नई दिल्ली: तमाम जद्दोजहद के बाद शिवसेना एनसीपी और कांग्रेस मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बना रहे हैं. मगर न्योते के बावजूद उद्धव ठाकरे के शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने नहीं जाने का फैसला किया है. हांलाकि पार्टी के दूसरे बड़े नेता जरूर ग्रहण समारोह में शामिल हो रहे हैं. जहां कांग्रेस ने राहुल गांधी के इस समारोह में नहीं जाने की वजह बताते हुए कहा कि राहुल अब पार्टी के अध्यक्ष नहीं हैं, इसलिए उनके जाने की कोई वजह नहीं थी. वहीं सोनिया गांधी से इस विषय में बात की गई तो उन्होंने कहा कि उनका गला खराब है. इसी कारण वह ज्यादा कुछ नहीं बोल पा रही हैं.
ऐसा करते वक्त उन्होंने संकेत दिए कि बदलते मौसम की वजह से तबीयत खराब होने के कारण वह मुंबई नहीं आ सकेंगी. यही नहीं संसद में कुछ सांसदों ने भी जब सोनिया गांधी से पूछा कि वह शपथ ग्रहण में जा रहीं है या नहीं, तो उन्होंने सांसदों को भी यही जवाब दिया कि गला खराब होने की वजह से उनकी तबीयत ठीक नहीं है. हाल ही में अपनी सेहत की वजह से ही सोनिया गांधी महाराष्ट्र और हरियाणा चुनावों के दौरान प्रचार भी नहीं कर सकीं थीं. हाल फिलहाल वह दिल्ली छोड़ के अन्य राज्यों का दौरा भी नहीं कर रही हैं. हाल ही में उनका छत्तीसगढ़ दौरा भी अचानक सेहत को देखते ही टाल दिया गया था.
उधर राहुल गांधी के भी शपथ में नहीं जाने की वजह से चर्चा गरम है कि राहुल खुद शिवसेना के साथ सरकार बनाने को लेकर शायद पूरी तरह से आश्सवस्त नहीं थे, इसलिए उन्होंने शपथ में नहीं जाना ठीक समझा. जबकि कांग्रेस के कुछ बड़े नेताओं ने एबीपी न्यूज़ से कहा कि राहुल इसलिए नहीं गए क्योंकि अब वो पार्टी के अध्यक्ष नहीं हैं. लिहाजा उनके जाने का औचित्य नहीं था. सोनिया गांधी ने भले ही गला खराब होने की वजह से शपथ ग्रहण में ना जाने का फैसला किया हो मगर उनके घर पर मौजूदगी से सवाल तो जरूर उठेंगे. आपको बता दें कि आदित्य ठाकरे मुंबई से खुद उन्हे न्योता देने देर रात पहुंचे थे. उसके बावजूद उनका नहीं जाना ये तो नहीं दिखाता कि सोनिया गांधी शिवसेना के इतिहास को देखते हुए फिलहाल शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के साथ एक मंच पर नहीं दिखना चाहतीं? शायद सोनिया चाहतीं है कि शिवसेना पहले अपनी नीतियों से अपनी राजनीति में बदलाव दिखाए तो ही वो उद्धव ठाकरे के साथ दिखना चाहेंगी. लेकिन अगर वजह यही है तो निश्चित तौर पर विद्रोही इसे सत्ता हासिल करने के लिए आशीर्वाद की राजनीति जरूर कहेंगे.
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