नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी (एसपी) अध्यक्ष अखिलेश यादव इन दिनों कांग्रेस से खासे नाराज हैं. नाराजगी यहां तक बढ़ गई है कि उन्होंने साफ-साफ शब्दों में कह दिया है कि वह आगामी लोकसभा चुनाव में गठबंधन करेंगे लेकिन इसमें कांग्रेस शामिल नहीं होगी. साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि वह हैदराबाद जाकर तेलंगाना के मुख्यमंत्री और तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के अध्यक्ष चंद्रशेखर राव (केसीआर) से मुलाकात करेंगे. केसीआर बीजेपी और कांग्रेस से अलग फेडरल फ्रंट बनाने की कोशिश में जुटे हैं.


अखिलेश की नाराजगी की कई वजहें हैं. उन्होंने खुद इसका जिक्र किया है. समाजवादी पार्टी अध्यक्ष ने कहा, "हमने मध्य प्रदेश में कांग्रेस को बिना शर्त समर्थन दिया है, फिर भी कांग्रेस ने हमारे विधायक को मंत्री नहीं बनाया. ऐसी हरकत कर कांग्रेस ने यूपी में हमारा रास्ता साफ कर दिया है." दरअसल मध्य प्रदेश में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है और समाजवादी पार्टी के विधायक यहां कांग्रेस की सरकार को समर्थन दे रहे हैं.


इससे पहले अखिलेश ने कहा था, ''मैं तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव को इस दिशा में (अलग मोर्चा) काम करने के लिए बधाई देता हूं. वह पिछले कई महीनों से सभी दलों को साथ लाने की कोशिश और संघीय मोर्चा तैयार करने की कवायद में जुटे हैं. मैं उनसे मुलाकात करने हैदराबाद जाऊंगा.''


कांग्रेस ने अखिलेश यादव की नाराजगी को ज्यादा गंभीर नहीं बताया है. उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राजबब्बर ने कहा, ''शिकायत सिर्फ अपनों से ही होती है, कभी बेगानों से नहीं होती है. समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का नेतृत्व इस मामले को आसानी से सुलझा लेगा. जनता चाह रही है कि हम सब मिलकर चुनाव लड़ें.''


आपको बता दें कि अखिलेश यादव और बीएसपी अध्यक्ष मायावती 2019 लोकसभा चुनाव में पहले ही साथ लड़ने का एलान कर चुके हैं. हालांकि कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ने पर मायावती ने कुछ भी साफ-साफ नहीं कहा है. ये जरूर है कि उन्होंने कई मौकों पर बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस पर भी निशाना साधा है.


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राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि बीएसपी और एसपी के बीच सीटों की संख्या पर सहमति बन गई है. दोनों ही पार्टियां सिर्फ अमेठी और रायबरेली की सीट कांग्रेस के लिए छोड़ेगी.


ध्यान रहे कि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी दोनों पिछले साल उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में साथ लड़ी थी. तब अखिलेश और राहुल गांधी के लिए 'यूपी को ये साथ पसंद है' नारा खूब सुर्खियों में रहा था. लेकिन विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में दूरी बढ़ गई. अखिलेश ने कांग्रेस की बजाय बीएसपी के साथ गठबंधन का फैसला किया. अब दोनों पार्टियां राष्ट्रीय स्तर पर यूपीए के साथ रहती है या फेडरल फ्रंट के साथ जाकर इस गठबंधन की धार कुंद करती है यह देखना दिलचस्प होगा.


फेडरल फ्रंट
कांग्रेस और बीजेपी से अलग फेडरल फ्रंट बनाने की कवायद चंद्रशेखर राव कर रहे हैं. राव तेलंगाना विधानसभा चुनाव में जीत से उत्साहित हैं. उन्होंने देशभर के विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात के लिए स्पेशल एयरक्राफ्ट हायर किया है.


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चंद्रशेखर राव 23 दिसंबर को विशेष विमान से हैदाराबाद से राजनीतिक यात्रा पर निकले. उनका पहला पड़ाव भुवनेश्वर था. भुवनेश्वर में केसीआर ने ओडिशा के मुख्यमंत्री और बीजू जनता दल (बीजेडी) के प्रमुख नवीन पटनायक से मुलाकात की. मुलाकात के बाद उन्होंने कहा कि साल 2019 के चुनावों से पहले बीजेपी और कांग्रेस का विकल्प देने के लिए क्षेत्रीय दलों के एकजुट होने की गहरी जरूरत है.


भुवनेश्वर के बाद वह कोलकाता पहुंचे. जहां उन्होंने 24 दिसंबर को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी अध्यक्ष ममता बनर्जी से मुलाकात की. मुलाकात के बाद उन्होंने कहा कि वह गैर-बीजेपी और गैर-कांग्रेस गठबंधन के लिए विभिन्न दलों के साथ बातचीत का सिलसिला जारी रखेंगे. कोलकाता के बाद केसीआर दिल्ली पहुंचे. यहां अखिलेश यादव और मायावती से मुलाकात की अटकलें थी. लेकिन मुलाकत नहीं हो सकी. अब अखिलेश यादव ने केसीआर की तारीफ करते हुए हैदराबाद जाकर मुलाकात करने की बात कही है.


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