कोरोना कहर के बीच देश के लिए अच्छी खबर, दक्षिण पश्चिम मानसून ने दी केरल के तट पर दस्तक
दक्षिण पश्चिम मानसून केरल के तट पर पहुंच गया है.कोरोना कहर के दौरान देश के लिए ये अच्छी खबर है.
बेंगलुरु: भारतीय मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार दक्षिण पश्चिम मानसून आज केरल के तट पर टकरा गया है. भारतीय मौसम विभाग ने कहा था कि मानसून एक जून को केरल तट से टकराएगा और आज इसकी पुष्टि भी ही गई है. इससे पहले मौसम विभाग ने 6 जून को अनुमान लगाया था लेकिन अरब सागर पर बने निम्न दबाव के क्षेत्र के कारण दोबारा इसका अनुमान जून 1 का किया गया था. यह निम्न दबाव का क्षेत्र तूफान में तब्दील होगा.
चक्रवाती तूफान 3 जून तक गुजरात के तट से टकरा सकता है
चक्रवाती तूफान 3 जून तक गुजरात और महाराष्ट्र के तट से टकरा सकता है. अरब सागर में निम्न दबाव का क्षेत्र बना है. अगले दो दिनों में यह चक्रवात में बदल सकता है. इसके केरल, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र और दक्षिण गुजरात के तटों से सोमवार और मंगलवार के बीच गुजरते हुए 3 जून यानी बुधवार को 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से उत्तर महाराष्ट्र और दक्षिण गुजरात के बीच टकराने की संभावना है. तूफान का नाम निसर्ग बताया जा रहा है.
5 जून को मानसून कर्नाटक और पूर्वी भारत के राज्यों तक पहुंचेगा
वहीं अब साउथ वेस्ट मानसून के केरल के तट पर दस्तक देने के साथ ही देश के लिए अच्छी खबर भी लेकर आया है. दक्षिण पश्चिम मानसून केरल में दस्तक देने के साथ ही अब उत्तर की तरफ बढ़ेगा. 5 जून को यह कर्नाटक और पूर्वी भारत के राज्यों जैसे असम तक पहुंचेगा. उसके बाद 10 जून को महाराष्ट्र, 15 से 20 जून के बीच गुजरात, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश और 25 से 30 जून के बीच में यह राजस्थान और दिल्ली तक पहुंचेगा.
75 फीसदी बारिश दक्षिण पश्चिम मानसून पर निर्भर
देश में 75 फीसदी बारिश इसी दक्षिण पश्चिम मानसून पर निर्भर करती है. अच्छा मानसून भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है. कोरोना वायरस के कहर ने भारत समेत वैश्विक अर्थव्यवस्था की कमर ही तोड़ दी है. अब मानसून की झमाझम बारिश देश में मंदी की मार को दूर करने में कारगर साबित हो सकती है. कृषि प्रधान भारत में मानसून सामान्य रहने से देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है. भारत में ज्यादातर किसान खरीफ की फसलों की सिंचाई के लिए बारिश पर निर्भर रहते हैं. आम तौर पर सबसे पहले केरल में दस्तक देने वाला दक्षिण-पश्चिम मानसून भारत में हर साल जून से लेकर सितंबर तक चार महीनों तक रहता है. आने वाले दिनों में इस मानसून की बारिश देश के अलग-अलग हिस्सों में देखी जाएगी.
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