नई दिल्ली: केंद्र सरकार जल्द ही मोटर व्हीकल नियमों में बदलाव करने जा रही है जिसके तहत स्टेट ट्रांस्पोर्ट प्राधिकारी और ट्रैफिक पुलिस ऑफिसर्स को गाड़ी के हर दस्तावेजों को डिजिटल रूप में स्वीकार करना अनिवार्य होगा. इसमें ड्राइविंग लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, पॉल्यूशन सर्टिफिकेट जैसे दस्तावेज शामिल हैं. अभी तक ट्रैफिक पुलिस लोगों के डाक्यूमेंट्स पेपर रूप में देखती थी लेकिन अब उसे डिजिटल रूप में स्वीकार करना होगा.


इस कदम को ऐसे वक्त में उठाया गया जब कई राज्यों के ट्रांसपोर्ट प्राधिकारी और ट्रैफिक पुलिस ऑफिसर्स गाड़ी के डिजिटल दस्तावेजों को स्वीकर नही कर रहे हैं.


और क्या कदम उठाए गए हैं?


इसके अलावा दूसरे कई कदम उठाए गए हैं. सूत्रों के मुताबिक प्रस्ताव रखा गया है विकसित देशों जैसे नियम यहां भी बनाए जाए. विदेशों में कंस्ट्रक्शन मटेरियल बंद ट्रकों में लाया और ले जाया जाता है. ट्रांसपोर्ट मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, "खुले ट्रक में जब कंस्ट्रक्शन मटेरियल ले जाया जाता है तो पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है. ड्राफ्ट रूल जिसमें कई मुद्दे कवर किए गए हैं उसमें लंबे रूट पर चलने वाले ट्रकों में दो ड्राइवरों के अनिवार्य रूप से रहने वाले नियम को खत्म करने का भी प्रस्ताव है."


मिनिस्ट्री ने सभी नेशनल परमिट वाले वाहनों में FASTags, फिक्सिंग रिफ्लेक्टिव टेप्स और वीकल ट्रैकिंग सिस्टम लगाने का प्रस्वात भी दिया है. इसके लगने से सभी कॉमर्शियल व्हीकल को फिटनेस टेस्ट से गुजरने की जरूरत नहीं होगी. एक और राहत देते हुए मंत्रालय ने प्रस्ताव रखा है कि पुराने वीकल का हर दो साल में फिटनेस टेस्ट होगा. अभी ये हर साल टेस्ट होता है. यह नियम 8 साल पुराने वाहनों में लागू होगा. अगर वाहन इससे पुराने हैं तो सालाना टेस्ट होंगे.