एसपी सिंह बघेल का दावा- करहल सीट जीत रहे हैं, बदहवास हैं अखिलेश यादव
अखिलेश यादव और एसपी सिंह बघेल करहल सीट से विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं. 20 फरवरी को इस सीट पर वोटिंग हो चुकी है. अब सपा और बीजेपी के बीच जुबानी जंग जारी है.
यूपी के मैनपुरी जिले की करहल सीट इस वक्त सबसे ज्यादा चर्चाओं में है. इस सीट पर सपा के मुखिया अखिलेश यादव और केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल चुनावी मैदान में हैं. इस सीट पर बीती 20 फरवरी को मतदान हो चुका है. बीजेपी के नेता दावा कर रहे हैं कि इस बार करहल सीट से सपा चीफ अखिलेश चुनाव हार जाएंगे, जबकि सपा इन बातों को लेकर बीजेपी पर हमलावर है. लंबे समय से इस सीट पर सपा के उम्मीदवार जीतते रहे हैं और इसे सपा की सबसे सुरक्षित सीट मानी जाती है. यही वजह है कि बीजेपी ने इस सीट पर पूरी ताकत झोंक दी.
यह बोले एसपी सिंह बघेल
करहल पर मतदान होने के बाद एसपी सिंह बघेल ने कहा, “कल करहल से चुनाव जीतकर आपके बीच आया हूं. ग़रीब लोगों के लिए आवास, शौचालय, बिजली, भोजन, बच्चों की पढ़ाई और स्वास्थ्य को लेकर हमारी सरकार ने योजनाएं चलाई हैं. सपा-बसपा सरकार में घरों पर अतिक्रमण होता था. यूपी में हमने 42 लाख आवास बनाने का काम किया है. कोरोना, बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं में राहत देने का काम किया.” बघेल ने कहा, “हमने 2 करोड़ 45 लाख किसानों को सम्मान निधि की राशि पहुंचाई. हमने स्वास्थ्य के क्षेत्र में मुफ़्त सुरक्षा बीमा देने का काम किया. किसान सम्मान निधि की राशि हम बढ़ा सकते हैं. ये योजना बन्द नहीं की जाएगी.”
एसपी सिंह बघेल ने कहा, “करहल का चुनाव 20 साल बाद भी याद किया जाएगा. अखिलेश यादव बदहवास हैं. बदहवासी में भारतीय जनता पार्टी को हारती कह रहे हैं. ये देश और देशवासियों का अपमान है. चमचों ने अखिलेश यादव को कहा होगा कि आपको आने की ज़रूरत नहीं है लेकिन वो करहल आये और प्रचार किया. डिम्पल, रामगोपाल, धर्मेंद्र यादव, तेज प्रताप यादव को करहल में प्रचार करना पड़ा. अंत में नेताजी को भी लेकर आये. शिवपाल की को कुर्सी नहीं मिली. द्रोणाचार्य की तरह नेताजी ने बिना मेरा नाम लिए आशीर्वाद दिया. अखिलेश ने मेरी ज़मानत ज़ब्त होने का दावा किया है. मैं चुनौती देता हूँ कि अगर ज़मानत ज़ब्त हुई तो अखिलेश का थूका मैं चाटूंगा और अगर ऐसा नहीं हुआ तो अखिलेश मेरा थूका चाटेंगे. अखिलेश को जवानी में वृद्ध पिता का सहारा लेना पड़ा है. करहल को गढ़ कहा जा रहा था, मुझे बलि का बकरा कहा गया. शेर की कभी बलि नहीं होती. मैं सैफई परिवार के ख़िलाफ़ 4 चुनाव लड़ चुका हूं. प्रियंका गांधी का आतंकवाद पर बयान शोभा नहीं देता. वो आतंकवादियों को बढ़ावा देने का काम कर रही हैं.”
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