी दलों ने मोदी सरकार से सबको कोरोना टीका उपलब्ध करवाने, कोरोना से जान गवाने वालों को मुआवजा देने, आयकर सीमा से बाहर हर परिवार को प्रति माह 7500 रुपया कैश ट्रांसफर करने और जरूरतमंद को मुफ्त राशन देने की मांग दुहराई है. इसके अलावा पेट्रोल, डीज़ल, गैस, खाने के तेल पर बढ़ी हुई एक्साइज ड्यूटी वापस लेने और मंहगाई कम करने की मांग की गई है. विपक्षी दलों ने सरकार से कृषि कानून वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की मांग भी की है. 


सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में पैगासस जासूसी कांड की जांच और राफेल सौदे की भी उच्चस्तरीय जांच की मांग भी की गई है. साथ ही मांग की गई है कि भीमा कोरेगांव मामला और सीएए विरोधी प्रदर्शन समेत सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा किया जाए. जम्मू कश्मीर के सभी राजनीतिक बंदियों को रिहा करने और पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने और जल्द चुनाव करवाने की मांग भी विपक्ष द्वारा की गई है. केंद्र सरकार के खिलाफ 20 से 30 सितंबर तक विपक्षी दल देश भर में विरोध प्रदर्शन करेंगे. 


Maharashtra News: गडकरी की चिट्ठी पर सीएम ठाकरे बोले- आप बहुत मीठी बात करते हैं लेकिन कठोर तरीके से लिखते हैं