नई दिल्ली: पांच सौ और हजार के पुराने नोट जमा कराने की इजाज़त मांग रहे लोगों को फ़िलहाल सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने इन लोगों से नोटबंदी पर संविधान पीठ में होने वाली सुनवाई का इंतज़ार करने को कहा है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जब नोटबंदी की वैधता पर संविधान पीठ में सुनवाई होगी, तब ये लोग भी अपना पक्ष रखें. पुराने नोट रद्द करने का कानून अभी वैध है. इसलिए नोट जमा कराने की इजाज़त देना गलत होगा.

वैसे तो कानून के मुताबिक पुराने नोट रखना अपराध है. लेकिन आज सरकार ने भरोसा दिया कि जिन 14 लोगों ने कोर्ट में याचिका दाखिल की है, उनके ऊपर पुराने नोट रखने के लिए कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जाएगी.

कोर्ट में याचिका दाखिल करने वालों ने पिछले साल 31 दिसंबर से पहले नोट न जमा करा पाने की अलग-अलग वजह बताई है. एक महिला का कहना है कि उसके दिवंगत पति को भूलने की बीमारी थी. उनके निधन के कई महीने बाद एक ट्रंक में पुराने नोट मिले. एक कंपनी ने अपने उस अधिकारी की गंभीर बीमारी का हवाला दिया है, जिसके दस्तखत के बाद ही पैसे जमा हो सकते थे.

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने वालों ने प्रधानमंत्री के 8 नवंबर के संबोधन का हवाला दिया है. उनका कहना है कि पीएम ने रिज़र्व बैंक में 31 मार्च तक नोट जमा होने की बात कही थी. बाद में एक अध्यादेश जारी कर पुराने नोट जमा कराने की मियाद दिसंबर के अंत तक कर दी गई.

हालांकि, सरकार का कहना है कि पीएम के संबोधन के तुरंत बाद नोटिफिकेशन जारी किया गया था. इसमें साफ लिखा था कि 31 दिसंबर के बाद इजाज़त सिर्फ उन्हें मिलेगी जो भारत से बाहर रह रहे हैं. बाद में संसद ने भी एक्ट को मंजूरी दे दी. ऐसे में अब किसी को भी पुराने नोट जमा करने की इजाज़त नहीं दी जा सकती.

पिछले साल 18 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने नोटबंदी की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को संविधान पीठ के पास भेज दिया था. अभी ये तय नहीं है कि मामले पर संविधान पीठ कब सुनवाई शुरू करेगी.