दिल्ली दंगे मामले में पेश होंगे विशेष वकील, दिल्ली सरकार और पुलिस के बीच चल रहे विवाद पर लगा विराम
दिल्ली दंगे से जुड़े मामले में कोर्ट में दिल्ली पुलिस की तरफ से अब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और उनकी लीगल टीम पैरवी करेगी. पहले इसको लेकर दिल्ली सरकार ने एतराज जताया था.
नई दिल्ली: दिल्ली दंगे मामले में कौन होगा दिल्ली पुलिस का वकील!! इसको लेकर पिछले कुछ समय से दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस के बीच जो विवाद चल रहा था वह अब खत्म हो गया है. दिल्ली सरकार ने दिल्ली पुलिस की उस मांग को मान लिया है जिसमें दिल्ली पुलिस ने दंगे मामले की सुनवाई के दौरान विशेष सरकारी वकीलों की नियुक्ति की मांग की थी. इसका मतलब साफ है कि अब जब इस मामले की अदालत में सुनवाई होगी तो दिल्ली पुलिस द्वारा नियुक्त विशेष सरकारी वकील अदालत में पुलिस की तरफ से पेश होंगे. हालांकि पहले दिल्ली सरकार द्वारा नियुक्त वकील द्वारा विशेष वकीलों की नियुक्ति पर सवाल खड़े किए गए थे और इसको लेकर काफी राजनीति भी हो रही थी.
दिल्ली सरकार ने दिल्ली दंगे मामले में विशेष वकील नियुक्त करने की मांग मानी
दिल्ली दंगे मामले पर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि दिल्ली पुलिस ने दिल्ली सरकार के गृह विभाग से मांग की थी कि उनको दिल्ली दंगे मामले में विशेष सरकारी वकीलों की नियुक्ति की अनुमति दी जाए, जिसको दिल्ली सरकार के गृह विभाग ने मंजूरी दे दी है. लिहाजा अब दिल्ली दंगे मामले की सुनवाई के दौरान विशेष सरकारी वकील दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश हो सकते हैं. इन विशेष सरकारी वकीलों में सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता और एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अमन लेखी और मनिंदर आचार्य समेत अन्य वकील शामिल हैं.
पिछले कुछ समय से विशेष वकीलों के पेश होने पर थी दिल्ली सरकार के वकीलों को आपत्ति
दिल्ली पुलिस की तरफ से विशेष वकीलों की नियुक्ति के मसले पर पिछले कुछ समय से दिल्ली सरकार के वकीलों और दिल्ली पुलिस के वकीलों के बीच एक विवाद की स्थिति बनी हुई थी. क्योंकि जब भी दिल्ली दंगे मामले की सुनवाई अदालत में हो रही थी तो एक तरफ दिल्ली सरकार के वकील अदालत में मौजूद रहते थे तो साथ ही दिल्ली पुलिस के वकील भी अदालत में पुलिस की तरफ से दलीलें पेश करने के लिए खड़े होते थे, इसको लेकर अदालत में कई बार नोकझोंक की स्थिति बन गई थी.
दिल्ली पुलिस के वकीलों की दलील थी कि वह एक मामले में दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश हो रहे हैं और उनको उपराज्यपाल की अनुमति मिली हुई है जबकि दिल्ली सरकार के वकील का कहना था की नियम के हिसाब से दिल्ली सरकार तय करती है की सरकारी मामलों में कौन पेश होगा तो ऐसे में दिल्ली पुलिस अपने वकील की नियुक्ति नहीं कर सकती.
सुप्रीम कोर्ट पहले ही स्थिति स्पष्ठ कर चुका है
गौरतलब है कि दिल्ली का बॉस कौन है जब इससे जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला दिया था तो उसमें इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा था कि उपराज्यपाल वकीलों की नियुक्ति कर सकते हैं लेकिन उसके लिए मंत्रियों के समूह की सलाह और मशविरे की जरूरत होगी. लेकिन दिल्ली दंगे मामले पर जब हाई कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई तो एक बार फिर यह विवाद खड़ा हो गया था जिस पर अब फिलहाल तो विराम लग गया है.
कांग्रेस और स्वराज पार्टी ने लगाया आप और बीजेपी की सांठगांठ का आरोप
इस सबके बीच कांग्रेस और स्वराज पार्टी ने आम आदमी पार्टी पर यह कहते हुए राजनीति करने का आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी और बीजेपी मिले हुए हैं और वकीलों की नियुक्ति को लेकर जिस तरह से आम आदमी पार्टी ने फैसला लिया है वह दिखाता है कि आम आदमी पार्टी वही कर रही है जो बीजेपी चाहती है. यह आरोप इस वजह से लग रहे हैं क्योंकि दिल्ली दंगे मामले पर हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस द्वारा नियुक्त विशेष वकीलों ने दिल्ली हाईकोर्ट से मांग की थी की भड़काऊ भाषण देने के मामले पर कपिल मिश्रा समेत अन्य नेताओं के खिलाफ फिलहाल कोई आदेश दिया जाए क्योंकि इससे माहौल बिगड़ सकता है.
फिलहाल पुलिस की प्राथमिकता यह है कि दिल्ली में माहौल को काबू में किया जाए और उस दौरान दिल्ली सरकार ने वकील ने दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश हो रहे विशेष वकील की दलील का विरोध किया था. हालांकि पुलिस की तरफ से जरूर कहा गया था कि एक बार माहौल शांत हो जाएगा तो उसके बाद ऐसे सभी भड़काऊ भाषणों की जांच की जाएगी.
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