अखिलेश यादव पहुंचे सीयर माता के मंदिर, यूपी में मछुआरे किसकी चुनावी नैया पार लगायेंगे
सबसे पहले अखिलेश यादव ने ही निषादों की ताकत को समझा था. ये बात 2018 की है. राष्ट्रीय निषाद पार्टी से बात चीत कर उन्होंने प्रवीण निषाद को उप चुनाव में उतारा था. गोरखपुर से अखिलेश यादव ने उन्हें समाजवादी पार्टी का टिकट दिया.
लखनऊ: अखिलेश यादव आज सीयर माता के मंदिर पहुंचे. आपमें से कई लोग इस मंदिर के बारे में शायद नहीं जानते होंगे. सीयर माता निषाद समाज की कुल देवी मानी जाती हैं. यूपी के फ़िरोज़ाबाद ज़िले में ये मंदिर हैं. देश भर के लोग यहां दर्शन करने आते हैं. दिल्ली से लखनऊ जाते समय अखिलेश यादव यहां पहुंचे थे. राजनैतिक लोग जब किसी मंदिर जाते हैं या पूजा पाठ करते हैं तो उसके भी कई मायने होते हैं. सीयर माता निषादों की कुल देवी मानी जाती हैं. यूपी में निषाद, केवट और मल्लाह मछुआरे माने जाते हैं. निषाद समुदाय पिछले कुछ सालों में राज्य में एक मज़बूत राजनैतिक ताकत बन कर उभरा है. अखिलेश यादव की नज़र इसी वोट बैंक पर है.
सबसे पहले अखिलेश यादव ने ही निषादों की ताकत को समझा था. ये बात 2018 की है. राष्ट्रीय निषाद पार्टी से बात चीत कर उन्होंने प्रवीण निषाद को उप चुनाव में उतारा था. गोरखपुर से अखिलेश यादव ने उन्हें समाजवादी पार्टी का टिकट दिया. ये चुनाव योगी आदित्यनाथ के लोकसभा सीट ख़ाली करने के कारण हो रही था. योगी साल भर पहले ही यूपी के मुख्यमंत्री बन चुके थे. वे गोरखपुर से एक दो नहीं लगातार पांच बार सांसद रह चुके थे. ये उनके लिए प्रतिष्ठा की चुनावी लड़ाई थी. लेकिन निषादों के दम पर समाजवादी पार्टी ने उपचुनाव में बीजेपी को हरा दिया. योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर में अखिलेश यादव के नेता की जीत किसी चमत्कार से कम नहीं थी. जबकि 2014 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव में निषाद बिरादरी के लोगों ने बीजेपी को वोट दिया था. अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री रहते हुए निषादों को एससी कोटे में शामिल करने की कोशिश की थी. लेकिन इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सरकार के इस फैसले पर रोक लगा दी.
गोरखपुर में चुनावी हार के बाद बीजेपी ने राष्ट्रीय निषाद पार्टी से रिश्ता जोड़ लिया. बीजेपी ने निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद को अपना बना लिया. बीजेपी तब तक इस बिरादरी के वोट बैंक के महत्व को समझ चुकी थी. यूपी की 80 में से 19 लोकसभा सीटों पर इस जाति के वोटरों का असर है. पिछले लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव और मायावती ने समझौता कर लिया था. एसपी और बीएसपी के इस गठबंधन में आरएलडी भी शामिल थी. इस मज़बूत गठबंधन को हराने के लिए बीजेपी ने निषाद पार्टी पर भरोसा किया. प्रवीण निषाद को इस बार गोरखपुर के बदले संतकबीरनगर से टिकट मिला. वे चुनाव जीत गए.
अखिलेश यादव अब निषाद समाज को बीजेपी से तोड़ने में जुटे हैं. इसीलिए पार्टी के अध्यक्ष सीयर माता के मंदिर आशीर्वाद लेने पहुंच गए. अखिलेश की तरह ही किसी जमाने में उनके पिता मुलायम सिंह यादव ने भी फूलन देवी के बहाने निषादों को जोड़ा था. फूलन को एमपी बनवाया था. अखिलेश ही नहीं प्रियंका गांधी भी इसी जुगाड़ में हैं. वे प्रयागराज जाकर निषाद समाज के लोगों से मिली थीं. इस जाति के मान सम्मान के नाम पर उन्होंने नदी अधिकार यात्रा निकाली थी. राज्य में सरकार बनने पर मछुआरों के लिए कई तरह के वायदे भी किए. यूपी में अगले साल की शुरूआत में चुनाव हैं. उससे पहले अलग अलग जाति और समुदाय के वोट के लिए ज़ोर आज़माइश तेज हो गई है.
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