नई दिल्ली: भारत और दक्षिण कोरिया के संबंधों में एक नया आयाम जुड़ गया है. दक्षिण कोरिया ने भारत के लेफ्टिनेंट कर्नल (स्वर्गीय) ए जी रंगराज को 'वॉर हीरो' के खिताब से सम्मानित करने का फैसला किया है. कर्नल रंगराज को ये सम्मान कोरियाई युद्ध (1950-53) में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने के लिए दिया गया है.


राजधानी दिल्ली स्थित कोरियाई दूतावात के मुताबिक अगले साल कोरियाई युद्ध के 70 साल होने जा रहे हैं. ऐसे में कोरियाई सरकार (दक्षिण कोरिया) ने फैसला किया है कि कर्नल रंगराज द्वारा कोरियाई युद्ध में भारतीय‌ सेना के मिलिट्री हॉस्पिटल कमांडर के तौर पर जो महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी उसे याद किया जाए. इसके लिए अगले साल यानि 2020 के जुलाई महीने में कर्नल रंगराज की तस्वीरें सिओल स्थित वॉर-मेमोरियल और दूसरी जगहों पर लगाई जायेंगी. दरअसल, कोरिया का वॉर-वेटरन मंत्रालय कोरियाई युद्ध में अहम भूमिका निभाने वाले सैनिकों को एक महीने के लिए 'वॉर हीरो' का दर्जा देता है.


आपको बता दें कि कम ही लोग जानते हैं कि उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच 1950 में जब युद्ध हुआ था तो उस वक्त भारतीय सेना ने किसी एक देश का साथ देने के बजाए उसमें लगभग तटस्थ भूमिका निभाते हुए अपनी एक मोबाइल मिलिट्री एंबुलेंस प्लाटून को एशिया के सुदूर-पूर्व में युद्ध के मैदान में भेजा था. ये प्लाटून थी 60वीं पैराशूट फील्ड एंबुलेंस प्लाटून. लेफ्टिनेंट कर्नल एजी रंगराज इसी प्लाटून के कमांडर (प्लाटून-कमांडर) थे जिसमें कुल 627 जवान थे. आपको बता दें कि कोरियाई प्रायद्वीप में हुए इस युद्ध में चीन और अमेरिका सहित कई देशों ने हिस्सा लिया था, जो या तो उत्तर कोरिया का साथ दे रहे थे या फिर दक्षिण कोरिया का.


बताया जाता है कि भारतीय सेना की इस प्लाटून एंबुलेंस ने युद्ध के मैदान में खतरों के बीच घूम-घूम कर घायल सैनिकों का इलाज किया था. इस दौरान भारत के तीन सैनिकों की जान भी चली गई थी और 23 जवान घायल हुए थे. करीब तीन साल तक ये युद्ध चला था (1950-53) और तब तक कर्नल रंगराज की प्लाटून ऐसे ही वहां डटी रही. इस युद्ध में भारत सरकार ने कर्नल रंगराज का महावीर चक्र से नवाजा था.


आपको बता दें कि कोरियाई युद्ध में मारे गए सैनिकों की याद में दक्षिण कोरिया ने राजधानी सिओल में वॉर मेमोरियल बनाया है. उस वॉर मेमोरियल में 'भारत' के नाम से अलक स्मारक बनाया और तिरंगा झंडा लहराता रहता है. उस स्मारक पर 60वीं पैराशूट फील्ड एंबुलेस प्लाटून की उपलब्धियों के बारे में लिखा है.


एबीपी न्यूज संवाददाता जब वर्ष 2017 में उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच चल रहे तनाव और विवाद की कवरेज के लिए वहां गए थे तब उस वॉर मेमोरियल पर भी गए थे. इस मेमोरियल में लिखा है कि भारतीय सैनिकों ने कोरियाई युद्ध के दौरान 'लैंड ऑफ मॉर्निंग काम' में आजादी और शांति के लिए अपना खून-पसीना बहाया था जो दोनों देशों के बीच प्रगाढ़ सबंधों को बयां करता है. ये फील्ड एंबुलेंस इनदिनों आगरा में तैनात रहती है और जब भी कोई नया कोरियाई राजदूत भारत पहुंचता है वो इस यूनिट में जरूर एक विजिट करता है।


आपको बता दें कि पिछले कुछ सालों में भारत और दक्षिण कोरिया के बीच संबंध काफी मजबूत हुए हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कोरियाई राष्ट्रपति, मून जे इन ने एक दूसरे के देश में आधिकारिक यात्राएं की हैं. हाल ही में भारत ने दक्षिण कोरिया से 100 के-9 वज्र तोपों का सौदा किया था जिन्हें हाल ही में पाकिस्तानी सेना पर तैनात किया गया था और 'सिंधु-सुदर्शन' युद्धभ्यास में दिखाई पड़ी थीं.


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