कोरोना वायरस से फैली महामारी के बीच जहां दुनिया के कई देश अपने यहां लॉकडाउन कर रहे हैं, वहीं दक्षिण कोरिया, सिंगापुर और हॉंगकॉंग बीमारी से लड़ने में मिसाल बन गया है. दक्षिण कोरिया की 50 मिलियन आबादी वाले मुल्क ने अपने यहां महामारी को फैलने नहीं दिया. और ऐसा उसने बिना लॉकडाउन के किया. आखिर उसने ऐसा क्या किया कि दूसरे देशों के लिए उसका उठाया गया कदम अनुकरणीय हो सकता है ?
कोरोना वायरस के फैलाव पर रोक को सफल बनाने के लिए दक्षिण कोरिया ने सबसे महंगी और व्यवस्थित टेस्टिंग व्यवस्था को अपनाया. उसने संक्रमित लोगों को अलग-थलग करने के लिए सघन अभियान चलाया. प्रति मिलियन आबादी पर उसने 5200 लोगों का टेस्ट किया. दुनिया में सबसे ज्यादा लोगों का टेस्ट करनवाला दक्षिण कोरिया दूसरे नंबर पर है. जबकि अमेरिका ने प्रति मिलियन आबादी पर सिर्फ 74 टेस्ट ही किए. इससे पता चलता है कि दक्षिण कोरिया ने महामारी पर काबू पाने में कितनी त्वरित गति से कार्रवाई की. जिसकी वजह से कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या में कमी आई.
इसी तरह हॉंगकॉंग और सिंगापुर ने भी ऐसी व्यवस्था अपनाई जिससे तुरंत मरीजों का पता चलाकर उपचार किया जा सके. यहां यूरोप से पहले कोरोना वायरस के मामले सामने आए मगर महामारी की संख्या को रोकने में ये मुल्क कामयाब रहे. जबकि यूरोप में हॉंगकॉंग और सिंगापुर के बाद कोरोना वायरस के केस उजागर हुए मगर आज वहां मौत का आंकड़ा और प्रभावितों की संख्या में इजाफा ही हो रहा है. हॉंगकॉंग और सिंगापुर ने तेजी से हर बड़े अस्पताल में डायोग्नॉसिस टेस्ट की सुविधा मुहैया कराई. दूर दराज के क्षेत्रों के लिए अधिकारियों ने तकनीक की मदद से कोरोना वायरस के संदिग्धों को ट्रैक करने की व्यवस्था की.
दक्षिण कोरिया, सिंगापुर और हॉंगकॉंग की तर्ज पर भारत के पुणे में भी एक पहल की जा रही है. इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम (IDSP) की टीम तकनीक के माध्यम से कोरोना वायरस की रोकथाम की कोशिश में लगी है. एक पोर्टल का इस्तेमाल कर IDSP की टीम 2 हजार 6 सौ 12 लोगों को क्वारेंटाइन कर चुकी है. साथ ही ऐसे लोगों को उनकी जगह पर चेकअप और देखभाल कर रही है. उनकी दैनिक गतिविधियों, बीमारी के लक्षण का अपडेट रखा जा रहा है. इसके अलावा IDSP की टीम फैशियल पहचान और सत्यापन के अलावा कैंटैक्ट मैपिंग फीचर का भी इस्तेमाल कर रही है.
पुणे जिला परिषद के सीईओ आयुष प्रसाद कहते हैं. “जहां-जहां वायरस गया है वहां हम चेन बनाकर सोशल नेटवर्क स्थापित कर सकते हैं.” उन्होंने बताया कि बड़े पैमाने पर ट्रैकिंग की व्यवस्था बनाने के दौरान दक्षिण कोरिया का सिस्टम हमारी नजरों के सामने था. फोन एप में कोरियन भाषा के समझ में नहीं आने पर हमने फोटोग्राफ के माध्यम से भारतीय माहौल के लिए विचार को मूर्त रूप दिया. बाद में पता चला कि सिंगापुर ने भी इसी तरह की व्यवस्था की है."
मुंबई की म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन ने भी मुंबई पुलिस को क्वारेंटाइन लोगों की गतिविधियों को ट्रैक करने के लिए GPS लोकेशन का इस्तेमाल करने को कहा है. कर्नाटक के सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री प्रशांत कुमार मिश्रा भी तकनीक विशेषज्ञों के साथ मिलकर इसी तरह के प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं.
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